रूसी वैक्सीन पर पुतिन के बड़े दावे मगर विशेषज्ञों ने दी ये बड़ी चेतावनी
पूरी दुनिया इस समय कोरोना के कहर से बेहाल है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बना लेने का दावा किया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस समय कोरोना के कहर से बेहाल है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बना लेने का दावा किया है। उन्होंने दावा किया है कि यह वैक्सीन कोरोना से लड़ने में कारगर व सुरक्षित है और शरीर में बेहतर इम्युनिटी तैयार करती है। दुनिया के 20 से अधिक देशों ने इस रूसी वैक्सीन की करोड़ों डोज की मांग की है। फिलीपींस के राष्ट्रपति ने इस वैक्सीन को लगवाने की घोषणा तक कर दी है। उधर वैज्ञानिकों को रूस के दावे पर भरोसा नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रूस के शॉर्टकट से लोगों की सेहत को खतरा पैदा हो सकता है।
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वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरी
रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि यह वैक्सीन उनकी बेटी को भी लगी है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा। उनका कहना है कि बेटी को दूसरी खुराक के बाद बुखार आया मगर थोड़ी देर बाद सबकुछ सामान्य हो गया और वह पूरी तरह स्वस्थ है। एंटीबॉडीज का स्तर भी अधिक दिखा। उन्होंने दावा किया कि वैक्सीन सभी सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है और जल्दी बड़ी संख्या में इसका उत्पादन किया जाएगा।
वैक्सीन की पूरी दुनिया में भारी मांग
रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड आरडीआईएफ के प्रमुख किरिल दमित्रीवे का कहना है कि 20 से अधिक देशों में वैक्सीन की करोड़ों डोज की मांग की है। उन्होंने कहा कि मांग करने वालों में लैटिन अमेरिकी, मध्य पूर्व और कुछ एशियाई देश शामिल हैं। कुछ देशों के साथ डील हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि तीसरे चरण का ट्रायल यूएई और सऊदी अरब समेत अन्य देशों में होगा।
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शॉर्टकट अपनाने से वैक्सीन पर संदेह
इस बीच वैज्ञानिकों ने रूस के दावे पर संदेह जताया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रूस ने जितनी तेजी के साथ वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है, उसे लेकर संदेह पैदा होता है। ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना और फाइजर जैसे संस्थानों के वैज्ञानिकों का कहना है कि रूस ने वैक्सीन विकसित करने के लिए शॉर्टकट अपनाया है और इससे लोगों की सेहत को खतरा पैदा हो सकता है।
वैक्सीन का सुरक्षित होना सबसे जरूरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी भी वैक्सीन के मनुष्यों पर ट्रायल में लंबा समय लगता है जबकि रूस ने यह काम दो महीने से भी कम समय में कर लिया है। कम समय में किसी भी वैक्सीन के सभी तरह के परीक्षण नहीं पूरे किए जा सकते।
यूनाइटेड हेल्थ एंड ह्यून सर्विसेज के सचिव एलेक्स अजर ने कहा कि किसी भी वैक्सीन का सुरक्षित होना सबसे महत्वपूर्ण है न कि सबसे पहले बनाना। ट्रायल के आंकड़े पारदर्शी तरीके से पेश करने से उसकी सुरक्षा और असर का पता लगाया जा सकेगा।
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वैक्सीन कारगर और सुरक्षित नहीं
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट लॉरेस गोस्टिन ने कहा कि रूस के शॉर्टकट अपनाने के कारण यह वैक्सीन न तो कारगर साबित होगी और न ही सुरक्षित। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि वैक्सीन की अनुमति देने से पहले उसके असर और सुरक्षा को जांचा जाता है। उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।
38 लोगों पर किया गया परीक्षण
दूसरी और रूस का कहना है कि इस वैक्सीन का ट्रायल 18 जून को शुरू हुआ था। 18 जून को 38 लोगों पर इसका परीक्षण शुरू किया गया था। पहले समूह के लोगों को 15 और दूसरे समूह के लोगों को 20 जुलाई को डिस्चार्ज किया गया है।
फिलीपींस के राष्ट्रपति का बड़ा एलान
उधर फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने रूसी वैक्सीन के प्रति पूरा भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि मैं खुद से सबसे पहले इस वैक्सीन को जनता के बीच लगवाऊंगा। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इस वैक्सीन के आने से कोरोना संकट से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
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