चीन में कैप्टन अमेरिका: युद्ध की तैयारी में चीनी सैनिक, दुनिया पर सबसे बड़ा खतरा
चीन अपने सैनिकों को इंसान से ज्यादा शक्तिशाली और ताकतवर बनाने की होड़ में लगा हुआ है। ऐसे में अपनी इस कोशिश को अंजाम देने के लिए चीनी सेना ने इंसानों पर इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली: चीन अब नई साजिश रचने की फिराक में है। इस बीच ताजा जानकारी मिली है कि चीन अपने सैनिकों को इंसान से ज्यादा शक्तिशाली और ताकतवर बनाने की होड़ में लगा हुआ है। ऐसे में अपनी इस कोशिश को अंजाम देने के लिए चीनी सेना ने इंसानों पर इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया है। ये चीनी सैनिक हॉलीवुड फिल्म 'कैप्टन अमेरिका' के हीरो की तरह अपने आप को ढाल रहे हैं। ये अन्य देशों के सैनिकों से खुद को अलग रखते हुए बहुत शक्तिशाली बनाने में लगे हुए हैं।
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सैनिकों को 'कैप्टन अमेरिका' जैसा शक्तिशाली ताकतवर
ऐसे में लद्दाख से लेकर ताइवान तक चीन पड़ोसियों की जमीन पर कब्जे की नापाक फिराक में लगा हुआ है। इस साजिश को अंजाम देने के लिए चीन कथित रूप से अपने सैनिकों को 'कैप्टन अमेरिका' जैसा शक्तिशाली ताकतवर बनाने में जुट गया है।
इस बारे में अमेरिकी खुफिया एजेंसी से सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों को सुपर सोल्जर बनाने के लिए चीन ने इंसानी परीक्षण शुरू कर दिया है। इसमें चीन को उम्मीद है कि इन परीक्षणों के जरिए जैविक रूप से ज्यादा ताकतवर सैनिकों को बनाया जा सकता है जो युद्ध के मैदान में आम सैनिकों पर भारी पड़ेंगे।
साथ ही डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में मई तक राष्ट्रीय खुफिया निदेशक रहे जॉन रैटक्लिफ ने चीन को लेकर यह चेतावनी दी है कि चीन अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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अमेरिकी कंपनियों की जगह
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक रैटक्लिफ ने चेताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और शेष मुक्त विश्व के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है। रेटक्लिफ ने लिखा, ‘खुफिया विभाग स्पष्ट है कि पेइचिंग का इरादा अमेरिका और बाकी दुनिया पर आर्थिक, सैन्य और तकनीक के लिहाज से दबदबा बनाने का है।'
आगे उन्होंने कहा कि चीन के कई बड़े पहल और कई बड़ी कंपनियां सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की गतिविधियों का छद्म रूप है और वह इस तरह के बर्ताव को जासूसी और डकैती करार देते हैं। चीन ने अमेरिका की कंपनियों की बौद्धिक संपदाएं चुराई हैं, उनके तकनीक की प्रतिकृतियां तैयार कीं और फिर वैश्विक बाजार में अमेरिकी कंपनियों की जगह ले ली।
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