पश्चिम बंगाल: कांग्रेस-वाम गठबंधन में कई सीटों पर पेंच, विवाद सुलझाने में जुटे नेता
माकपा नेतृत्व वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच 193 सीटों पर सहमति बनती नजर आ रही है मगर मुर्शिदाबाद की 22 सीटों को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। मुर्शिदाबाद को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है और पार्टी की जिला इकाई 22 में से 4 से अधिक सीटें वाममोर्चा को देने को तैयार नहीं है।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की चुनौतियों से निपटने के लिए वाम मोर्चा और कांग्रेस ने हाथ तो मिला लिया है मगर दोनों के बीच कई सीटों पर सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों पक्षों की ओर से कई सीटों पर दावेदारी किए जाने के कारण गठबंधन में पेंच फंस गया है। जानकार सूत्रों के मुताबिक मुर्शिदाबाद की 22 सीटों को लेकर कांग्रेस और वाममोर्चा के बीच उलझी गुत्थी नहीं सुलझ पा रही है।
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि उसे कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को लेकर कोई चिंता नहीं है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस राज्य की अधिकांश सीटों पर मजबूत स्थिति में दिख रही है।
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चौधरी ने किया बड़ा दावा
भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन को खड़ा करने के लिए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी खूब मेहनत कर रहे हैं। उनका दावा है कि कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन को कमजोर नहीं आंका जाना चाहिए और चुनाव नतीजों में सबकुछ साफ हो जाएगा।
जानकार सूत्रों का कहना है कि माकपा नेतृत्व वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच 193 सीटों पर सहमति बनती नजर आ रही है मगर मुर्शिदाबाद की 22 सीटों को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है।
इन सीटों को लेकर पैदा हुआ विवाद
मुर्शिदाबाद को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है और पार्टी की जिला इकाई 22 में से 4 से अधिक सीटें वाममोर्चा को देने को तैयार नहीं है। दूसरी और वाममोर्चा इतनी कम सीटों पर राजी नहीं हो रहा है।
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कांग्रेस की ओर से दिए गए ऑफर पर वाममोर्चा का रुख थोड़ा नरम तो पड़ा है मगर वाम नेताओं का कहना है कि वे छह से कम सीटों पर तैयार नहीं होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस और वाममोर्चा के बीच गठबंधन हुआ था मगर दो सीटों का पेंच नहीं सुलझ सका था। भरतपुर और रघुनाथगंज में दोनों के बीच दोस्ताना मुकाबला हुआ था। इस बार भी इन दो सीटों को लेकर विवाद नहीं सुलझ पा रहा है।
इस बाबत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि दोनों पक्ष सीटों को लेकर हुए विवाद को सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। हमारी वाम नेताओं से बातचीत हो रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस और वाम मोर्चा के बीच सीटों को लेकर उलझी गुत्थी को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
कांग्रेस को मजबूत बनाने में जुटे हैं चौधरी
सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में ही मुख्य लड़ाई सिमटती दिख रही है मगर अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस की ओर से अकेले मोर्चा संभाले हुए हैं।
वे विभिन्न इलाकों का दौरा करके पार्टी में नई ऊर्जा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सभाओं को संबोधित करने के साथ ही कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय कर रहे हैं ताकि कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव में मजबूती से लड़ सके।
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टीएमसी को गठबंधन की फिक्र नहीं
तृणमूल कांग्रेस के नेताअबू ताहेर का कहना है कि पार्टी वाम एवं कांग्रेस गठबंधन को लेकर तनिक भी चिंतित नहीं है। उन्होंने दावा किया की तृणमूल कांग्रेस को चुनाव में किसी भी दल से कोई चुनौती नहीं मिलने वाली है। दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी बड़ा बदलाव करने में कामयाब होगी।
शाह का दौरा रद्द होने से टीएमसी को राहत
उधर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पश्चिम बंगाल आज से शुरू होने वाला दो दिवसीय दौरा रद्द हो गया है। सूत्रों के मुताबिक इजराइल के दूतावास के पास धमाके और किसान आंदोलन के एक बार फिर तेज हो जाने के कारण गृह मंत्री का दौरा रद्द कर दिया गया है।
शाह के दौरे के दौरान तृणमूल कांग्रेस को झटका लगने के कयास लगाए जा रहे थे। जानकारों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के कई नेता इस दौरान भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते थे। इस दौरे के दौरान शाह सभाओं को संबोधित करने के अलावा पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी चर्चा करने वाले थे मगर अब उनका दौरा रद्द हो गया है।
अंशुमान तिवारी
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