HOWDY MODI: पीएम मोदी का दिवाना होगा अमेरिका, ट्रंप की अग्निपरीक्षा
बता दें कि मोदी का यह मेगा शो हयूस्टन और अमेरिका में रह रही भारतीय आबादी की तादाद और शक्ति का जोरदार प्रदर्शन है। मोदी पहले भी दो बार ऐसी सभाएं कर चुके हैं मगर इस बार अमेरिका में चुनाव भी होने हैं।
नई दिल्ली: रविवार सुबह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ह्यूस्टन में एनआरजी स्टेडियम के मंच पर पहुंचेंगे तो करीब 50 हजार भारतीय अमेरिकी और 1500 से ज्यादा वॉलेंटियर्स की एक ही आवाज होगी 'Howdy, Modi'। यह पहला मौका है जब आगामी अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका में मौजूद होंगे।
खास बात यह है कि इस कार्यक्रम को लेकर इतना भव्य तैयारी हो रही है,इसके बारे में टेक्सास इंडिया फोरम ने भी नहीं सोचा होगा बताते चलें कि इस महाआयोजन के लिए चुना गया यह catchy slang, buzzword बन चुका है।
बता दें कि मोदी का यह मेगा शो हयूस्टन और अमेरिका में रह रही भारतीय आबादी की तादाद और शक्ति का जोरदार प्रदर्शन है। मोदी पहले भी दो बार ऐसी सभाएं कर चुके हैं मगर इस बार अमेरिका में चुनाव भी होने हैं।
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बता दें कि मोदी पहले भी दो बार ऐसी सभाएं कर चुके हैं लेकिन इस बार पैमाना इसलिए बड़ा हो जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इसमें शामिल हो जाने से सारी दुनिया की निगाहें इस रैली पर हैं। दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र प्रमुख एक मंच पर होंगे।
मोदी, भारत और अमेरिकी भारतीयों के लिए टेक्सास का महत्व...
अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है, जिसका नाम है, Howdy Modi। खास बात यह है कि टेक्सास ही नहीं वरन् अमेरिका के 48 राज्यों से लोग हाउडी मोदी का हिस्सा बनेंगे। मोदी के अमेरिकी दौरे की तारीख तय होते ही हयूस्टन की अमेरिकी कम्युनिटी और टेक्सास की कई इंडियन एसोसिएशन ने बिना देरी किए मिलकर टेक्सास इंडिया फोरम बनाई। बताया जा रहा है कि करीब 600 इंडियन एसोसिएशन अब इस फोरम का हिस्सा हैं।
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स्पेस सेंटर नासा...
बताते चलें कि जॉनसन स्पेस सेंटर नासा के लिए मशहूर हयूस्टन को दुनिया का एनर्जी कैपिटल भी कहा जाता है। यह 500 से ज्यादा ऑयल और गैस एक्स्प्लोरेशन फर्म का घर है। अपनी नौ रिफाइनरी से 2.3 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन करने वाला हयूस्टन दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है। इसके साथ ही भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ एनर्जी मार्केट है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी...
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में देश का फॉरेन एनर्जी इंवेस्टमेंट 85 बिलियन डॉलर है। जो कि एनर्जी इंवेस्टमेंट के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा है।
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एक ट्रिलियन डॉलर...
मोदी का अमेरिका यात्रा भारत के विकास में भई काफी मददगार साबित हो सकता है। बताते चलें कि भारत और अमेरिका के बीच करीब एक ट्रिलियन डॉलर के एनर्जी प्रोजेक्ट भी दांव पर हैं। मोदी यहां कई बड़ी कंपनियों के सीईओ से मिलकर एलपीजी के आयात से जुडे मुददों पर भी बात करेंगे। यही वजह है कि न सिर्फ भारतीय अमेरिकी आबादी बल्कि व्यापार के लिहाज से भी हयूस्टन इस रैली के लिए बेहतर विकल्प बना।
Howdy Modi और ट्रंप का चुनाव...
Howdy Modi एक त्यौहार की तरह शुरू हुआ था, लेकिन यह इवेंट पूर्ण रूप से राजनैतिक रूप ले चुका है। यही कारण है कि अमेरिका में राजनैतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे भारतीय समुदाय से जुड़ने का मौका ट्रंप भी नहीं छोड़ पाए। इस रैली में शामिल होने का उनका एजेंडा 2020 का प्रेसिंडेशियल इलेक्शन हो सकता है।
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लक्ष्य है भारतीय अमेरिकी वोटर...
