Asansol Byelection 2022: आसनसोल में ममता को अभी भी है एक अदद जीत की तलाश

Asansol Byelection 2022: पश्चिम बंगाल में होने जा रहे आसनसोल लोकसभा उपचुनाव (Asansol Lok Sabha by-election) पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-04-09 11:22 GMT

आसनसोल लोकसभा उपचुनाव: Photo - Social Media

Asansol by election: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में होने जा रहे आसनसोल लोकसभा उपचुनाव (Asansol Lok Sabha by-election) पर सबकी निगाहें टिकी हैं। हालिया विधानसभा चुनावों के बाद संभवतः ये पहला ऐसा उपचुनाव जिसकी चर्चा सियासी गलियारे में खूब हो रही है। विपक्ष की सबसे तेजतर्रार नेताओं में गिनी जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने इस चुनाव को लेकर ऐसा माहौल बना दिया है कि जिससे बीजेपी (BJP) के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर करो या मरो वाली स्थिती पैदा हो गई है।

तृणमुल कांग्रेस (Trinamool Congress) सुप्रीमो ने बंगाल में बीजेपी (BJP) की सबसे मजबूत मानी जानी वाली इस सीट से उसके युवा और तेजतर्रार नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रियो को अपने पाले में लाकर इस सीट से उपचुनाव में एक बिहार से ताल्लूक रखने वाले एक पूर्व भाजपाई को मैदान में उतार दिया है। बिहारी बाबू के नाम से प्रसिध्द फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा जहां इस सीट से टीएमसी उम्मीदवार हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा आसनसोल लोकसभा सीट पर उम्मीदवार की पैराशूट लैंडिग को लेकर काफी बातें हो रही हैं। वहीं बीजेपी ने आसनसोल दक्षिण से विधायक अग्निमित्रा पॉल को अपने इस गढ़ को बचाने की जिम्मेदार सौंपी है।

आसनसोल कभी नहीं जीत पाईं ममता

पश्चिम बंगाल की राजनीत में अंगद के पांव की तरह अपना पैर जमाने वाली तृणमुल कांग्रेस प्रमुख और सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब तक लेफ्ट और कांग्रेस के कई गढ़ को ढहा चुकी हैं। लेकिन सनू 1998 में टीएमसी के गठन के बाद से आज तक वो आसनसोल लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है। वेस्ट बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर आसनसोल की वहां की राजनीति में काफी अहमियत है।

2011 में दशकों से चले आ रहे वामपंथी शासन को समाप्त करने वाली ममता बनर्जी लेफ्ट और कांग्रेस को उनके तमाम गढ़ों से खदेड़ चुकी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में 42 में से 34 सीटें हासिल करने वालीं टीएमसी को आसनसोल में बीजेपी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। तब पहली बार गायक से राजनेता बने बाबूल सुप्रियो ने यहां कमल खिलाया था और वे मंत्री भी बने थे। 2019 में भी वे यह सीट निकालने में कामयाब रहे, जिसके बाद बंगाल में इस सीट को बीजेपी के नए किले के तौर पर देखा जाने लगा।

आसनसोल यानि सीपीएम का गढ़

आसनसोल लोकसभा सीट शुरूआत में कांग्रेस (Congress) का गढ़ रहा। लेकिन बहुत जल्द ही यह वामपंथी दल के कब्जे में आ गया है। 1989 से लेकर 2014 तक इस सीट पर माकपा का एकछत्र राज रहा । उससे पहले भी पार्टी दो दफे चुनाव जीत चुकी थी। माकपा उम्मीदवार दो बार वर्ष 71-77 और वर्ष 77-80 संसदीय कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद इंदिरा गांधी की लहर में दो बार 1980-84 और 1984-89 में कांग्रेस उम्मीदवार जीतने में सफल रहा। सीपीएम के इस गढ़ में बीजेपी ने सेंध लगाई। बीजेपी ने लगातार 2014 और फिर 2019 में जीत दर्ज की। वहीं अब सीएम ममता बनर्जी बीजेपी के इस गढ़ को ध्वस्त कर इस सीट पर पहली जीत के साथ अपना खाता खोलना चाहती हैं।

आसनसोल में बाहरी बनाम बंगाली (Bahri vs Bengali) का मुद्दा

2021 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बाहरी बनाम बंगाली का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। चुनाव परिणाम बताते हैं कि ममता अपना संदेश जनता तक पहुंचाने में कामयाब रही। बीजेपी को बाहरी के तौर पर प्रोजेक्ट करना टीएमसी का सफल दांव साबित हुआ। मुश्किल मानी जा रही लड़ाई में टीएमसी ने पिछली बार से भी भारी जीत हासिल की। टीएमसी की यही रणनीति आसनसोल में अब बीजेपी अपनाने जा रही है। बिहार से आने वाले फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा को टीएमसी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं उनके सामने बीजेपी की स्थानीय नेत्री अग्निमित्रा पॉल मैदान में है। बीजेपी ने जहां शत्रुघ्न सिन्हा को बाहरी बता रही है वहीं पॉल खुद को आसनसोल की बेटी कह रही हैं।

शत्रुघ्न सिन्हा लगातार टूटी फूटी बंगाली के जरिए लोगों से अपना संपर्क स्थापित करने में जुटे हुए हैं। वे अपनी सभाओं में खुद को बिहारी बाबू के साथ – साथ बंगाली बाबू भी बता रहे हैं। इसका कितना असर जनता पर होगा ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे। विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी द्वारा अपनाई गई बाहरी बनाम बंगाली की रणनीति बीजेपी के लिए यहां कितना कारगर साबित होती है, चुनाव परिणाम बताएंगे।

बता दें कि आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को मतदान होगा , जबकि मतगणना 16 अप्रैल को होगी।

Tags:    

Similar News