कोरोना की सच्चाई छिपाने में जुटा चीन, WHO की टीम को डेटा देने से इनकार
चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को अपने देश का दौरा करने की अनुमति तो दे दी मगर चीन ने कोरोना के शुरुआती मरीजों का रॉ डेटा देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है।
नई दिल्ली: चीन दुनिया का ऐसा देश है जो कभी सच्चाई को उजागर नहीं होने देना चाहता। कोरोना महामारी के साथ भी चीन में यही खेल करने में जुटा हुआ है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए उसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है मगर वह इस सच्चाई पर भी पर्दा डालने में जुटा हुआ है।
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चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को अपने देश का दौरा करने की अनुमति तो दे दी मगर चीन ने कोरोना के शुरुआती मरीजों का रॉ डेटा देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम पर सरकार की ओर से कही गई बातों को मानने के लिए दबाव भी बनाया। जानकारों का कहना है कि चीन के इस रवैये से साफ है कि वह कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में सच्चाई को दुनिया के सामने नहीं आने देना चाहता।
रॉ डाटा देने को तैयार नहीं चीन
चीन का दौरा करने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम का कहना है कि टीम की ओर से चीन से उन्हें 174 कोरोना मरीजों का रॉ डेटा मांगा गया था जो 2019 के दिसंबर महीने के दौरान वुहान में सबसे पहले इस वायरस का शिकार हुए थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम में शामिल डॉमिनिक ड्वायर के मुताबिक चीन ने इस बाबत रॉ डेटा शेयर करने से इनकार कर दिया और बदले में सभी मरीजों का एक सार टीम को मुहैया कराया।
उन्होंने कहा कि रॉ डेटा के अंदर कई तरह के विवरण दर्ज होते हैं जिससे कोरोना की उत्पत्ति के बारे में पता करने में मदद मिलती मगर चीन चीन ने रॉ डेटा मुहैया कराने से मना कर दिया।
इसलिए महत्वपूर्ण है रॉ डेटा
ड्वायर का कहना है कि रॉ डेटा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि शुरुआत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले 174 मरीजों में से आधे से अधिक मरीज हुनान मार्केट गए थे। वुहान के इसी होलसेल सीफूड मार्केट में सबसे पहले वायरस के बारे में जानकारी मिली थी।
उन्होंने कहा कि रॉ डेटा में कई तरह के विवरण दर्ज होते हैं जैसे इन मरीजों से किस तरह के सवाल पूछे गए थे और उनका क्या जवाब था। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की टीम की ओर से कई बार रॉ डेटा मांगने के बावजूद चीन की ओर से इस बाबत मदद नहीं की गई।
वायरस की उत्पत्ति का खुलासा मुश्किल
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस डेटा की मदद से कोरोना वायरस की उत्पत्ति को समझने के काफी करीब पहुंचा जा सकता है मगर चीन के इनकार कर देने से इस बाबत अब खुलासा करना काफी मुश्किल काम लगता है।
चीन का दौरा करने वाली टीम के सदस्यों का कहना है कि मरीजों के रिकॉर्ड और अन्य जानकारियां मांगने पर कई बार काफी तनाव पैदा हो जाता था और कई बार चीनी अधिकारियों से बहस भी हो जाती थी।
सरकार की कही बातें मानने का दबाव
डब्ल्यूएचओ की टीम में शामिल डेनमार्क की विशेषज्ञ थिया कोलसेन फिशर का कहना है कि चीन के अफसरों की ओर से इस बात का दबाव बनाया गया कि वे वायरस की उत्पत्ति के बारे में सरकार की कही बातों को मान ले। इसमें कोरोना के विदेश से चीन में फैलने की बात भी शामिल है। डब्ल्यूएचओ की टीम ने चीनी अफसरों की इस बात को मानने से इनकार कर दिया। टीम का यह भी कहना है कि अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि चीन से पहले भी कोरोना वायरस कहीं फैला था।
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लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी खारिज
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने वुहान के हुनान मार्केट का भी दौरा किया था। माना जाता है कि सबसे पहले कोरोना वायरस यहीं मिला था। कई दिनों की जांच करने के बाद टीम ने किसी लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि चीन की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को अपने देश का दौरा करने की अनुमति तो दे दी गई मगर चीन अभी भी आंकड़ों को छिपाने की कोशिश में लगा हुआ है। इससे साफ है कि वह इस बाबत सच्चाई को दुनिया के सामने नहीं आने देना चाहता।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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