हर कोई जानता है, पीएम मोदी एक लोकप्रिय नेता है, हर कोई चुनाव के लिए मोदी नाम का महतत्व जानता है। बात करते हैं 2016 के राष्ट्रपति चुनावों को देखें तो पाएंगे करीब 77 फीसदी भारतीय अमेरिकियों ने डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था। लगभग 40 लाख भारतीय अमेरिकी वोटरों को लुभाने का इससे अच्छा मंच ट्रंप को नहीं मिलेगा।
भारतीयों की बढ़ती राजनैतिक ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के प्रचार के लिए भी भारतीय अमेरिकियों ने तीन मिलियन डॉलर की राशि दी है।
साथ ही बताया जा रहा है कि ट्रंप का सहयोग करने वाली कमेटी को भी भारतीय अमेरिकियों ने एक लाख डॉलर की राशि दी है। पिछले चुनाव में भी भारतीय मूल के शलभ कुमार ट्रंप की कमेटी को एक मिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि देने के लिए सुर्खियों में रहे थे।
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भारत और अमेरिका के संबंधों में मजबूती...
मोदी और ट्रंप की दोस्ती पर नजर डाला जाये तो, इतनी बड़ी रैली में साथ आने से भारत और अमेरिका के संबंधों में तो मजबूती आई ही है, गैर प्रवासी भारतीयों के मन में भी उम्मीद की किरण जागी है।
हालांकि वीजा नियमों में सख्ती और बदलावों से अनिश्चितता के माहौल में जी रहे इन भारतीयों का मन जीतना ट्रंप के लिए आसान नहीं होगा।
ट्रंप ने कड़े किये थे इमीग्रेशन नियम...
2017 में राष्ट्रपति बनने के साथ ही ट्रंप ने इमीग्रेशन नियम कड़े कर दिए थे। इसका पहला असर उन विशेष योग्यता वाले प्रोफेशनल्स पर पड़ा, जिन्हें अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B visa दिया जाता था। H-1B visa पर सख्ती के बाद अब बारी है 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के पहले H-4 वीजा धारकों के काम करने के अधिकार को खत्म करने की। ये वीजा H-1B वीजा पाने वालों की पत्नी और उनके 21 साल से छोटे बच्चों को मिलता है।
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ओबामा का H-4 वीजा...
2015 में ओबामा ने H-4 वीजा होल्डर्स को अमेरिका में काम करने का अधिकार दिया था। इसके खत्म होने से करीब एक लाख लोगों पर असर पड़ेगा जिसमें अधिकांश भारतीय हैं। यह वही 1 लाख हैं, जिन्होंने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया हुआ है। ग्रीन कार्ड की बात की करें तो यह भारतीयों के लिए कभी खत्म न होने वाली दौड़ की तरह है।
दरअसल, ग्रीन कार्ड के मुताबिक हर साल हर देश से सिर्फ सात फीसदी लोगों को ही ग्रीन कार्ड मिलता है। जहां कम आबादी वाले देशों के लोगों को तो ग्रीन कार्ड एक या दो साल में ही मिल जाता है वहीं पुराने जमा आवेदनों की वजह से भारतीयों को इसमें दस से बारह साल तक लग जाते हैं। करीब 3 लाख भारतीय अभी भी ग्रीन कार्ड आवेदन की कतार में हैं।
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मातृभूमि के प्रति प्यार...
Howdy Modi कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के आने से उत्साहित अमेरिकी-भारतीयों की लालसा अपनी मातृभूमि के प्रति प्यार औेर समर्पण दर्शाने की थी।
लेकिन, टेक्सास के ह्यूस्टन में होने जा रहे इस महा-सम्मेलन में ट्रंप के आने से कई उम्मीदें जुड़ गई हैं।
देखना यह है कि क्या भारतीय अमेरिकी समुदाय के इस महाआयोजन से अमेरिका में रह रहे गैर प्रवासी भारतियों की दिक्कतों में कमी आएगी या वीजा संबंधी कानून उन्हें डराते रहेंगे।