पाक में हिन्दू बहनों के ‘जबरन’ धर्मांतरण और विवाह की जांच के लिए आयोग गठित

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सिंध प्रांत में दो नाबालिग हिन्दू लड़कियों के कथित अपहरण, जबरन धर्मांतरण और विवाह के मामले की जांच के लिए मंगलवार को पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया। इस घटना को लेकर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था।

Update: 2019-04-02 10:43 GMT

इस्लामाबाद: इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सिंध प्रांत में दो नाबालिग हिन्दू लड़कियों के कथित अपहरण, जबरन धर्मांतरण और विवाह के मामले की जांच के लिए मंगलवार को पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया। इस घटना को लेकर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था।

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याचिका में उन्होंने सुरक्षा की मांग की है

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश अतहर मीनाल्लाह की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय पीठ ने दो बहनों रीना एवं रवीना तथा उनके कथित पतियों सफदर अली और बरकत अली द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उन्होंने सुरक्षा की मांग की है।

लड़कियों ने याचिका में दावा किया कि वे सिंध के घोटकी के एक हिन्दू परिवार की सदस्य हैं लेकिन उन्होंने जानबूझकर धर्मांतरण किया क्योंकि वे इस्लाम धर्म की शिक्षा से प्रभावित हैं।

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लड़कियों के अभिभावकों के वकील ने हालांकि कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का मामला है। न्यायमूर्ति मीनाल्लाह ने इस मामले को सुलझाने के लिए सिफारिशें मांगी हैं।

उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जरूरत है। जांच करना न्यायपालिका का नहीं बल्कि सरकार का काम है।

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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को सुनिश्चित करना है कि कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हो। पीठ ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया। आयोग में केन्द्रीय मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी, मुफ्ती ताकी उस्मानी, डॉक्टर मेहदी, अधिवक्ता आईए रहमान तथा राष्ट्रीय महिला आयेाग की प्रमुख खावर मुमताज शामिल हैं।

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वीडियो में दिखाया गया था कि लड़कियों का अपहरण कर लिया गया है

 

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यह घटना उस समय प्रकाश में आई थी जब ऑनलाइन एक वीडियो में किशोरियों के पिता और भाई को यह दावा करते हुए दिखाया गया था कि लड़कियों का अपहरण कर लिया गया है और उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया है। इसके बाद आए एक अन्य वीडियो में दो लड़कियों ने दावा किया कि उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया है।

इस मामले में बवाल मचने पर, प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिंध और पंजाब सरकारों से इस मामले की जांच करने को कहा था।

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सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने घोटकी में जबरन धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लिया। वह इस समस्या का समाधान निकालने में सरकार की नाकामी से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाएं सिंध प्रांत के एक ही जिले में बार-बार क्यों हो रही हैं?’’

इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 11 अप्रैल तक स्थगित की।

(भाषा)

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