Mamata Banerjee: बंगाल चुनाव के बाद हिंसा पर हाईकोर्ट सख्त, ममता सरकार को लगाई कड़ी फटकार

Mamata Banerjee: कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाओं से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update: 2021-06-20 06:28 GMT

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो साभार— सोशल मीडिया)

Mamata Banerjee पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (Bengal Vidhan Sabha Election) के बाद हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने ममता सरकार (Mamata Sarkar) को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाओं से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना उसका कर्तव्य है। अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का भी आदेश दिया है। यह समिति राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की शिकायतों की जांच करेगी।

बड़ा सियासी मुद्दा बनीं हिंसा की घटनाएं

पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद हिंसा की घटनाएं बड़ा सियासी मुद्दा बन चुकी हैं। भाजपा इस मुद्दे को लेकर ममता सरकार पर लगातार हमलावर है। भाजपा ने इन हमलों के लिए सीधे तौर पर टीएमसी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार बताया है। भाजपा का आरोप है कि हमला करने वाले टीएमसी कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार और पुलिस मशीनरी का संरक्षण प्राप्त है।

भाजपा के साथ ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी हिंसा की घटनाओं के मामलों में राज्य सरकार पर निष्क्रिय और उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। राज्यपाल धनखड़ ने ममता सरकार की अपील को ठुकराते हुए हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया था। वे हिंसाग्रस्त इलाकों से पलायन करने वाले लोगों से मिलने असम भी गए थे। वैसे ममता सरकार हिंसा के मामलों को नकारती रही है। अब इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद ममता सरकार के रवैये पर सवाल उठने लगे हैं।

शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई का निर्देश

कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण राज्य के तमाम लोगों का जीवन और संपत्ति खतरो में होने का आरोप लगाया गया है। ऐसे हालात में राज्य को अपनी पसंद के अनुसार काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखना और राज्य के लोगों में विश्वास पैदा करना उसका कर्तव्य है। लोगों की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की जिनमें हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों के विस्थापित होने का आरोप लगाया गया है। इन याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि हमले की आशंका से लोग अपने घरों पर लौटने में डरे हुए हैं। इन याचिकाओं में राज्य सरकार की ओर से कोई कदम न उठाए जाने की बात भी कही गई है।

पुनर्वास के लिए उचित कदम उठाए सरकार

मामले की सुनवाई करने वाली पांच जजों की पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के अलावा न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सोमेन सेन और सुब्रत तालुकदार भी शामिल हैं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि शिकायतों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए और यदि कोई रुकावट आती है तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा। ऐसा होने पर अदालत की अवमानना के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।

हाईकोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को लोगों को घर लौटने से रोकने के मामलों पर गौर करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

विस्थापितों की शिकायतें सुलझाएगी समिति

कलकत्ता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति बनाने का भी निर्देश दिया। यह समिति राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों की शिकायतों का निस्तारण करेगी। माना जा रहा है कि अदालत के निर्देश के बाद समिति हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा भी कर सकती है। समिति की ओर से हाईकोर्ट में व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।
समिति को इस पर गौर फरमाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि क्या लोगों में इतना विश्वास पैदा हो चुका है कि वे अपने घरों पर शांतिपूर्ण तरीके से रह सकते हैं और अपनी आजीविका कमा सकते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में चुप्पी बनाए रखने वाले अफसरों का भी खुलासा किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी।

भाजपा का सरकार पर बड़ा आरोप

हाईकोर्ट की ओर से ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाए जाने के बाद भाजपा के इन आरोपों को बल मिला है कि हिंसा के मामलों में राज्य सरकार की ओर से उचित कार्रवाई नहीं की गई। भाजपा का आरोप है कि पार्टी को वोट देने वाले लोगों को टीएमसी की ओर से परेशान किया जा रहा है मगर राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इस मामले को लेकर पिछले दिनों ममता सरकार को कड़ी चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में राज्यपाल ने हिंसा की घटनाओं, महिलाओं पर हमले और संपत्ति की लूट पर सरकार की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए थे।
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