भवानीपुर से चुनाव लड़ेंगी ममता! विधायक शोभन देव चटर्जी ने इस्‍तीफा देकर दिया संकेत

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी बचाने के लिए विधायक शोभन देव चटर्जी ने अपना इस्तीफा दे दिया है।

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Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-05-21 10:17 GMT

फोटो— पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (साभार— सोशल मीडिया)

नई दिल्‍ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की कुर्सी बचाने के लिए विधायक शोभन देव चटर्जी ने अपना इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) में नंदीग्राम सीट से बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) से हारने के बाद भी ममता बनर्जी फिर से राज्य की मुख्यमंत्री चुन ली गई हैं। नियमानुसार उनके पास अपनी कुर्सी बचाने के लिए छह महीने का समय है। ऐसे में अब यह कयास लगाया जाने लगा है कि मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी भवानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।

लोगों के इस कयास पर उनकी पार्टी के भवानीपुर विधानसभा सीट से विधायक शोभन देव चटर्जी ने इस्तीफा देकर अपनी मोहर लगा दी है।गौरतलब है कि भवानीपुर विधानसभा सीट ममता बनर्जी की पारंपरिक सीट रही है। वहीं नियम के अनुसार ममता बनर्जी को छह महीने के अंदर किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा सदस्‍य बनना होगा। इसी कड़ी में इस्तीफा देने से पहले शोभन देव चटर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को छह महीने के अंदर किसी भी विधानसभा सीट से जीत हासिल करनी है। चूंकि मैं उनकीद पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ा था और जीत भी गया।

उन्होंने कहा कि मैं विधायक के पद से इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं, ताकि ममता बनर्जी यहां से निष्पक्ष तरीके से चुनाव जीत सकें और सत्ता में बनी रहें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की जीत हम सभी की जीत है। बता दें कि इससे पहले सुब्रत बोक्शी ने वर्ष 2011 में तृणमूल के टिकट पर यहां से चुनाव जीता था, लेकिन उन्हें भी ममता बनर्जी के लिए बाद में इस्तीफा देना पड़ गया था। इसके बात हुए उप चुनाव में ममता बनर्जी को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद ममता बनर्जी वर्ष 2016 के चुनाव में इसी सीट से चुनाव जीतीं। इस बार ममता बनर्जी बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी को हराने के लिए नंदीग्राम से चुनाव लड़ा, लेकिन खुद उन्हें ही यहां से हार का मुंह देखना पड़ गया।

यह है नियम

अनुच्छेद 164 के मुताबिक, यदि कोई मंत्री छह महीने तक लगातार किसी राज्‍य के विधानमंडल का सदस्य नहीं होता है, वह इस समयसीमा के समाप्त होने के बाद मंत्री नहीं रह सकता। इसके चलते ममता बनर्जी के पास विधायक बनने के लिए 6 महीने का वक्त है। चूंकि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है ऐसे में ममता बनर्जी को 6 महीने के भीतर किसी रिक्त सीट से नामांकन दाखिल करके और उप चुनाव जीतकर विधायक बनना होगा।

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