सूपड़ा साफ होने पर छलका चौधरी का दर्द, हमारे मुस्लिम वोट टीएमसी को हो गए ट्रांसफर
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।
नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। 44 सीटों से शून्य पर पहुंचने का दर्द बयां करते हुए चौधरी का कहना है कि हमारे मुस्लिम वोट टीएमसी के खाते में ट्रांसफर हो गए ।और इसके अलावा लेफ्ट ने भी अपना वोट टीएमसी को ट्रांसफर कराया है।
पश्चिम बंगाल के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सीट नहीं मिल सकी। मगर सबसे जोरदार झटका कांग्रेस को ही लगा है। कांग्रेस इस बार के चुनाव में अपना खाता खोलने में भी कामयाब नहीं हो सकी। पार्टी ने बंगाल में चुनाव की कमान पूरी तरह पर चौधरी को ही सौंप रखी थी ।और अब चौधरी ने पार्टी की हार के कारणों का खुलासा किया है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वामदलों और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएएफ के साथ गठबंधन किया था। 2016 के चुनाव के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी मगर इस बार के चुनाव में उसका सूपड़ा ही पूरी तरह साफ हो गया।
चौधरी ने कहा कि भाजपा ने चुनाव के दौरान पोलराइजेशन का पूरा प्रयास किया मगर उसे पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली मगर मुस्लिम वोट बैंक के ध्रुवीकरण का टीएमसी को जबर्दस्त फायदा हुआ। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले मुर्शिदाबाद और मालदा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक का ध्रुवीकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बलों की फायरिंग में सीतलकुची में चार युवकों की मौत हुई और सभी अल्पसंख्यक समुदाय के थे। इसके बाद मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण में और तेजी आई। टीएमसी ने ऐसी स्थिति का फायदा उठाते हुए मुस्लिम वोट बैंक के ध्रुवीकरण में कामयाबी हासिल की। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ममता बनर्जी महिलाओं का भरोसा जीतने में भी कामयाब रहीं।
लेफ्ट के वोट भी टीएमसी को ट्रांसफर
कांग्रेस नेता ने लेफ्ट वोटों के टीएमसी की तरफ ट्रांसफर होने के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर लेफ्ट के वोटों का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसफर हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कांग्रेस का वोट भी काफी हद तक टीएमसी के ही खाते में चला गया। उन्होंने कहा कि बंगाल में कांग्रेस को मुस्लिम मत मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार यह वोट बैंक भी पूरी तरह टीएमसी को ही ट्रांसफर हो गया जिसके चलते यह स्थिति पैदा हुई कि कांग्रेस को एक भी सीट पर कामयाबी नहीं मिल सकी। आगे कहा कि कांग्रेस को इसलिए जबर्दस्त झटका लगा क्योंकि धार्मिक आधार पर मतों का बंटवारा हो गया। भाजपा को हिंदू वोट बैंक का सहारा मिला जबकि मुस्लिम वोट बैंक टीएमसी के खाते में चला गया। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के लिए कुछ भी नहीं बचा। 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 12.25 फीसदी मत पाने में कामयाब हुई थी और उसने 44 सीटों पर कब्जा किया था मगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 5.75 फीसदी मत मिले थे मगर फिर भी उसने 2 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस हाईकमान ने नहीं ली दिलचस्पी
इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस हाईकमान ने भी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली। शुरुआती चरणों में प्रचार करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल का एक भी दौरा नहीं किया। बाद में वे पश्चिम बंगाल जरूर पहुंचे मगर तब तक कोरोना का प्रकोप फैलने लगा था और उसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल का अपना दौरा रद्द कर दिया।
गढ़ में भी हो गया कांग्रेस का सूपड़ा साफ
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले मालदा और मुर्शिदाबाद में भी पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा सकी और इसी का नतीजा था कि उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई। पश्चिम बंगाल में करीब 22 वर्षों तक कांग्रेस का शासन रहा है और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अब कांग्रेस को राज्य में खड़ा करने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दो बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं और ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस के लिए संभावना काफी कम दिख रही है।
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