Bengal Politics: भाजपा के सांसद-विधायक हो रहे बागी, बंगाल में बढ़ा रहे मुसीबत, पार्टी खतरे में

Bengal Politics: टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सांसद सुनील मंडल का बयान भी पार्टी की धड़कनें बढ़ाने वाला है। मंडल का कहना है कि टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कई नेता भाजपा में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-06-16 11:34 IST

दिलीप घोष- ममता बनर्जी ( डिजाइन इमेज)

Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) हारने के बाद भाजपा (Bengal BJP) की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। चुनाव से पहले टीएमसी (TMC) छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेता अब टीएमसी में वापसी के लिए बेकरार हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के ग्रीन सिग्नल का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे नेताओं की लंबी लिस्ट भाजपा हाईकमान के लिए मुसीबत बनती जा रही है।

इस बीच टीएमसी छोड़कर भाजपा (TMC Leader Join BJP) में शामिल होने वाले सांसद सुनील मंडल (MP Sunil Mandal) का बयान भी पार्टी की धड़कनें बढ़ाने वाला है। मंडल का कहना है कि टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कई नेता भाजपा में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि पार्टी ने ऐसे नेताओं को कभी दिल से स्वीकार नहीं किया। यही कारण है कि ऐसे नेता पार्टी छोड़कर जाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

पार्टी में शुभेंदु के बढ़ते कद से भी नाराजगी

दरअसल विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) में टीएमसी की भारी बहुमत से जीत के बाद ही भाजपा के लिए मुसीबतों का दौर शुरू हो गया। भाजपा में शुभेंदु अधिकारी (Subhendu Adhikari) का बढ़ता हुआ कद भी कई नेताओं की नाराजगी का बड़ा कारण बताया जा रहा है। नंदीग्राम के संग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराने के बाद शुभेंदु अधिकारी का कद काफी बढ़ गया है और उन्हें विपक्ष का नेता बना दिया गया है। अब इसे लेकर पार्टी के कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं।

शुभेंदु ने बंगाल में हिंसा के मुद्दे पर भाजपा विधायकों को साथ लेकर गवर्नर के साथ हाल में बैठक की थी मगर इस बैठक में करीब दो दर्जन विधायक नहीं पहुंचे। इसे विधायकों की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बैठक में बंगाल के विभिन्न हिस्सों में चुनाव के बाद हो रही हिंसा पर चर्चा की गई थी। बैठक से इतने ज्यादा विधायकों के गायब होने के बाद चर्चा है कि इनमें से कई विधायक पाला बदल कर सकते हैं।

टीएमसी से आने वाले नेता असहज

इस बीच विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामने वाले सांसद सुनील मंडल के बयान के बाद पार्टी की चिंताएं बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि टीएमसी छोड़कर भाजपा में आने वाले नेता अब सहज ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण यह है कि पार्टी ने कभी मन से ऐसे नेताओं को स्वीकार ही नहीं किया। ऐसे नेता पार्टी के साथ तादात्म्य नहीं बैठा पा रहे हैं।
मंडल ने कहा कि पार्टी में कुछ लोग नए आने वाले नेताओं पर भरोसा करने के पक्ष में नहीं हैं। पार्टी का भरोसा हासिल न होने के कारण टीएमसी छोड़कर भाजपा में आने वाले लोग अपनी सियासी गतिविधियों को ठीक ढंग से अंजाम नहीं दे पा रहे हैं।

मंडल का यह बयान इस बात का संकेत है कि पश्चिम बंगाल भाजपा में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है और अभी आने वाले दिनों में और भी उठापटक होने के आसार हैं। पार्टी के कई नेता जल्दी ही पाला बदल कर सकते हैं।

पाला बदलने की कोशिश में कई नेता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुकुल रॉय को टीएमसी में शामिल कराकर भाजपा को पहले ही बड़ा झटका दे चुकी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी संकेत दिया है कि कई भाजपा नेता टीएमसी के संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि उनका यह भी कहना है कि पार्टी ऐसे नेताओं की वापसी पर काफी सोच समझकर फैसला लेगी। सियासी जानकारों का कहना है कि कई नेताओं ने इस बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है और ऐसे नेताओं की वापसी पर ममता बनर्जी की के ग्रीन सिग्नल का इंतजार किया जा रहा है।

सत्ता सुख चाहने वाले नहीं कर सकते संघर्ष

इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने टीएमसी में वापसी की कोशिश करने वाले नेताओं पर इशारों में बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जो लोग सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं, वे भाजपा में रहकर संघर्ष नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हम ऐसे लोगों को पार्टी में रखने के इच्छुक भी नहीं है। ऐसे लोगों को पार्टी से जाने के लिए कहा जाएगा।

घोष ने कहा कि कुछ लोगों को हमेशा पार्टियां बदलने की आदत होती है और मुकुल रॉय ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। उनके जाने से पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर किसी को भाजपा में रहना है तो उसे संघर्ष करने के साथ ही बलिदान देना होगा। घोष का यह बयान भी इस बात का संकेत है कि पार्टी टीएमसी में वापसी के लिए इच्छुक नेताओं की गतिविधियों को देखकर चिंतित और परेशान है।
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