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Today Special: आज है विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस, इस तरह भगायें रोग 

आपको बता दें कि ऑस्टियोपोरोसिस यानी अस्थिभंगुरता एक छुपा चोर है, जो दबे पांव आता है,और पूरे शरीर को खोखला कर देता है।दरअसल, ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह हड्डी का एक ऐसा रोग है जिससे फ़्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है। दुनियाभर में आज विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जा रहा है।

Harsh Pandey
Published on: 6 Sept 2023 7:15 PM IST
Today Special: आज है विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस, इस तरह भगायें रोग 
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नई दिल्ली: ऑस्टियोपोरोसिस, अरे मुझे! कैसे हो गया, यह बात सुनकर हर कोई चौक जाता है, स्वास्थ्य के बारे में पूरी सावधानी बरतने वाली स्त्रिंया भी सोच में पड़ जाती हैं कि यह मुझे कैसे हो सकता है..

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आपको बता दें कि ऑस्टियोपोरोसिस यानी अस्थिभंगुरता एक छुपा चोर है, जो दबे पांव आता है,और पूरे शरीर को खोखला कर देता है।

दरअसल, ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है।

यह हड्डी का एक ऐसा रोग है जिससे फ़्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है। दुनियाभर में आज विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जा रहा है।

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ऑस्टियोपोरोसिस...

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बचपन में 20 साल की उम्र तक नई हड्डी बनने की रफ्तार ज्यादा होती है व पुरानी हड्डी गलने की कम होती है। फलस्वरूप हड्डियों का घनत्व ज्यादा होता है और वे मजबूत होती हैं। तीस साल की उम्र तक आते-आते हड्डियों का गलना (क्षीण होना) बढ़ने लगता है व नई हड्डी बनने की रफ्तार कम होने लगती है। यह बढ़ती उम्र की नियमित प्रक्रिया है।

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ऑस्टियोपोरोसिस शब्द ग्रीक एवं लैटिन भाषा है। 'ऑस्टियो' का मतलब हड्डी व 'पोरोसिस' का मतलब छिद्रों से भरा हुआ। हड्डी एक जीवित अंग है, जीवन भर पुरानी हड्डी गलती जाती है व नई बनती जाती है।

जब कई कारणों से गलन की रफ्तार अधिक हो जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस या अस्थिभंगुरता हो जाती है। इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व (लंबाई, मोटाई, चौड़ाई) कम हो जाता है।

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कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर और खोखली हो जाती हैं, जिससे शरीर आगे की ओर झुकता है व मामूली चोट से हड्डियों के फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में यह समस्या 4 गुना ज्यादा होती है। 50 वर्ष के बाद कूल्हे एवं रीढ़ की हड्डी के फ्रेक्चर की आशंका 54 प्रतिशत बढ़ जाती है व 20 प्रतिशत मृत्यु दर बढ़ जाती है।

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इसकी शुरुआत में छोटे-छोटे क्रेक फ्रेक्चर होने से रीढ़ की हड्डी के मनके जुड़कर ऊँचाई कम लगने लगती है। कभी-कभी शरीर आगे की ओर झुकता है व कूबड़ निकलने लगता है। चलने की गति कम हो जाती है। जमीन पर पकड़ कम होने लगती है। बैलेंस बिगड़ने से गिरने की आशंका बढ़ जाती है।

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यह हड्डी का एक ऐसा रोग है जिससे फ़्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है। समय के साथ हड्डियों को कमजोर होने या ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचा नहीं जा सकता लेकिन इसकी प्रक्रिया को जरूर धीमी किया जा सकता है। जो लोग इस प्रकिया को जानते हैं उन्हें बुढ़ापे में भी यह रोग छू नहीं पाता।

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क्या कहते हैं डॉक्टर...

देश में हर 2 में से 1 स्त्री जो 45 वर्ष पार है, वह ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित है। यदि आपकी उम्र 40 से ज्यादा है, यदि आप रजोनिवृत्त महिला हैं, यदि आपके जोड़ों में दर्द रहता है। हड्डियों में कमजोरी महसूस होती है। अधिक धूम्रपान करते हैं, तो आप ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हो सकते हैं।

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कैसे भगायें रोग, रहें निरोग...

डॉक्टर कहते हैं कि हड्डियों का विकास 30-32 साल तक होता है और 42 से 45 साल तक हड्डियां स्थिर होती हैं। 45 साल के बाद इन पर उम्र का असर पड़ने लगता है, इसके बाद यह कमजोर होने लगती हैं। किसी वजह से अगर 32 साल के पहले व्यायाम और शारीरिक श्रम के अलावा पौष्टिक भोजन लिया जाए तो हड्डी मजबूत हो जाती है और बोन मास बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को बुढ़ापे में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।

इस कारण होता है ऑस्टियोपोरोसिस...

ऑस्टियोपोरोसिस से सबसे ज्यादा वो लोग जूझ रहे हैं जिनकी फिजिकल एक्टिविटी कम होती है। इसके अलावा जेनेटिक फैक्टर, प्रोटीन, विटामिन डी और कैल्शियम की भी शरीर में कमी इस रोग से व्यक्ति को जकड़ लेती है।

इसके साथ ही साथ ज्यादा शराब पीने, स्मोकिंग, डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियों के साथ महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना या मीनोपॉज की स्थिति में भी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत हो सकती है।

ऑस्टियोपोरोसिस के यह है लक्षण...

शरीर में लगातार थकावट, हाथ और पांव में दर्द रहना, कमर में दर्द की शिकायत, हल्की चोट पर हड्डियों का टूटना, काम की इच्छा न करना

इस तरह बरते सावधानी...

1. खाने में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त पदार्थों को शामिल करें।

2. हर रोज कम से कम 15-20 मिनट धूप में जरूर बैठें।

3. हर रोज कम से कम 45 मिनट व्यायाम करें या खेलें।

4. धूम्रपान और शराब से दूर रहें।

5. उम्र 40 पार है और हल्की चोट पर फ्रैक्चर होने पर बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं



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