पाक की साजिश नाकाम, गिलानी का निशान-ए- पाकिस्तान लेने से इनकार

घाटी के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को साध कर कश्मीरियों को साधने की पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर नाकाम हो गई है।

Update:2020-08-22 08:48 IST
पाक की साजिश नाकाम, गिलानी का निशान-ए- पाकिस्तान लेने से इनकार

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: घाटी के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को साध कर कश्मीरियों को साधने की पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर नाकाम हो गई है। दरअसल पाकिस्तान ने गिलानी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान देकर खुद को कश्मीर के लोगों का हमदर्द साबित करने का ढोंग रचा था मगर गिलानी ने यह सामान लेने से इनकार कर दिया है। इस बाबत सोशल मीडिया पर गिलानी का एक पत्र वायरल हो रहा है। हालांकि गंभीर रूप से बीमार होने के कारण गिलानी की ओर से इस पत्र की पुष्टि नहीं की गई है और उनके बेटे ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

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पाकिस्तान से नाराज हैं गिलानी

कट्टरपंथी नेता गिलानी ने पिछले साल जुलाई में हुर्रियत कान्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया था जबकि वह इसके आजीवन अध्यक्ष थे। उन्होंने पाकिस्तान से नाराजगी में यह कदम उठाया था क्योंकि उनका कहना था कि पाकिस्तान के इशारे पर गुलाम कश्मीर में हुर्रियत कान्फ्रेंस की इकाई के संयोजक अब्दुल्ला गिलानी को हटाया गया है।

गिलानी की ओर से पाकिस्तान सरकार और हुर्रियत नेताओं पर कई गंभीर आरोप भी लगाए गए थे। गिलानी को मनाने की कोशिशों के तहत ही पाकिस्तान की ओर से उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का फैसला किया गया था। माना जा रहा था कि पाकिस्तान के इस कदम से गिलानी की नाराजगी दूर हो जाएगी।

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सम्मान लेने खुद नहीं गए थे गिलानी

पाकिस्तान की ओर से गत 14 अगस्त को गिलानी को यह सम्मान प्रदान किया गया। हालांकि गिलानी यह सम्मान लेने के लिए खुद मौजूद नहीं थे और उनकी ओर से गुलाम कश्मीर में सक्रिय हुर्रियत नेताओं ने यह सम्मान हासिल किया था। उस समय गिलानी व उनके करीबियों द्वारा इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। गिलानी का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उनकी प्रतिक्रिया जानने की मीडिया की कोशिश में भी कामयाब नहीं हो सकी थी।

सोशल मीडिया में पत्र वायरल

अब सोशल मीडिया में दो दिनों से एक पत्र वायरल हो रहा है। यह पत्र कथित तौर पर गिलानी द्वारा लिखा गया है और इस पत्र में गिलानी ने निशान-ए-पाकिस्तान लेने से इनकार किया है। पत्र में कुछ सवाल भी उठाए गए हैं। गिलानी के पुत्र नसीम गिलानी ने इस पत्र और सम्मान को नकारने पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। गिलानी की नाती रुवा शाह ने अपने ट्वीट में लिखा है कि उनके नाना गंभीर रूप से बीमार है और कुछ भी लिखने में असमर्थ है। कुछ स्वार्थी लोग उनकी बीमारी का फायदा उठाकर अपना मकसद पूरा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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हुर्रियत नेता ने जताया शक

दूसरी ओर हुर्रियत कान्फ्रेंस के एक नेता ने पत्र की सच्चाई पर शक जताया है। उनका कहना है कि गिलानी गंभीर रूप से बीमार होने के कारण कुछ भी नहीं लिख सकते। उनके परिजनों की ओर से भी इस पत्र की कोई पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि इस नेता ने भी इस बात को स्वीकार किया गिलानी पाकिस्तान से नाराज हैं।

गिलानी को मिलती रही है पाक से मदद

घाटी में गिलानी के कट्टरपंथी विचारों को पाकिस्तानी सरकार का हमेशा समर्थन मिलता रहा है। उन पर टेरर फंडिंग के भी आरोप लग चुके हैं। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से गिलानी को हमेशा मदद मिलती रही है। पाक सरकार के गिलानी को सम्मानित करने के फैसले पर भी माना गया था कि उन्हें घाटी में अलगाववादी विचार फैलाने का पुरस्कार दिया गया है। हालांकि अब ऐसा पत्र सामने आया है जिसके मुताबिक गिलानी ने इस सम्मान को लेने से इनकार कर दिया है।

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