कांग्रेस से बढ़ रही ममता की तनातनी, सोनिया पर दिया बड़ा बयान, विपक्ष के चेहरे का मामला और उलझा

ममता का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से न मिलना भी बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-11-25 11:33 IST

कांग्रेस से बढ़ रही ममता की तनातनी, सोनिया पर दिया बड़ा बयान (Social Media)

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी (CM and Trinamool Congress chief Mamata Banerjee) की सियासी चालों से कांग्रेस (Congress) में बेचैनी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस पर पहले भी हमले कर चुकीं ममता सियासी सेंधमारी से पार्टी को झटका देने की कोशिश में जुटी हुई हैं। दिल्ली में दो दिनों से डेरा डाली ममता का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से न मिलना भी बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है। ममता ने साफ कर दिया है कि उनकी सोनिया से मिलने की कोई योजना नहीं है। सोनिया से मुलाकात के संबंध में पूछे जाने पर ममता ने उल्टे सवाल दाग दिया कि हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? ममता के इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस से उनकी दूरियां लगातार बढ़ती जा रही हूं। विभिन्न राज्यों में अपनी पार्टी का विस्तार करने में जुटी ममता ने हाल के दिनों में कांग्रेस (Congress ko bada jhatka) को कई बड़े झटके दिए हैं। ममता के इस रुख से कांग्रेस (Congress main narazagi) में भी नाराजगी दिखने लगी है। ममता जल्द ही महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में वाराणसी का दौरा करने वाली हैं। ममता के मौजूदा रुख से साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनावों (Loksabha election 2024) में विपक्ष के चेहरे का मामला और उलझता जा रहा है।

कांग्रेस को लगातार दे रही हैं झटके 

ममता ने अपनी पिछली दिल्ली यात्रा के दौरान सोनिया गांधी (Sonia Gandhi political latest news) से मुलाकात की थी और इस दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi news) भी मौजूद थे। हालांकि इसके बाद वे लगातार कांग्रेस को कई झटके दे चुकी हैं। अपनी गोवा यात्रा के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला था और भाजपा की मजबूती के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार बताया था। उनका कहना था कि कांग्रेस आज तक किसी भी मुद्दे पर भाजपा का डटकर मुकाबला नहीं कर सकी। उल्टे कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में मुझे कमजोर बनाने की कोशिश की। कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ( Congress leader Sushmita Dev) और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो ( Former Goa Chief Minister Luizinho Faleiro) को टीएनसीमें शामिल करके ममता पहले भी कांग्रेस को बड़ा झटका दे चुकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी (Abhijit Mukherjee) को भी उन्होंने अपनी पार्टी में शामिल किया था। उत्तर प्रदेश में कमलापति त्रिपाठी के परिवार से जुड़े राजेश पति त्रिपाठी और ललितेश त्रिपाठी को भी अपनी पार्टी में लेकर वे कांग्रेस को करारा झटका दे चुकी हैं।

सोनिया से मिलना कोई जरूरी नहीं 

अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने कई प्रमुख लोगों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद कीर्ति आजाद और राहुल गांधी के करीबी रह चुके हरियाणा के नेता अशोक तंवर को टीएमसी में शामिल कराया। तंवर ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा के साथ तनातनी के बाद पार्टी से इस्तीफा देकर अलग दल बना लिया था। दिल्ली यात्रा के दौरान ममता का अभी तक सोनिया से न मिलना भी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ममता ने साफ कर दिया है कि उनकी सोनिया से मुलाकात की कोई योजना नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या हर बार दिल्ली आने पर सोनिया से मिलना जरूरी है? यह कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। ममता का यह बयान कांग्रेस से उनकी बढ़ती दूरियों का बड़ा संकेत माना जा रहा है। 

जल्द ही वाराणसी का दौरा करेंगी ममता 

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ने कहा है कि दिल्ली यात्रा के बाद वे एक दिसंबर को मुंबई का दौरा करेंगी और इस दौरान उनकी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी के मुखिया शरद पवार से मुलाकात होगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव की मदद करने की बात भी कही। ममता के मुताबिक यदि सपा को मेरी मदद की जरूरत पड़ी है तो मैं उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने भी जाऊंगी। ममता बनर्जी का कहना है कि वे जल्द ही वाराणसी का दौरा करेंगी क्योंकि वहां कमलापति त्रिपाठी का परिवार मेरी पार्टी से जुड़ गया है। ममता का वाराणसी दौरा भी सियासी नजरिए से काफी अहम होगा क्योंकि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। पीएम मोदी और भाजपा पर लगातार हमलावर रुख अपनाने वाली ममता वाराणसी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री पर और बड़े हमले कर सकती हैं।

सियासी स्ट्राइक से उलझा नेतृत्व का मुद्दा 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से मेघालय में कांग्रेस को दिया गया झटका सबसे बड़ा माना जा रहा है। मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा समेत 18 में से 12 विधायकों में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। मुकुल संगमा ने पिछले दिनों टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की थी और उसके बाद से ही उनके पाला बदलने की अटकलें लगाई जा रही थीं। मेघालय के सियासी घटनाक्रम से साफ हो गया है कि पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी का आधार मजबूत बनाने में जुटीं ममता कांग्रेस को तगड़ा झटका देने की मुहिम में जुटी हुई है। इस कारण कांग्रेस और ममता की दूरियां लगातार बढ़ती जा रही हैं और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों के बीच सियासी सियासी तनातनी और बढ़ सकती है। इस कारण 2024 की सियासी जंग में विपक्ष के चेहरे का मुद्दा और उलझता जा रहा है। ममता खुद को विपक्ष के चेहरे के रूप में स्थापित करने के लिए सियासी जमीन तैयार कर रही हैं जबकि कांग्रेस को और राहुल के अलावा और कोई चेहरा मंजूर नहीं है। ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच सियासी तनातनी और बढ़ने के आसार हैं।

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