धरती में खतरनाक बदलाव: इस तरह जिंदगियां होंगी प्रभावित, NASA की कड़ी चेतावनी
धरती की चुंबकीय शक्ति इतनी कमजोर हो गई है कि अगर इस इलाके के ऊपर से विमान गुजरता है तो उससे संपर्क स्थापित करने में परेशानी हो सकती है।
नई दिल्ली: धरती के मैग्नेटिक फील्ड (Earth Magnetic Field) में कुछ बेहद खतरनाक बदलाव हो रहे हैं, जिसे लेकर चेतावनी दी गई है। बताया जा रहा है कि जमीन के एक बड़े हिस्से में धरती की चुंबकीय शक्ति (Magnetic Force) कमजोर हो चुकी है। धरती की चुंबकीय शक्ति इतनी कमजोर हो गई है कि अगर इस इलाके के ऊपर से विमान गुजरता है तो उससे संपर्क स्थापित करने में परेशानी हो सकती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये समस्या और यह कैसे आई है?
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दस हजार किलोमीटर के हिस्से में कमजोर हुई चुंबकीय शक्ति
धरती के एक बहुत बड़े हिस्से में चुंबकीय शक्ति कमजोर हो चुकी है। जिस हिस्से में चुंबकीय शक्ति कमजोर हुई है, वह दस हजार किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस इलाके के तीन हजार किलोमीटर नीचे धरती के आउटर कोर तक चुंबकीय क्षेत्र की ताकत कमजोर हो चुकी है। अफ्रीका से लेकर दक्षिण अमेरिका तक की दूरी में धरती के अंदर मैग्नेटिक फील्ड की शक्ति कम हो गई है।
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कम हुई मैग्नेटिक फील्ड की शक्ति
सामान्य तौर पर इसे 32 हजार नैनोटेस्ला होनी चाहिए थी, लेकिन पिछले 50 सालों में यह घटकर 24 हजार से 22 हजार नैनोटेस्ला तक हो गई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने यह जानकारी शेयर की है। धरती की चुंबकीय शक्ति इतनी कमजोर हो गई है कि अगर इस इलाके के ऊपर से विमान गुजरता है तो उससे संपर्क स्थापित करने में परेशानी हो सकती है।
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नौ फीसदी की कम हुई चुंबकीय शक्ति
वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले 200 सालों में धरती की चुंबकीय शक्ति में तकरीबन नौ फीसदी की कमी आई है। लेकिन अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय शक्ति में काफी कमी आई है। साइंटिस्ट की भाषा में इसे साउथ अटलांटिक एनोमली (South Atlantic Anomaly) कहा जाता है। अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय फील्ड में आई कमी की वजह से उस इलाके के ऊपर चुंबकीय सुरक्षा लेयर कमजोर हो गई है।
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अंतरिक्ष से आने वाली रेडिएशन का ज्यादा होगा असर
चुंबकीय सुरक्षा लेयर कमजोर होने का मतलब है कि इस इलाके में अंतरिक्ष से आने वाली रेडिएशन का असर ज्यादा हो सकता है। जर्मन रिसर्च सेंटर शोधकर्ता जर्गेन मात्ज्का के मुताबिक, बीते कुछ दशकों में अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका तक के इलाके में चुंबकीय शक्ति तेजी से कम होती जा रही है। जर्गेन ने बताया कि अब हमें यह पता करना होगा कि धरती के केंद्र में हो रहे बदलावों से कितना बड़ा बदलाव आएगा।
जर्मन रिसर्च सेंटर शोधकर्ता जर्गेन मात्ज्का के मुताबिक, अब यह पता लगाना होगा कि क्या इससे धरती पर कोई बड़ी आपदा आने वाली है। आमतौर पर धरती की चुंबकीय शक्ति 2.50 लाख साल में बदलती है। लेकिन अभी इसमें काफी साल बाकी है।
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क्यों जरूरी है धरती की चुंबकीय शक्ति?
धरती की चुंबकीय शक्ति हम सभी की स्पेस से आने वाली रेडिएशन से बचाव करती है। चुंबकीय शक्ति के द्वारा ही सैटेलाइट, मोबाइल, चैनल जैसी सभी तरह की संचार प्रणालियां काम कर रही हैं।
कैसे पैदा होती है धरती की मैग्नेटिक फील्ड?
धरती की सतह से करीब तीन हजार किलोमीटर नीचे गर्म लोहे का बहता हुआ समंदर होता है। यह घूमता रहता है। इसके घूमने से अर्थ के अंदर इलेक्ट्रिकल करंट बनता है जो ऊपर आते-आते इलेक्ट्रोमैंग्नेटिक फील्ड में कनवर्ट यानी बदल जाता है।
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