सैकड़ों वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस पर किया बड़ा दावा, WHO को दी ये चेतावनी

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। रोजाना इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वहीं पूरी दुनिया में लाखों लोग...

Update: 2020-07-06 03:49 GMT

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। रोजाना इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वहीं पूरी दुनिया में लाखों लोग काल की गाल में समा चुके हैं। ये महामारी इतनी भयावह है दुनिया बड़े वैज्ञानिक भी इसकी तोड़ निकालने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। अब इस महामारी की चपेट में आने से खुद को बचाना ही सबसे बड़ा उपाय है।

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इससे बचने के लिए एक्सपर्ट द्वारा मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रहने की सलाह दी जा रही है। लेकिन अगर आप भीड़भाड़ से दूर बिना मास्क के खुले में यह सोचकर घूमते हैं कि आप किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क से दूर हैं और ऐसे में आपको संक्रमण का खतरा नहीं है, तो सावधान हो जाइए। पूरी दुनिया के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अपनी रिचर्स में पाया है कि कोरोना वायरस वायुजनित है, साफ शब्दों में कहें तो ये वायरस हवा में भी फैलता है।

क्या कहा इन वैज्ञानिकों ने?

WHO ने भले ही इस बात से इंकार किया हो की वायरस हवा में नहीं फैलता, लेकिन 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में पाया कि नोवेल कोरोना वायरस के छोटे-छोटे कण हवा में भी जिंदा रहते हैं और वे भी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। अब उन वैज्ञानिकों ने इस संबंध में WHO से अपनी अनुशंसाएं बदलने का भी अनुरोध किया है।

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एक रिपोर्ट मुताबिक रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने WHO के नाम एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने सबूत दिए कि हवा में मौजूद वायरस के छोटे-छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

क्या कहता आया है WHO?

इस वायरस के प्रसार को लेकर WHO लगातार कहता आया है कि ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब फैलता है, जब किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने या सांस बाहर निकालने के दौरान उसके मुंह या नाक से निकलने वालीं पानी की बूंदें दूसरे व्यक्ति तक पहुंचती हैं। साथ ही WHO ने इस वायरस के फैलने के तरीकों को साफ करते हुए कहा था कि इस वायरस का संक्रमण हवा से नहीं फैलता है। WHO ने कहा था कि वायरस सिर्फ थूक के कणों से ही फैलता है। ये कण इतने हल्के नहीं होते जो हवा के साथ यहां से वहां उड़ सकें। वे बहुत जल्द ही जमीन पर गिर जाते हैं।

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