Mamata Banerjee: फिर अपने गढ़ की ओर लौटीं ममता, इसलिए लिया भवानीपुर से लड़ने का फैसला
Mamata Banerjee: ममता के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने के लिए ही भवानीपुर सीट से चुनाव जीते शोभन देव चट्टोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया है।
Mamata Banerjee:पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सत्ता की बाजी जीतने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भवानीपुर विधानसभा सीट को अपने लिए एक बार फिर लकी मान रही हैं। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले तृणमूल कांग्रेस के विधायक शोभन देव चट्टोपाध्याय के इस्तीफे की घोषणा के बाद अब ममता का इस सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटों पर जीत हासिल करके प्रचंड बहुमत तो हासिल किया मगर पार्टी को सबसे बड़ा झटका नंदीग्राम विधानसभा सीट पर ममता की हार से लगा।
ममता को मुख्यमंत्री पद बनाए रखने के लिए 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है और इसके लिए भवानीपुर विधानसभा सीट को ही सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। यह इलाका पिछले 30 वर्षों से ममता का मजबूत गढ़ रहा है और उन्हें यहां एक बार भी हार का सामना नहीं करना पड़ा। माना जा रहा है कि इसी कारण ममता ने एक बार फिर अपने गढ़ की ओर लौटने का फैसला किया है।
नंदीग्राम की हार से जीत के रंग में भंग
हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ममता के भवानीपुर विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं मगर उन्होंने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान करके हर किसी को चौंका दिया था। नंदीग्राम के संग्राम में ममता बागी शुभेंदु अधिकारी को सबक सिखाना चाहती थीं। उन्हें नंदीग्राम की जनता पर पूरा भरोसा था मगर चुनाव नतीजों ने हर किसी को चौका दिया, क्योंकि अपने दावे के अनुरूप शुभेंदु अधिकारी उन्हें हराने में कामयाब हो गए। ममता की इस हार से तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के रंग में भंग हो गया। पश्चिम बंगाल में विधानपरिषद न होने के कारण ममता के सामने विधानसभा चुनाव लड़ने के सिवा कोई विकल्प नहीं था।
इस्तीफा स्वीकार होने से चुनाव का रास्ता साफ
ममता के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने के लिए ही भवानीपुर सीट से चुनाव जीते शोभन देव चट्टोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने शोभन देव का इस्तीफा तत्काल स्वीकार कर लिया है। शोभन देव का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद अब इस सीट पर चुनाव होने का रास्ता साफ हो गया है और इसी के जरिए ममता विधानसभा का सफर तय करेंगी।
विधानसभा सीट छोड़ने के फैसले पर के सवाल पर शोभन देव चट्टोपाध्याय ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है और मैं उसके साथ हूं। उन्होंने कहा कि मैं अपने फैसले पर पूरी तरह खुश हूं। ममता के करीबी माने जाने वाले शोभन देव के अब हरदा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है जहां टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा की मौत के कारण चुनाव नहीं हो सका था।
30 सालों से ममता का गढ़ रहा है यह इलाका
अपने सियासी जीवन में चुनावी जंग में उतरने के बाद ममता बनर्जी लगातार भवानीपुर से जुड़ी रही हैं। 30 साल बाद यह पहला मौका था जब वे अपने मजबूत गढ़ से बाहर निकलकर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने पहुंची थीं। ममता बनर्जी 1991 से लेकर 2011 तक लगातार कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद रहीं। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत ही भवानीपुर विधानसभा सीट भी आती है।
करीब 20 साल तक कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने के बाद ममता बनर्जी ने 2011 में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय भी उन्होंने कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली भवानीपुर सीट को ही चुना और इसी सीट से वे पिछले 10 सालों से विधानसभा सदस्य रही हैं।
ममता के दिल में बसा है भवानीपुर
नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के फैसले के समय भी ममता बनर्जी ने कहा था कि मैं भवानीपुर से चुनाव लड़ूं या न लड़ूं मगर यह क्षेत्र मेरे दिल में हमेशा बना रहेगा और इस क्षेत्र पर मेरी पकड़ पहले की तरह ही मजबूत बनी रहेगी। पहले आशंका जताई जा रही थी कि ममता नंदीग्राम के साथ ही भवानीपुर से भी लड़ेंगी मगर बाद में उन्होंने सिर्फ एक सीट सुनकर हर किसी को चौंका दिया था।
भवानीपुर सीट पर आसान जीत की उम्मीद
सियासी जानकारों का कहना है कि ममता ने अपने लिए भवानीपुर सीट का चुनाव बहुत सोच समझकर किया है। इस सीट पर उनकी मजबूत पकड़ रही है और यहां से चुनाव जीतने में उनको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस सीट से चुनाव लड़कर ममता आसानी से विधानसभा का सदस्य बनने और अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में कामयाब होंगी।