भारत से टकराव का दांव पड़ा उल्टा, दुनिया में कई मोर्चों पर अलग-थलग पड़ा चीन
पड़ोसी देशों को भड़का कर भारत को घेरने और पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव की रणनीति अपनाकर चीन मुसीबत में फंसता जा रहा है। कोरोना संकट के कारण पूरी दुनिया...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पड़ोसी देशों को भड़का कर भारत को घेरने और पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव की रणनीति अपनाकर चीन मुसीबत में फंसता जा रहा है। कोरोना संकट के कारण पूरी दुनिया के निशाने पर आया चीन हांगकांग, दक्षिणी चीन सागर और अपने विस्तारवादी रुख के कारण रणनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहित तमाम देशों ने चीन के खिलाफ हमलावर रवैया अपना लिया है। इसके साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक हुवावे भी विश्व बाजार में अलग-थलग पड़ती जा रही है। इन सब कारणों से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग घरेलू मोर्चे पर चुनौतियों में फंसते जा रहे हैं।
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चीन की बात मानकर ओली फंसे मुसीबत में
दरअसल चीन ने लद्दाख में भारत के साथ सैन्य टकराव के साथ ही पड़ोसियों के जरिए उसे घेरने की कूटनीति अपना रखी है। भारत के तीन इलाकों को नेपाल के नक्शे में शामिल कराने के पीछे भी चीन का ही दिमाग बताया जा रहा है। पाकिस्तान भी खुलकर चीन का साथ देता रहा है। लेकिन चीन का अब यह दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है क्योंकि नेपाल में भारत विरोधी रुख अपनाने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली खुद बड़े सियासी संकट में फंस गए हैं और उन पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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इमरान के सामने भी विभिन्न चुनौतियां
चीन के एक और सहयोगी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी अपनी नीतियों के कारण घरेलू मोर्चे पर विभिन्न चुनौतियों के बीच फंसे हुए हैं। भारत ने श्रीलंका,भूटान और बांग्लादेश को भड़काने की चीनी रणनीति को नाकाम कर दिया है। भारत की कूटनीति के कारण ही अभी तक चीन नेपाल और पाकिस्तान को छोड़कर किसी अन्य देश को भारत के खिलाफ भड़काने में ज्यादा कामयाब नहीं हो सका है।
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अमेरिका सहित कई देश भारत के समर्थन में
मई के पहले सप्ताह में जब चीन और भारत के बीच एलओसी पर सैन्य टकराव की शुरुआत हुई थी तो तमाम देश तटस्थ भूमिका में दिख रहे थे। लेकिन अब वैश्विक मंच पर स्थिति पूरी तरह बदली दिख रही है। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस ,जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश अब खुलकर भारत के पक्ष में खड़े हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने तो चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है उसे घेरने के लिए दक्षिण चीन सागर में अपने सैनिकों की तैनाती भी शुरू कर दी है। अमेरिका के इस क्षेत्र में परमाणु बेड़ा उतारने और नौसैनिक युद्धाभ्यास से चीन की चिंता और बढ़ गई है। ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन को सैन्य सबक सिखाने का एलान किया है।
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हांगकांग के मुद्दे पर भी घिरा चीन
जानकारों का कहना है कि कूटनीतिक मोर्चे पर चीन पूरी तरह फ्लॉप साबित होता दिख रहा है और दुनिया के कई देश उसके खिलाफ एकजुट होते जा रहे हैं। हांगकांग में चीन की दादागिरी के खिलाफ भी पूरी दुनिया में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और अमेरिका ने चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाने का एलान कर दिया है। दक्षिणी चीन महासागर में चीन की दादागिरी से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और जर्मनी जैसे देश काफी नाराज चल रहे हैं।
हुवावे को भी लगा बड़ा झटका
हुवावे को दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में गिना जाता है। विभिन्न मोर्चों पर चीन की गलत नीतियों के कारण अब यह कंपनी भी दुनिया के निशाने पर आ गई है। भारत ने इस कंपनी को 5G की दौड़ से अलग करने का फैसला लिया है। अमेरिका में भी इस कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दुनिया के कई अन्य देश भी इसी राह पर चल रहे हैं और इस कंपनी के खिलाफ कड़ा रवैया अपना रहे हैं। इसके साथ ही व्यापारिक मोर्चे पर भी चीन को जबर्दस्त झटका लगा है।
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दुनिया के कई देशों ने चीन के साथ व्यापारिक करार तोड़ने की राह पर कदम बढ़ाया है। इससे भी चीन को जबर्दस्त आर्थिक चोट लग रही है। पूरी दुनिया में घिरने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं।
भारत ने दिया सख्त संदेश
लद्दाख में भी चीन की कूटनीति का भी भारत ने कड़ा जवाब दिया है। भारत ने इस मामले में बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल करते हुए दुनिया के कई देशों का समर्थन हासिल किया है। इसके साथ ही सैन्य मोर्चे पर भी चीन को करारा जवाब दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह का दौरा कर चीन को सख्त संदेश दिया है कि भारत किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है।
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