चीन का तानाशाही रवैया, राष्ट्रपति की आलोचना करने पर इस नेता के खिलाफ मुकदमा

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बीजिंग में शीचेंग जिले के अनुशासन निरीक्षण आयोग ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि 69 वर्षीय रेन पर भ्रष्टाचार, गबन, रिश्वत लेने और सरकार के स्वामित्व वाली एक कंपनी में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है।

Update:2020-07-25 10:48 IST

बीजिंग: कोरोना वायरस से पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। चीन के वुहान लैब से वायरस के फैलने से दुनिया भर में उसकी आलोचना हो रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो चीन को इस वायरस के जानबूझकर फैलाने का आरोप भी लगा चुके हैं।

लेकिन चीन में रहकर ऐसी आलोचना करना एक नेता को भारी पड़ गया। न केवल उसे पार्टी से निष्काषित किया गया बल्कि उसके उपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर जांच बैठा दी गई। ये नेता कोई और नहीं बल्कि चीन की सत्तारूढ़ पार्टी का ही एक सदस्य है।

यहा बताते चलें कि कोरोना महामारी से निपटने के मुद्दे पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने वाली सरकारी रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व अध्यक्ष रेन झिकियांग को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। इतना ही नहीं उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केस चलाया जाएगा।

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क्या है ये पूरा मामला

प्रेस पर नियंत्रण (सेंसरशिप) और अन्य संवेदनशील विषयों के बारे में अपनी बेबाक राय रखने वाले रेन झिकियांग सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे है।

मार्च में एक लेख ऑनलाइन प्रकाशित करने के बाद से ही सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे, इस लेख में उन्होंने शी पर वुहान में दिसंबर में शुरू होने वाले कोरोना प्रकोप को नहीं संभाल पाने का आरोप लगाया था।

सूत्रों की माने तो इसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सार्वजनिक रूप से आलोचना मानी गई। उसके बाद आरोप लगाने वाले नेता के खिलाफ उक्त कार्रवाई की गई।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बीजिंग में शीचेंग जिले के अनुशासन निरीक्षण आयोग ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि 69 वर्षीय रेन पर भ्रष्टाचार, गबन, रिश्वत लेने और सरकार के स्वामित्व वाली एक कंपनी में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है।

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ये हैं आरोप

एजेंसी ने कहा कि हॉयुआन समूह के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के उप सचिव को सत्तारूढ़ पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है और उनके मामले को अभियोजन पक्ष को सौंप दिया गया। उसने अपराध के बारे में कोई विवरण नहीं दिया।

ये पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह का कदम उठाया है बल्कि चीन में 2012 में सत्तारूढ़ पार्टी के नेता बने शी ने आलोचनाओं को दबाने, सेंसरशिप को सख्त करने और गैर आधिकारिक संगठनों पर नकेल कसने का पहले भी काम किया है। दर्जनों पत्रकार, श्रम और मानवाधिकार कार्यकर्ता और अन्य लोग आज भी जेलों में बंद हैं।

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