अब बर्बाद पाकिस्तान: चीन ने दिखाई 'औकात', लोन से पहले रखी ये शर्त

चीन ने रेलवे परियोजना के लिए लोन को मंजूरी देने से पहले पाकिस्तान से अतिरिक्त गारंटी मांगी है। ड्रैगन ने यह फैसला पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक हालत को देखते हुए किया है।

Update:2020-12-23 19:18 IST
अब बर्बाद पाकिस्तान: चीन ने दिखाई 'औकात', लोन से पहले रखी ये शर्त

नई दिल्ली: चीन भले ही पाकिस्तान को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताता हो, लेकिन असल में ड्रैगन केवल पाक का इस्तेमाल करता है। अब चीन ने पाकिस्तान को उसकी औकात भी बता दी है। दरअसल, चीन ने मेन लाइन-एक रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के लिए छह अरब डॉलर के लोन को मंजूरी देने से पहले पाकिस्तान से अतिरिक्त गारंटी मांगी है। ऐसा ड्रैगन ने पाक के कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए किया है। बता दें कि इस प्रोजेक्ट के जरिए पेशावर से कराची तक एक हजार 872 किलोमीटर रेल मार्ग का दोहरीकरण और पटरियों की मरम्मत का काम किया जाएगा।

चीन ने आखिर क्यों उठाया ये कदम?

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही डामाडोल है, वहीं इस कोरोना वायरस महामारी ने उसकी अर्थव्यवस्था को और ज्यादा सुस्त कर दिया है। जिसके चलते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिन पहले ही G-20 के देशों से ऋण में राहत की मांग की थी। अब इमरान सरकार के इस कदम के बाद चीन डर गया है और इसलिए उसने पाकिस्तान से लोन के लिए अतिरिक्ट गारंटी की मांग की है। इसके अलावा चीन ने ऋण की राशि को वाणिज्यिक और रियायती दो भागों में देने की पेशकश की है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

दो तरह का कर्ज देने का रखा प्रस्ताव

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन ने रेल परियोजना के लिए राशि देने के लिए वाणिज्यिक और रियायती, दो तरह का कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें से वाणिज्यिक वाले लोन पर पाकिस्तान को ज्यादा इंटरेस्ट यानी ब्याज देना होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 13 दिसंबर को संयुक्त वित्तीय कमेटी की बैठक में रेलवे परियोजना के लिए अतिरिक्ट गारंटी का मुद्दा उठा था।

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कागजातों पर अब तक नहीं किए गए हस्ताक्षर

इस बैठक में शामिल रहे एक पाकिस्तानी वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने मीटिंग के दौरान अतिरिक्ट गारंटी के मुद्दे तो उठाए, लेकिन पाकिस्तान के साथ शेयर किए गए ब्योरे का मसौदा दस्तावेज में इसे शामिल नहीं किया गया है। अब तक दस्तावेजों पर दोनों पक्षों की ओर से हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। बता दें कि यह रेलवे प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरेडोर (सीपीईसी) के दूसरे फेज के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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