अमेरिका में बदला चुनावी समीकरण: ट्रंप पड़े कमजोर, इन दो मामलों ने डाला असर
अमेरिका में कोरोना महामारी और पुलिसिया उत्पीड़न में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी संभावनाओं पर काफी असर डाला है।
अंशुमान तिवारी
वाशिंगटन: अमेरिका में कोरोना महामारी और पुलिसिया उत्पीड़न में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी संभावनाओं पर काफी असर डाला है। इन दोनों कारणों से राष्ट्रपति ट्रंप चुनावी रेस में पिछड़ते दिख रहे हैं। यही कारण है कि अब ट्रंप के सलाहकार और चुनाव अभियान से जुड़े लोगों ने रणनीति बदलने का एलान किया है। इसके साथ ही ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को निशाना बनाने के लिए नए मुद्दों की तलाश भी की जा रही है।
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कोरोना और फ्लॉयड प्रकरण से लगा झटका
अमेरिकी राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि कोरोना महामारी और अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का पूरा परिदृश्य बदल गया है। इन दोनों कारणों से ट्रंप की चुनावी संभावनाओं को झटका लगा है और हालत यह हो गई है कि अगर आज अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो जाएं तो ट्रंप चुनाव हार भी सकते हैं। ट्रंप के चुनावी अभियान के संचार निदेशक टिम मुर्टाग का कहना है कि बहुत से अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को जानते हैं मगर बहुत अमेरिकी ऐसे भी हैं जो उन्हें ठीक से नहीं जानते। हम बिडेन के असली चेहरे से लोगों को रूबरू कराना चाहते हैं।
कोरोना से चुनाव अभियान पर गहरा असर
अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से पहले भी राष्ट्रपति ट्रंप की चुनावी राह कठिन होती दिख रही थी। इसका कारण कोरोना महामारी को माना जा रहा था। अमेरिका पूरी दुनिया में कोरोना से सर्वाधिक संक्रमित देश है और यहां कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 20 लाख तक पहुंच गई है। इस वायरस ने अमेरिका में अभी तक एक लाख बारह हजार से अधिक लोगों की जान ले ली है।
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अमेरिका में इस वायरस के व्यापक संक्रमण के लिए ट्रंप प्रशासन की नाकामियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कोरोना महामारी ने ट्रंप की चुनावी संभावनाओं को भारी झटका दिया है। इस कारण उन्हें अपनी कई रैलियां भी स्थगित करनी पड़ीं और साथ ही साथ उनके चुनाव अभियान को मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी असर पड़ा है।
ट्रंप के समर्थन में कमी की बात मानी
ट्रंप के चुनावी अभियान से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात स्वीकार की कि आंतरिक सर्वे में ट्रंप के समर्थन में कमी दर्ज की गई है। कोरोना महामारी से पहले उन्हें मिल रही बढ़त अब खत्म हो चुकी है। हालांकि ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किए गए सर्वेक्षणों से सहमत नहीं है।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में उन चुनावी सर्वेक्षणों को पूरी तरह नकार दिया जिसमें प्रमुख प्रांतों में उनके प्रतिद्वंद्वी बिडेन को बढ़त मिलती दिखाई गई थी। ट्रंप की दलील थी कि पिछले चुनाव में भी मैं हर प्रांत में हिलेरी से हार रहा था जबकि नतीजे आने पर मैंने हर प्रांत में जीत हासिल की। वैसे जानकारों का कहना है कि ट्रंप खुद भी अंदर ही अंदर परेशान हैं और उन्होंने अपने सलाहकारों से चुनावी रणनीति बदलने को कहा है ताकि बिडेन के मुकाबले उन्हें मजबूती मिल सके।
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चुनावी टीम को मजबूत बनाने की कवायद
राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव अभियान को देखने वाली टीम को मजबूत बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। अब इसमें दो वरिष्ठ राजनीतिक सहयोगियों को शामिल किया गया है। पूर्व संचार प्रमुख जेसन मिलर को वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है। ट्रंप के करीबी इस बात को लेकर निराश हैं कि कोरोना संकट के कारण बिडेन रैलियां नहीं कर रहे हैं। ट्रंप के करीबियों का कहना है कि अगर बिडेन रैलियां करते तो इस दौरान कोई ना कोई चूक जरूर होती जिसका फायदा ट्रंप को मिल सकता था।
बिडेन के खिलाफ मुद्दों की तलाश
ट्रंप का चुनाव अभियान देखने वाली टीम बिडेन के खिलाफ नए मुद्दों की तलाश में भी जुटी हुई है। बिडेन को चीन समर्थक बताकर उनकी चुनावी संभावनाओं को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। वही उनके बेटे हंटर बिडेन को भ्रष्टाचार के मामलों से जोड़कर बिडेन को झटका देने की तैयारी है। बिडेन को 1994 के क्राइम बिल का समर्थन करने के लिए भी घेरने की तैयारी है।
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ट्रंप का आरोप है कि इस बिल के कारण अमेरिकी शहरों में अशांति पैदा हुई है। जानकारों कहना है कि अमेरिका में कोरोना की रफ्तार थोड़ी धीमी पढ़ने के बाद ही राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार में तेजी आने की संभावना है। उसके बाद ही चुनाव की असली तस्वीर सामने आ सकेगी।