टिक टॉक के मुद्दे पर टकराव बढ़ा, ट्रंप के कड़े रुख पर चीन ने दी ये धमकी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि टिक टॉक को माइक्रोसॉफ्ट या किसी और अमेरिकी कंपनी को बेचने का सौदा 15 सितंबर तक नहीं पूरा किया गया तो इसे बैन कर दिया जाएगा।

Update: 2020-08-04 17:43 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: टिक टॉक के मुद्दे पर अमेरिका और चीन में टकराव काफी बढ़ गया है और दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि यदि टिक टॉक को माइक्रोसॉफ्ट या किसी और अमेरिकी कंपनी को बेचने का सौदा 15 सितंबर तक नहीं पूरा किया गया तो इसे बैन कर दिया जाएगा।

अब चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। चीन का कहना है कि वह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा TikTok को खरीदने की मंजूरी नहीं देगा। चीन का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर अमेरिकी अधिग्रहण को स्वीकार नहीं करेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने तय की है यह डेडलाइन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिक टॉक को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि माइक्रोसॉफ्ट या एक और अमेरिकी कंपनी को टिक टॉक का सौदा 15 सितंबर से पहले ही पूरा कर लेना चाहिए। इस डेडलाइन के बाद और समय नहीं दिया जा सकता और अगर यह सौदा तब तक नहीं हुआ तो TikTok को बैन कर दिया जाएगा।

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ट्रंप का यह भी कहना है कि TikTok की बिक्री में अमेरिका को भी पर्याप्त रूप से पेमेंट करना होगा। ग्लोबल टाइम्स के एडिटर इन चीफ ‌हू शी जिन ने इसे खुली तो डकैती बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति इस धमकी के बाद अब चीन खुलकर सामने आ गया है।

कंपनी को जबरन नहीं खरीदने देंगे

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि यह प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर स्वीकृत चोरी के समान है। चीन की किसी आईटी कंपनी को जबरन खरीदने जैसी हरकतों को चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका का ट्रंप प्रशासन अपनी योजनाबद्ध लूट और हड़पने की नीति को अंजाम देता है तो अमेरिका को कड़ा जवाब देने के बहुत सारे तरीके हैं। ‌

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चीन कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र

चीन किसी भी सूरत में अमेरिकी अधिग्रहण को मंजूरी नहीं दे सकता। यदि इस काम के लिए जबरन मजबूर किया गया तो चीन वाशिंगटन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। वैसे अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि चीन अमेरिका को जवाब देने के लिए क्या तरीका अपनाएगा। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि चीन के पास अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा करने के लिए सीमित क्षमता है। चीन पहले भी टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों के लिए अमेरिका की आलोचना कर चुका है।

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भारत में किया जा चुका है बैन

टिक टॉक को देश-विदेश में काफी कामयाबी मिली है और इस कामयाबी की बदौलत ही बाइट डांस दुनिया की सबसे बड़ी स्टार्टअप बनने में कामयाब हुई है। भारत में भी इस कंपनी ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की है मगर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनातनी के बाद मोदी सरकार की ओर से इसे बैन किया जा चुका है। अब अमेरिका में भी टिक टॉक ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है। अमेरिकी सांसदों का भी कहना है कि डाटा को वैक्यूम करके टिक टॉक कंपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है।

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