मौत का खेल: चीन ने बिना ट्रायल किया वैक्सीन का इस्तेमाल, दिखे ऐसे साइड इफेक्ट

कंपनी के अपने करीब 90 फीसदी कर्मचारियों और उनके परिवारों ने ये वैक्सीन लगवाई है। लोगों के ये वैक्सीन जुलाई में लॉन्च इमरजेंसी प्रोग्राम के तहत दी जा रही है।

Update:2020-09-07 11:14 IST

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में तमाम देशों की तरफ से कोविड-19 वैक्सीन पर तेजी से काम किया जा रहा है और इस बीच कई देशों की तरफ से वैक्सीन पर अच्छी खबरें आने लगी हैं। वहीं इस कड़ी में चीन की सिनोवैक बायोटेक कंपनी भी अपनी वैक्सीन का ट्रायल जोरों पर कर रही है। जानकारी के मुताबिक, कंपनी के अपने करीब 90 फीसदी कर्मचारियों और उनके परिवारों ने ये वैक्सीन लगवाई है। लोगों के ये वैक्सीन जुलाई में लॉन्च इमरजेंसी प्रोग्राम के तहत दी जा रही है।

90 फीसदी कर्मचारियों और उनके परिवारों ने ली कोरोना वैक्सीन

कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ने बताया कि सिनोवैक के लगभग 90 फीसदी कर्मचारियों और उनके परिवारों को कोरोना वायरस की ये प्रायोगिक वैक्सीन लगाई गई है। कंपनी ने वैक्सीन के इमरजेंसी यूज कार्यक्रम की कुछ जानकारियां भी साझा की हैं। जानकारी के मुताबिक, यह इमरजेंसी प्रोग्राम कुछ खास समूह के लोगों के लिए है, जिसमें मेडिकल स्टाफ, फूड मार्केट में काम करने वालो लोग, ट्रांसपोर्टेशन और सेवा क्षेत्रों में काम करने वाले लोग शामिल हैं।

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वैक्सीन का जारी है तीसरे फेज का ट्रायल

सिनोवैक ने बताया है कि कोरोना के दोबारा बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए वर्कर्स को ये प्रायोगिक वैक्सीन दी जा रही है। हालांकि वैक्सीन का ट्रायल अभी भी जारी है। सिनोवैक बायोटेक कंपनी की वैक्सीन कोरोनावैक का तीसरे फेज का ट्रायल अभी भी जारी है। सिनोवैक की वैक्सीन की इमरजेंसी स्कीम भी इसी ट्रायल का हिस्सा है। कंपनी के CEO यिन वेइडोंग ने बताया कि ये वैक्सीन लगभग दो से तीन हजार कर्मचारियों और उनके परिवारों को लगाई गई है। उन्हें यह वैक्सीन वॉलंटरी आधार (Voluntary Basis) पर दी गई है।

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वैक्सीन प्रोडक्शन हो सकता है प्रभावित

कंपनी के सीईओ ने इमरजेंसी प्रोग्राम की जरूरत पर कहा कि डेवलपर और मैन्युफैक्चरर के तौर पर कोरोना वायरस का नया प्रकोप हमारे वैक्सीन प्रोडक्शन को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। वहीं वैक्सीन के डेटा पर उन्होंने कहा कि इस इमरजेंसी प्रोगाम से मिलने वाले डेटा इसके सुरक्षित होने या ना होने का प्रमाण दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये डेटा रजिस्टर्ड क्लीनिकल ट्रायल प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है, इसलिए कमर्शियल यूज की इजाजत देते वक्त रेगुलेटर्स इसका डेटा नहीं देखते हैं।

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पहले से ही बताए गए थे साइड इफेक्ट

सिनोवैक के CEO यिन वेइडोंग के मुताबिक वैक्सीन के इमरजेंसी प्रोग्राम में शामिल होने वाले कर्मचारियों, उनकी पत्नी और माता-पिता को वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में पहले ही अवगत करा दिया गया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद भी इस वैक्सीन की डोज ली है। यिन के मुताबिक, टीकाकरण से पहले डॉक्टर्स ने प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर्स से उनके हेल्थ के बारे में पूरी जानकारी ली थी। वैक्सीन की डोज लेने के बाद लोगों पर इसके बहुत मालूमी से साइड इफेक्ट देखे गए। इस इमरजेंसी ट्रायल में करीब 600 लोग शामिल हुए थे।

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ऐसे दिए साइड इफेक्ट्स

वैक्सीन के मिड स्टेज ट्रायल के परिणाम से यह पता चला है कि इसके साइड इफेक्ट्स के रूप में थकान, बुखार और दर्द जैसी शिकायतें हुईं। इनमें से ज्यादातर लक्षण बहुत हल्के पाए गए। बता दें कि अब तक कोरोना की किसी भी वैक्सीन ने अपना तीसरे फेज का ट्रायल पूरा नहीं किया है। जिससे उसके सुरक्षित और प्रभावी होने की जानकारी मिल सके।

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