पाकिस्तानी हिंदुओं का सच: संसदीय समिति ने खोली पोल, सामने आई गंदी हकीकत

पाकिस्तान की संसदीय समिति ने माना कि हिंदू लड़कियों पर अत्याचार करने के साथ ही उन्हें जबरन ले जाने के लिए कई तरह के प्रलोभनों के जाल में फंसाया जाता है।

Update:2020-10-21 10:33 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। आखिरकार पाकिस्तान की संसदीय समिति ने भी उस सच्चाई पर मुहर लगा दी है जो बात भारत हमेशा कहता रहा है। पाकिस्तान की संसदीय समिति ने माना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है।

संसदीय समिति ने जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों के सिलसिले में सिंध प्रांत के कई इलाकों का दौरा करने के बाद इस बात को माना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार और जोर जबर्दस्ती की जा रही है। सीनेटर अनवारूल हक काकर की अध्यक्षता में गठित समिति ने सिंध प्रांत में बड़े पैमाने पर हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन और अत्याचार की इस सच्चाई को स्वीकार किया है।

जबरन धर्म परिवर्तन रोकने में सरकार विफल

संसदीय समिति के अध्यक्ष काकर ने सिंध प्रांत का दौरा करने के बाद कहा कि सरकार जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों को रोकने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि सरकार ने अपनी जिम्मेदारी ही नहीं निभाई। कई मामलों में लड़कियों जबरन धर्म परिवर्तन कराने का खुलासा हुआ है।

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उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की शिकार कुछ लड़कियों के मामले में तर्क दिया गया है कि इससे लड़कियों के जीवन स्तर में सुधार आएगा मगर इस दलील को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार का लालच देकर या आर्थिक आधार पर किया गया धर्म परिवर्तन भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पीड़ित परिवारों का विश्वास जीतना जरूरी

संसदीय समिति का मानना है कि हिंदू लड़कियों पर अत्याचार करने के साथ ही उन्हें जबरन ले जाने के लिए कई तरह के प्रलोभनों के जाल में फंसाया जाता है। इन घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग लड़कियों के परिवार के दर्द और उनके सम्मान की भी अनदेखी करते हैं।

ऐसे लोगों को यह बात सोचनी चाहिए कि उनके परिवार की लड़कियों के साथ ऐसी घटना हो तो उन्हें कैसा लगेगा। समिति ने कहा कि सबसे जरूरी भारतीय है कि पीड़ित परिवारों का विश्वास जीता जाए।

नियमों में बदलाव की सिफारिश

संसदीय समिति ने हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन वाले जिलों में नियमों में बदलाव करने की सिफारिश भी की है। ‌समिति ने सुझाव दिया है कि इसके लिए जिला प्रशासन को पहल करनी चाहिए। प्रशासन की ओर से नियम बनाया जाना चाहिए कि किसी भी लड़की के विवाह में उसके माता-पिता के संरक्षण की उपस्थिति अनिवार्य की जाए और पहले उनकी सहमति ली जाए।

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ऐसी लड़कियों को भी समझाया जाना चाहिए कि सहमति और जबरन किए गए विवाह में क्या अंतर है। समिति ने कहा कि नाबालिग लड़कियों के मामले में तो यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

भारत लगातार उठाता रहा है मुद्दा

दरअसल पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की बातें नई नहीं हैं। भारत ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की पोल खोली है।

पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की नहीं बल्कि ईसाई युवतियों के जबरन धर्म परिवर्तन किए मामले भी सामने आए हैं। इस वर्ग से जुड़े ज्यादा मामले पंजाब में सामने आए हैं।

पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत

सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण शर्मा का कहना है कि पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है मगर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

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शिकायत करने पर भी ऐसे मामलों में प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई मदद नहीं मिलती। उनका कहना है कि सच्चाई यह है कि पूरे देश का सिस्टम ऐसे मामलों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है। अदालतों की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध है क्योंकि अदालतों की ओर से भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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