कपाने वाला खुलासा: महिलाओं की ऐसी दुर्दशा सुन रोंगते खड़े हो जाएगें, आ गई रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) छोड़कर जाने वाली और फिर देश को लौटने के लिये मजबूर की गईं महिलाओं की दिल दहला देने वाली जानकारी सामने आई है।

Update:2020-07-30 17:57 IST

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) छोड़कर जाने वाली और फिर देश को लौटने के लिये मजबूर की गईं महिलाओं की दिल दहला देने वाली जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट में उन महिलाओं के बारे में जानकारी दी गई है जिन्हें वापस लौटने पर यातनाएं दी गईं और उनके साथ शारीरिक तौर पर भी काफी बुरा सलूक किया गया। इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, उत्‍तर कोरिया ने कई तरह से इनके साथ मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है।

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महिलाओं की दर्दनाक कहानी

ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की इस रिपोर्ट में लगभग सौ महिलाओं के एक्सपीरियंस को शामिल किया गया है। इन महिलाओं का कहना है कि वर्ष 2009 से 2019 के बीच उन्‍हें शारीरिक और मानसिक हिंसा झेलनी पड़ी और उन्‍हें व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से दंडित किया गया।

यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि य‍े महिलाएं आखिरकार वहां से भागने में सफल हुईं और उनकी कहानी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट के जरिए सामने आ सकी। यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट के अनुसार, अपना देश छोड़कर भागने वाली इन महिलाओं की व्यथा को सुनना ह्रदय विदारक है।

उनके हिसाब से ये महिलाएं ज्यादातर शोषण और तस्करी का शिकार होती रही हैं। इन्‍हें हिरासत में लेने से अच्छा है इनका ख्‍याल रखना। आगे उन्‍होंने कहा कि इन्‍हें हिरासत में लेकर उनके मानवाधिकारों का और ज्‍यादा उल्लंघन करने से बचना चाहिए। इन महिलाओं को न्याय पाने, सच जानने और मुआवजा पाने का अधिकार है।

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मानवाधिकारों का उल्लंघन

साथ ही यूएन एजेंसी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया में देश के नागरिकों द्वारा विदेश यात्रा पर लगभग पूरी तरह से मनाही है। इसके बाद नए जीवन की तलाश में महिलाएं ज्यादातर खतरा उठाकर दूसरे देशों की यात्राएं करने के लिये मजबूर होती हैं।

इसके बावजूद जो भी महिला अपने देश वापस लौट आती है उसको हिरासत में ले लिया जाता है और अक्सर बिना किसी अदालती कार्रवाई के और अंतरराष्‍ट्रीय मानकों का पालन किए बिना ही सजा सुना दी जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेश वापिस लौटने वालों को अक्सर देशद्रोहियों के रूप में देखा जाता है।

इसमें भी साउथ कोरिया जाने या ईसाई समूहों के साथ संपर्क साधने वाली महिलाओं को तो और बुरा वक्‍त झेलना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें दंडित करते समय मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जाता है।

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बेहद बुरा सलूक

इस रिपोर्ट में नॉर्थ कोरिया छोड़कर चीन भागने वाली एक महिला की कहानी को भी बताया गया है। इसमें महिला ने बताया कि शुरुआती जांच के दौरान पुलिस अधिकारी ने उसके साथ मारपीट की और बेहद बुरा सलूक किया गया।

आगे उस महिला ने बताया कि चीन में रहने के दौरान यदि किसी ने दक्षिण कोरियाई चर्च से संपर्क साधा तो समझिए पकड़े जाने पर उसकी मौत तय है। इस महिला का कहना था कि उसने कई सारी जानकारियां छिपाईं लेकिन इसकी उन्‍हें बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी।

इसके बाद कई महिलाओं का गर्भपात भी कराया गया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्ज मामले स्पष्ट रूप से अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत उत्तर कोरिया के तय दायित्वों का उल्लंघन है।

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