तबाही की और दुनिया: कोरोना के बाद इनसे होगा सामना, किया गया आगाह
ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच से दस सालों में भू-राजनीतिक स्थिरता गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी। अगर ये अनुमान सही साबित हो जाता है तो फिर पूरी दुनिया को अरबों रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा।
नई दिल्ली: देश समेत दुनियाभर के तमाम देशों में लंबे इंतजार के बाद कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन (Corona Virus Vaccination) स्टार्ट हो चुका है। हालांकि ये खतरा अब तक पूरी तरह से कम नहीं हुआ है, बल्कि कई देशों में कोविड के खतरनाक स्ट्रेन के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। इस बीच इस साल की ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट (Global Risks Report 2021) सामने आ गई है। जिसमें दुनिया पर मंडराते खतरे के बारे में आगाह किया गया है।
दुनिया के सामने कोरोना से भी बड़ा खतरा
ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया पर कोरोना वायरस से भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगले पांच से दस सालों में भू-राजनीतिक स्थिरता गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी। आपको बता दें कि अगर ये अनुमान सही साबित हो जाता है तो फिर पूरी दुनिया को अरबों रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। यानी एक बार फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को गहरी क्षति पहुंचेगी।
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कैसा रहने वाला है ये दशक
बता दें कि कोरोना के चलते वैसे ही ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है, ऐसे में इस अनुमान से दुनिया को गहरा झटका लग सकता है। बताया गया है कि आने वाले समय में विश्व के सामने वैश्विक महामारी, आर्थिक मंदी, राजनीतिक उथल-पुथल और लगातार बिगड़ता जलवायु संकट मुसीबत साबित हो सकता है। जाहिर है कि Climate से संबंधित मामले कम खतरनाक नहीं हैं।
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क्लाइमेट क्राइसेस मानवता के लिए संभावित खतरा
क्लाइमेट क्राइसेस से संबंधित मामलों को मानवता के लिए संभावित खतरा माना जाता है, इसीलिए ये बेहद संवेदनशील हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि जैसे ही कोरोना महामारी के बाद जिंदगियां पटरी पर लौटनी शुरू होंगी, सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्थाएं ठीक होंगी, तब उत्सर्जन बढ़ने लगेगा और फिर से जलवायु संकट गहरा जाएगा। बता दें कि 2021 की Global Risks Report में दुनिया भर से डेटा जुटाया गया है।
इन परेशानियों का भी होगा सामना
Global Risks Report को कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया गया है। फोरम के कई नेतृत्व समुदायों के के 650 से अधिक सदस्यों ने इसको तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की है। रिपोर्ट के लिए पूरी दुनिया से डेटा इकट्ठा किया गया है। बताया जा रहा है कि जलवायु संकट के अलावा दुनिया के सामने संक्रामक रोग, जंगल में आग लगने जैसी भी मुसीबत आएंगी।
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