बुरी खबर: लोगों की टूटी उम्मीदें, लीक हो गई WHO की रिपोर्ट

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना के चपेट में है। ऐसे में दुनियाभर के तमात देश कोरोना से निपटने के लिए इसके दवा को लेकर कई तरह के शोध और प्रयोग कर रहे हैं।

Update:2020-04-24 15:36 IST

नई दिल्ली: इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना के चपेट में है। ऐसे में दुनियाभर के तमात देश कोरोना से निपटने के लिए इसके दवा को लेकर कई तरह के शोध और प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों पर एंटीवायरल रेमडेसिवीर दवा का ट्रायल किया जा रहा था। अब ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि यह दवा अपने पहले रेंडमाइज्ड क्लिनिकल ट्रायल में ही विफल पाई गई है। इससे पहले ऐसा माना जा रहा था कि यह दवा कोरोना का इलाज करने में कारगर साबति हो सकती है। लेकिन चीन के टेस्ट में यह दवा विफल पाई गई है।

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WHO ने गलती से पोस्ट की ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने अचानक ही चीन के इस असफल परीक्षण के ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट को प्रकाशित कर दिया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं देखा गया और ना ही इसके प्रयोग से मरीजों के शरीर के खून में रोगाणु कम हुए। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद लोगों के उम्मीदों पर पानी फिर गया है। हालांकि अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी Gilead Sciences द्वारा इस स्टडी को गलत ठहराया गया है।

अनजाने में प्रकाशित हुई रिपोर्ट- WHO

WHO द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट में रेंडमाइज्ड क्लिनिकल ट्रायल में एंटीवायरल रेमडेसिवीर दवा को असफल बताए जाने के बाद से ही यह खबर बिल्कुल आग की तरह फैल गई। हालांकि इस पोस्ट को जल्द डिलीट भी कर लिया गया। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट अनजाने में प्रकाशित हो गई थी।

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दवा के उपयोग से हुईं ज्यादा मौतें

WHO द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने 237 लोगों को शामिल किया। इनमें से 158 मरीजों को रेमडेसिवीर दवा की खुराक दी गई और 79 कोरोना मरीजों को प्लेसबो दिया गया। फिर दोनों के प्रगति की तुलना की गई। एक महीने बाद रेमडेसिवीर दवा लेने वाले मरीजों की प्लेसबो लेने वाले 12.8 फीसदी मरीजों की तुलना में 13.9 फीसदी ज्यादा मौतें हुई। इस दवा के साइड इफेक्ट को देखते हुए इसके परीक्षण पर जल्द ही बंद कर दिया गया।

Gilead कंपनी ने पोस्ट को नकार दिया

वहीं Gilead कंपनी ने WHO की इस पोस्ट को झूठा करार दिया है। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, इस अध्ययन को अनुचित तरीके से पोस्ट किया गया था। कंपनी ने इस रिपोर्ट को सांख्यिकी रुप से गलत करार दिया है। कंपनी का कहना है कि इसे जल्द ही खारिज कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस स्टडी के निर्णायक परिणाम अभी सामने नहीं आए हैं। आपको बता दें कि रेमडेसिवीर दवा का इस्तेमाल इबोला वायरस के उपचार में किया गया था।

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