चीन की शातिर चाल: डोकलाम में फिर मोर्चा खोलने की कोशिश, सैनिकों की संख्या बढ़ाई
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के कड़े रुख से चीन बौखला गया है। दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों की करीब 12 घंटे चली बैठक के बाद...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के कड़े रुख से चीन बौखला गया है। दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों की करीब 12 घंटे चली बैठक के बाद चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपनी सेना पीछे हटाने के लिए राजी जरूर हो गया है मगर अब उसने एक बार फिर डोकलाम में नई चालबाजी शुरू कर दी है। चीन ने डोकलाम अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है और अब वह इस मोर्चे पर भारत के लिए सिरदर्द खड़ा करना चाहता है।
ये भी पढ़ें: रामदेव की कोरोना दवा: लॉन्च होने के बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से पूछे ये सवाल
फिर शुरू की 2017 वाली हरकत
सरकार को मिली खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने भूटान और भारत के सिक्किम से लगी सीमा पर 2017 वाली हरकत फिर शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि चीन डोकलाम में अब नई चाल चलकर भारत के लिए मुसीबत खड़ा करने की कोशिश में जुटा हुआ है। डोकलाम में भारत के साथ विवाद पैदा करके चीन अब भूटान को भी इसमें घसीटने की फिराक में जुटा हुआ है।
ये भी पढ़ें: आइसक्रीम का ठेला लेकर थाने पहुंचा पुलिस वाला, Video वायरल, जानें पूरा मामला
विवाद में भूटान को भी घसीटने की कोशिश
चीन के अड़ियल रुख के कारण 2017 में भूटान और भारत के ट्राईजंक्शन पर स्थित डोकलाम में 73 दिनों तक तनाव का माहौल बना हुआ था। भारत ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया था और आखिरकार चीन को अपनी फौज पीछे हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। जानकारों का कहना है कि चीन इस बार नेपाल की तरह भारत और भूटान के बीच भी तनाव पैदा कर सकता है।
ये भी पढ़ें: बिहार की राजनीति में भूचाल: मुश्किल में लालू की RJD, अब राबड़ी को लगेगा ये झटका
हालात पर भारत की सतर्क नजर
चीन को लेकर भारत और काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और सिक्किम में भी भारतीय सेना का अच्छा खासा जमावड़ा है। किसी भी विवाद की स्थिति में भारतीय सेना जल्द ही अग्रिम मोर्चे पर तैनात की जा सकती है। चीन से लगी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर से सतर्क नजर रखी जा रही है।
स्वामी ने भी किया इशारा
राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी पिछले दिनों ट्वीट कर अमेरिकी खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा था कि चीन 2017 में भारत के साथ में डोकलाम समझौते को रद्द करने पर उतारू है। दरअसल चीन ऐसा देश है जिस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता। वह एक कदम पीछे और दो कदम आगे की रणनीति पर काम कर रहा है। इसलिए पूर्वी लद्दाख के साथ ही वह भारत को एक दूसरे मोर्चे पर भी उलझाना चाहता है।
ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के प्रति देश के लोगों का भरोसा बरकरार, चीन के साथ विवाद के बाद सर्वे में खुलासा
चीनी रक्षा मंत्री से नहीं मिलेंगे राजनाथ
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई झड़प में दोनों देशों के देशों के बीच बड़ी दरार पैदा कर दी है। मास्को की विक्ट्री परेड में दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव का असर दिखेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस के दौरे पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रूस में उनके चीनी समकक्ष के साथ मुलाकात नहीं होगी।
चीनी मीडिया की खबरों का खंडन
भारत ने चीनी मीडिया की उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया है कि रूस के दौरे के दौरान रक्षा मंत्री की चीन के रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात होगी। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगहे भी परेड में भाग लेंगे और इस दौरान उनकी अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ बैठक हो सकती है मगर भारत की ओर से साफ कर दिया गया है कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों में कोई बैठक प्रस्तावित नहीं है।
ये भी पढ़ें: फडणवीस का बड़ा दावा: महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शरद पवार ने की थी ये पेशकश