बंगाल में दिखेगा बांग्लादेश के हमलों का असर, मंदिरों पर हमले से होगा ध्रुवीकरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे से लौटते ही वहां कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों के सदस्यों ने खूब तांडव...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे से लौटते ही वहां कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों के सदस्यों ने खूब तांडव मचाया है। प्रधानमंत्री बांग्लादेश का दो दिन का दौरा समाप्त करके शनिवार की रात ही नई दिल्ली लौटे हैं और रविवार को देशभर में हिंसा की खबरें सामने आई हैं। कट्टरपंथियों ने पूर्वी बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने के साथ एक ट्रेन पर भी हमला किया। कट्टरपंथी पुलिस से भिड़ गए और विभिन्न स्थानों पर हुई झड़पों में 10 प्रदर्शनकारियों की मौत की खबर है।
भाजपा को हो सकता है सियासी फायदा
जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को ऐसे समय में निशाना बनाया गया है जब पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार चरम पर है। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक इन हमलों का बंगाल चुनाव पर भी असर पड़ सकता है और हिंदुओं पर किए गए इन हमलों के प्रतिक्रियास्वरूप हिंदू मतों का ध्रुवीकरण भी तय माना जाने लगा है। ऐसी स्थिति में भाजपा को बड़ा सियासी फायदा हो सकता है।
पीएम मोदी का धार्मिक स्थलों का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान सिद्ध पीठ माने जाने वाले काली मंदिर का दर्शन किया था। इसके साथ ही वे मतुआ समुदाय की आस्था के केंद्र ओराकांडी के दौरे पर भी गए थे और वहां प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात की थी।
उन्होंने दोनों धार्मिक स्थलों पर कई कल्याणकारी योजनाओं का भी एलान किया था। अपनी यात्रा के दौरान मोदी ने बांग्लादेश को 1.2 मिलियन कोविड-19 की खुराक सौंपने के साथ ही अन्य मदद भी दी थी। दोनों देशों के बीच पांच महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए थे।
मोदी की यात्रा के पहले ही इस्लामिक समूहों ने यात्रा का विरोध करने का एलान किया था मगर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते मोदी की बांग्लादेश यात्रा निर्बाध पूरी हो गई थी। उनकी दो दिवसीय यात्रा समाप्त होते ही इस्लामिक समूह विरोध जताने के लिए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने खूब तांडव मचाया।
पीएम पर अल्पसंख्यकों से भेदभाव का आरोप
बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों का आरोप है कि पीएम मोदी भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ भेदभाव करते रहे हैं। उन्होंने इसीलिए पीएम मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया था।
कट्टरपंथी मुस्लिमों ने पीएम की यात्रा के पहले दिन भी राजधानी ढाका में प्रदर्शन किया था। उनकी यात्रा के दूसरे दिन भी शनिवार को चटगांव और ढाका की सड़कों पर इस्लामिक कार्यकर्ताओं ने मार्च निकालकर विरोध जताया था।
कट्टरपंथियों ने मंदिरों को बनाया निशाना
रविवार को हिफाजत-ए-इस्लाम समूह से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने पूर्वी बांग्लादेश में एक ट्रेन पर हमला कर दिया जिसमें 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने ट्रेन के कोच में भी तोड़फोड़ की। ब्राह्मणबरिया में कई सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी गई और प्रेस क्लब पर भी हमला किया गया। प्रेस क्लब पर हुए हमले में भी कई पत्रकारों के घायल होने की खबर है।
सूत्रों के मुताबिक कस्बे के कई हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया गया और बसों में भी आग लगा दी गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों की कई स्थानों पर झड़पें भी हुईं जिनमें 10 लोगों की मौत होने की खबर है।
बंगाल में चुनाव के समय हुआ हमला
बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों ने पीएम मोदी के खिलाफ ऐसे समय में विरोध जताया है जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा ने इस बार का चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है और पार्टी के दिग्गज नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तगड़ी घेरेबंदी की है।
पीएम मोदी ने बांग्लादेश से मतुआ समुदाय को भी साधने की कोशिश की थी। पश्चिम बंगाल की 70 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का खासा असर माना जाता है और 21 विधानसभा सीटों पर यह समुदाय किंगमेकर की भूमिका में माना जाता है।
बंगाल में दिखेगी प्रतिक्रिया
सियासी जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर किए गए हमले की पश्चिम बंगाल में प्रतिक्रिया भी दिख सकती है। पश्चिम बंगाल में भाजपा पहले से ही ध्रुवीकरण की कोशिश में जुटी हुई है और ममता बनर्जी इस ध्रुवीकरण को रोकने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही हैं।
पिछले दिनों उन्होंने कई चुनावी रैलियों में चंडीपाठ भी किया था। ममता के चंडीपाठ करने के कदम को हिंदू मतों का ध्रुवीकरण रोकने की कोशिश माना गया था मगर जिस तरह पीएम मोदी की यात्रा के खिलाफ हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है उसका असर पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है।
ध्रुवीकरण से भाजपा को सियासी फायदा
जानकारों के मुताबिक ऐसे में हिंदू मतों का ध्रुवीकरण से भाजपा को बड़ा सियासी फायदा हो सकता है। माना जा रहा है कि होली के बाद जब विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार फिर तेज होगा तो भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 8 चरणों में होने हैं और अभी प्रथम चरण की 30 सीटों पर ही मतदान हुआ है। ऐसे में अगर भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाती है तो उसे बाकी की सीटों पर बड़ा सियासी फायदा हो सकता है।