लद्दाख में भारत के कड़े प्रतिरोध से चीन बौखलाया, अब रच रहा है ऐसे हमले की साजिश

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत के आक्रामक रुख के कारण चीन अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहा है। भारत ने कूटनीतिक घेरेबंदी और...

Update:2020-06-25 09:01 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत के आक्रामक रुख के कारण चीन अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहा है। भारत ने कूटनीतिक घेरेबंदी और रणनीतिक कौशल दोनों मामलों में चीन को मात दी है और ऐसे में चीन अब भारत के खिलाड़ी दूसरी साजिश रचने में जुटा हुआ है। खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि अब चीन भारत पर जैविक हमला कर सकता है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि चीन यह हमला सीधे खुद न करके भारत विरोधी अन्य देशों या आतंकियों के माध्यम से भी करा सकता है।

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नहीं पूरे हो सके चीन के मंसूबे

जानकारी सूत्रों का कहना है कि चीन पूर्वी लद्दाख भारत के रणनीतिक कौशल और सैन्य घेरेबंदी से बौखलाया हुआ है। भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर काफी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती कर दी है। ऐसे में चीन अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहा है।

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अब रच रहा जैविक हमले की साजिश

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि ऐसी स्थिति में चीन अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हुए जैविक हमले जैसी हरकत को भी अंजाम दे सकता है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए चीन दूसरे देशों या आतंकी संगठनों की मदद भी ले सकता है। पिछले दिनों सेना ने आतंकियों के लिए हथियार लेकर आए एक ड्रोन को मार गिराया था। ड्रोन के जरिए भी जैविक हमला किया जा सकता है। इस हमले का पता तुरंत नहीं चलता और इसमें अधिक शोर शराबा भी नहीं होता और इससे दुश्मन को ज्यादा नुकसान भी होता है। इसलिए चीन ऐसी कार्रवाई को अंजाम दे सकता है।

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भारतीय सेना जवाब देने में सक्षम

रासायनिक और जैविक खतरों पर शोध करने वाली डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला (डीआरडीई) के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय सेना के पास चीन के जैविक हमलों का जवाब देने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। अगर चीन इस तरह का कोई कदम उठाता है तो सेना उसे नाकाम करने के लिए पूरी तरह तैयार है। डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं में ऐसे खास उपकरण और सूट तैयार किए गए हैं जो भारतीय सैनिकों की मदद कर रहे हैं। डीआरडीई के अधिकारियों के मुताबिक इस तरह के हमलों में सबसे पहले जीवाणु के बारे में पता किया जाता है और उसके बाद उसे निष्क्रिय करने पर जोर होता है। डीआरडीओ की ओर से इसके लिए खास केमिकल एजेंट मॉनिटर भी तैयार किए गए हैं।

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पड़ोसी मुल्कों की भारत विरोधी भूमिका

भारत को इन दिनों पड़ोसी मुल्कों की विरोधी भूमिका का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान कश्मीर घाटी में सीजफायर का उल्लंघन कर बार-बार फायरिंग की घटना को अंजाम दे रहा है। इसके साथ ही वह कश्मीर घाटी में आतंकियों की घुसपैठ कराने की साजिश भी रच रहा है। दूसरी ओर नेपाल का रवैया भी इन दिनों भारत विरोधी दिख रहा है। नेपाल की भारत विरोधी भूमिका के पीछे भी चीन की ही शह बताई जा रही है। भारत के मुंहतोड़ जवाब देने से चीन भी बौखलाया हुआ है और ऐसे में वह भारत विरोधी कार्रवाई में किसी हद तक भी जा सकता है। ऐसे में भारतीय एजेंसियां अब काफी सतर्क हो गई हैं।

 

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कोरोना के मामले में भी निशाने पर चीन

कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर भी चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है। अमेरिका और आस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने आरोप लगाया है कि पूरी दुनिया में यह वायरस फैलाने में चीन की ही प्रमुख भूमिका है। वुहान में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया के अन्य देशों को इस बारे में सही जानकारी नहीं दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो इसे चीनी वायरस तक की संज्ञा दी है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर विभिन्न देशों के निशाने पर आए चीन की बौखलाहट इस कारण और भी ज्यादा बढ़ गई है।

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