दो लोगों को दे दिया इंजेक्शन, ये हुआ कोरोना का पहला ट्रायल
ये टीका चिम्पांजियों में होने वाले सामान्य सर्दी-जुकाम के एक वायरस से बनाया गया है। इसके जीन में परिवर्तन करके इसे नया स्वरूप दिया गया है ताकि ये मानव शरीर को संक्रमित न कर सके। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस टीके से शरीर को कोरोना वायरस के प्रति इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तैयार किया जा सकेगा।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के टीके का एक और मानव परीक्षण शुरू हो गया है। ये ट्रायल शुरू हुआ है यूनाइटेड किंगडम में जहां ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी
के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित टीके का इंजेक्शन दो प्रतिभागियों को लगाया गया। इसके अलावा कम से कम दो कंपनियां पहले से कोरोना के टीके का इन्सानी परीक्षण शुरू कर चुकी हैं। इनमें एक चीन की कंपनी है जिसका ट्रायल तीसरे चरण में पहुँच चुका है। अभी तक कुल 5 क्लिनिकल ट्रायल को ही मंजूरी मिली है। ये ट्रायल चीन, जर्मनी, अमेरिका और यूके में होने हैं। भारत अभी क्लिनिकल ट्रायल की स्टेज तक नहीं पहुंचा है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम इस टीके को डेवलप कर रही है और मानव परीक्षण के लिए शुरुआत में 800 लोगों को चुना गया है। ये टीका मात्र तीन महीने में विकसित किया गया है। परीक्षण का पहला टीका एलिसा ग्रनाटो नामक एक माइक्रोबायोलोजिस्ट को लगाया गया है।
इन्हें भी पढ़ें
कोरोना के खिलाफ जंग में बेहद मजबूती से लड़ रहा यूपी का ये जिला
नई दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र के बाद अब यहां तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीज
बंगाल सरकार की दलील, 57 में 18 मौतें कोरोना से, शेष अन्य बीमारी से
32 वर्षीय एलिसा ने बताया कि वह खुद एक वैज्ञानिक है और इसीलिए वह टीका बनाने के प्रयास में हरसंभव मदद करना चाहती है। एलिसा के अलावा एडवर्ड ओनील को भी टीका लगाया गया है जो एक कैंसर रिसर्चर हैं। इन दोनों लोगों की निगरानी करने के बाद अन्य वॉलंटियर्स पर परीक्षण किया जाएगा।
अलग-अलग टीका
सभी 18 से 55 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ लोग हैं। इन लोगों में किसी को कोरोना वायरस और किसी को मेनिनजाइटिस के टीका लगाया जाएगा और किसी भी प्रतिभागी को ये नहीं बताया जाएगा कि उन्हें कौन सा टीका लगाया गया है।
इम्यूनिटी की उम्मीद
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक प्रोफेसर एंड्रू पोलार्ड ने कहा है कि ये टीका चिम्पांजियों में होने वाले सामान्य सर्दी-जुकाम के एक वायरस से बनाया गया है। इसके जीन में परिवर्तन करके इसे नया स्वरूप दिया गया है ताकि ये मानव शरीर को संक्रमित न कर सके। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस टीके से शरीर को कोरोना वायरस के प्रति इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तैयार किया जा सकेगा। कोरोना के टीके का पशुओं पर ट्रायल जेनर इंस्टीट्यूट में किया गया था। इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक प्रोफेसरा सारा गिल्बर्ट का कहना है कि उन्हें 80 फीसदी विश्वास है कि ये टीका सफल होगा।
ऑक्सफोर्ड ने पहले भी बनाए हैं टीके
वैज्ञानिकों ने पहले भी टीके बनाए हैं जिनमें मार्स वायरस का टीका प्रमुख है। कोरोना का टीका असरदार है कि नहीं, ये इस बात से पता
चल सकेगा कि आने वाले समय में कितने प्रतिभागियों को कोरोना संक्रमण होता है। अधिकांश प्रतिभागी स्वास्थ्य कर्मी हैं जिनका वायरस के प्रति ज्यादा
एक्सपोजर रहता है।
टीके की दौड़
जनवरी में कोरोना वायरस के जिनेटिक सीक्वेंस के प्रकाशन के मात्र 8 हफ्ते के भीतर अमेरिका की बायोटेक कंपनी ‘मोडेरना’ ने अपनी आरएनए वैक्सीन ने मानव ट्रायल शुरू कर दिये थे। इसके बाद चीन की वैक्सीन कंपनी ‘कैनसाइनो बायोलोजी’ ने इनसानी ट्रायल शुरू किया था। इसके साथ साथ अमेरिका की बायोटेक कंपनी ‘इनोवीओ’, ने क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया था।