झूठा दावा! चांद पर नहीं पहुंचा कोई, इनका जाना सच या झूठ

मानव सभ्यता का वो सबसे बड़ा दिन कोई कैसे भूल सकता है, वो दिन था जब अमेरिका की नासा ने 16 जुलाई, 1969 को मिशन 'अपोलो 11’ के तहत चंद्रमा पर पहली बार नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन को भेजा था। जब किसी इंसान ने पहली दफा चांद पर कदम रखा था।

Update:2023-03-14 21:09 IST

नई दिल्ली: मानव सभ्यता का वो सबसे बड़ा दिन कोई कैसे भूल सकता है, वो दिन था जब अमेरिका की नासा ने 16 जुलाई, 1969 को मिशन 'अपोलो 11’ के तहत चंद्रमा पर पहली बार नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन को भेजा था। जब किसी इंसान ने पहली दफा चांद पर कदम रखा था।

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खास बात यह है कि चांद पर नील आर्मस्ट्रांग द्वारा ली गई तस्वीरें आपको हैरान कर देंगी। अगर मौं आपसे कहूं की नील आर्मस्ट्रांग चाँद पर कभी गए ही नहीं, शायद आप ये सुनकर हैरान होंगे। किन्तु इन तस्वीरों को देखने के बाद शायद आपके मन में भी यही ख्याल आयेगा।

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ध्वज हवा में कैसे उड़ा...

दुनिया में कई लोगों ने इन तस्वीरों को देखकर यही सवाल उठाये है कि नील आर्मस्ट्रांग कभी चांद पर गये की नहीं। ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं कि एक तरफ जहां चाँद पर वातावरण शुन्य है, तो अमेरिका का ध्वज हवा में कैसे उड़ रहा है? तो वहीं नासा की तरफ से जारी किये फोटोज और वीडियो में अमेरिका के झण्डे को चाँद में हवा में उड़ते हुए साफ़-साफ़ देखा जा सकता है।

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कैसे मौजूद स्पॉट लाइट...

बताया जा रहा है कि इस तस्वीर का राज खुद इस हेलमेट में छुपा हुआ है। दरअसल, अंतरिक्ष यात्री के हेलमेट पर स्पॉट लाइट का प्रतिबिंब साफ दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि चांद पर पहले से ही मौजूद स्पॉट लाइट क्या कर रही है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अपोलो 11 मिशन स्टूडियो में शूट किया गया था?

पैरो के निशान...

नासा ने बताया कि चाँद पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरो के निशान है, तस्वीरों को देखकर यह ज्ञात भी हो रहा है। लेकिन चांद पर किसी चीज का निशान होना थोड़ा जादू वाली बात हो सकती है, ऐसा इसलिए क्योंकि चन्द्रयान जिसका वजन 4 टन था उसने चन्द्रमा पर कोई निशान नहीं छोड़े, तो फिर आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरों के निशान कैसे बन गए।

वहीं नासा की एक और तस्वीर को देखा गया, जिसमें चाँद के आस पास तारे नजर नहीं आये, जो एक चौकाने वाली बात है। क्योंकि चाँद पर कोई वायुमंडल नहीं है। लेकिन इस तस्वीर में तारे दिख ही नहीं रहे हैं।

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अमेरिका ने कहा...

चौंकाने वाली बात ये भी है कि दुनिया के सबसे बड़े मिशन की मशीन के ब्लूप्रिंट्स आज तक किसी ने नहीं देखा। अमेरिका का कहना है कि वो किसी तरह से गायब हो गए। जिस वजह ये तस्वीरें इस मिशन की सच्चाई को बंया करती है।

नासा ने दी जानकारी...

नासा ने उठ रहे इन सभी प्रश्नों के जवाब देने के लिए जून, 1977 को एक फैक्ट शीट जारी की थी। इसमें उन्होंने ऐसे तथ्य बताए थे, जो साबित कर सकें कि “अपोलो 11’ मिशन गलत नहीं था। “अपोलो 11’ मिशन को साबित करने के लिए उन्होंने चांद से लाए ऐसे पदार्थ भी लोगों के सामने रखे, जिन्हें धरती पर पैदा नहीं किया जा सकता।

उसका कहना था कि ज्यादातर ऑपरेशन लैंडिंग के दौरान चांद से हजार फीट की ऊंचाई से किए गए थे। वहां कुछ विशेष परिस्थितियां बनाई गई थी।

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