Mamata Banerjee vs Center: बंगाल में हिंसा पर केंद्र को सौंपी रिपोर्ट, गृह राज्यमंत्री का ममता सरकार पर बड़ा हमला

Mamata Banerjee vs Center: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने बंगाल में हिंसा की घटनाओं को लेकर ममता सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-05-29 16:15 GMT

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और सीएम ममता बनर्जी (काॅन्सेप्ट फोटो: सोशल मीडिया)

Mamata Banerjee vs Center: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद जारी हिंसा को लेकर केंद्र सरकार और ममता सरकार के बीच टकराव और बढ़ता नजर आ रहा है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने बंगाल में हिंसा की घटनाओं को लेकर ममता सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि टीएमसी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान के खिलाफ सरकार चला रही है। उन्होंने राज्य में पुलिस कर्मियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस टीएमसी कार्यकर्ताओं के रूप में काम कर रही है। यही कारण है कि हिंसा की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही है।

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय की अगुवाई में गठित बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों की टीम ने बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हो रही हिंसा पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में हिंसा का दौर अभी भी जारी होने की बात कही गई है। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हालात इतने ज्यादा बिगड़ चुके हैं कि लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। सरकार का काम लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है और आने वाले दिनों में केंद्र सरकार बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों की रिपोर्ट पर चर्चा करेगी।

चुनाव बाद हिंसा का मुद्दा गरमाया

विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा का मुद्दा इन दिनों सियासी रूप से गरमाया हुआ है। हिंसा की घटनाओं की मौके पर जांच पड़ताल के लिए गृह मंत्रालय की ओर से भी चार अफसरों की टीम मौके पर भेजी गई थी। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी पिछले दिनों हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया था। हालांकि इस दौरान कुछ स्थानों पर उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा। राज्यपाल नंदीग्राम भी गए थे जहां इस बार के चुनाव में भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पराजित कर दिया था।

टीम ने हिंसा पीड़ितों से की बातचीत

गृह मंत्रालय की अगुवाई वाली बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों की टीम ने चुनाव बाद हुई हिंसा के बीस पीड़ितों का साक्षात्कार लिया है। इनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की 9 महिलाएं भी हैं। इनके अलावा सामान्य वर्ग की 9 महिलाओं और 2 पुरुषों का भी साक्षात्कार लिया गया है। इस टीम में दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर सोनाली चितालकर और डॉक्टर श्रुति मिश्रा, उद्यमी मोनिका अग्रवाल, जीजीएस आईपीयू की प्रोफेसर विजिता सिंह और सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा शामिल थीं। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है जिस पर केंद्र सरकार जल्द चर्चा करेगी।

लोगों की रक्षा के लिए निभानी होगी जिम्मेदारी

हिंसा का शिकार हुए लोगों से बातचीत करने वाली टीम का कहना है कि पश्चिम बंगाल में हो रही घटनाओं को केवल राजनीतिक हिंसा मानना इसकी भयावहता को कम करना है। राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हिंसा एक जनसंहार की प्रकृति में दिखी और महिलाओं को भयावह तरीके से दुष्कर्म का शिकार बनाया गया। महिलाओं के साथ मारपीट करने के साथ ही उन्हें डराया और धमकाया गया। टीम की ओर से सिफारिश की गई है कि बंगाल की महिलाओं और बच्चों की रक्षा के लिए कानून के सभी मौजूदा तंत्र और विभिन्न राष्ट्रीय आयोगों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।


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