BJP की रणनीति ने दिखाया रंग, कई दिनों तक नंदीग्राम में फंस गईं ममता
तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कई दिनों तक नंदीग्राम में ही फंसाए रखने....
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कई दिनों तक नंदीग्राम में ही फंसाए रखने की भाजपा की रणनीति कारगर होती दिख रही है। ममता बनर्जी ने तीन दिनों से नंदीग्राम में ही डेरा डाल रखा है और अभी उनका मतदान के दिन तक यहीं रुकने का कार्यक्रम है। नामांकन के दिन भी उन्होंने नंदीग्राम में पूरा समय दिया था और इस दौरान उनको चोट भी लग गई थी।
ऐसे समय में जब पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार चरम पर है तब ममता बनर्जी नंदीग्राम में पांच दिनों का समय देने पर मजबूर हो गईं। सियासी जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी को इस बार शुभेंदु अधिकारी से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है और इसी कारण वे नंदीग्राम में ज्यादा वक्त देने को मजबूर हुई हैं।
कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं ममता
पश्चिम बंगाल में एक अप्रैल को दूसरे चरण की 30 सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों में नंदीग्राम की प्रतिष्ठित सीट भी शामिल है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम के संग्राम को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस सीट पर चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है।
दूसरी ओर अपने लंबे सियासी जीवन में पहली बार अपना गढ़ छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरी ममता बनर्जी भी चुनाव जीतने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही हैं।
नंदीग्राम को पांच दिन देने की मजबूरी
तृणमूल कांग्रेस की ओर से ममता बनर्जी पार्टी की स्टार प्रचारक हैं जबकि भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार के लिए वरिष्ठ नेताओं की लंबी चौड़ी फौज पश्चिम बंगाल में उतारी गई है। नंदीग्राम में कड़े चुनावी मुकाबले में फ॔स जाने के कारण ममता बनर्जी पांच दिन का समय इस सीट पर देने को मजबूर हुई है।
इस दौरान वे राज्य के अन्य चुनावी क्षेत्रों में नहीं जा सकीं जबकि अन्य क्षेत्रों में ममता की सभाओं की जबर्दस्त डिमांड है। भाजपा ने चुनाव से पहले यही रणनीति बनाई थी कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी को कुछ दिनों तक बांध दिया जाए ताकि वे अन्य चुनाव क्षेत्रों में प्रचार के लिए न जा सकें। भाजपा की इस रणनीति ने रंग दिखाया है और ममता बनर्जी अन्य चुनाव क्षेत्रों को छोड़कर नंदीग्राम में ही फंस गई हैं।
भाजपा ने बनाई थी दीर्घकालीन रणनीति
सियासी जानकारों का मानना है कि टीएमसी के चुनाव प्रचार की सारी रणनीति ममता बनर्जी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। इसी को ध्यान में रखकर भाजपा की ओर से दीर्घकालीन रणनीति अपनाई गई थी। टीएमसी से बगावत करके भाजपा में शामिल होने वाले शुभेंदु अधिकारी को इसी कारण नंदीग्राम से उतारा गया।
शुभेंदु अधिकारी ने भी रणनीति के तहत लगातार ममता बनर्जी को नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की चुनौती दी। उन्होंने बड़ा दावा करते हुए यहां तक कहा कि वे नंदीग्राम में ममता बनर्जी को 50 हजार वोटों से पराजित करने में कामयाब होंगे। नंदीग्राम का चुनावी नतीजा जो भी हो मगर इतना तो सच है कि कड़े चुनावी मुकाबले के कारण ममता बनर्जी इस चुनाव क्षेत्र में कई दिनों का समय देने पर मजबूर हो गईं।
ममता का भाजपा पर जोरदार हमला
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को ममता ने नंदीग्राम में धुआंधार रैलियां करते हुए भाजपा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें चुनाव हराने के लिए यूपी और बिहार से गुंडे बुलाए गए हैं ताकि यहां के लोगों को धमकाकर चुनाव जीता जा सके।
उन्होंने कहा कि भाजपा चाहे जितनी साजिशें रच ले मगर वे नंदीग्राम की बेटी हैं और उन्हें नंदीग्राम से चुनाव कराने में भाजपा को कभी कामयाबी नहीं मिल सकती। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन उन्होंने गोत्र कार्ड भी चलते हुए कहा कि मैं अभी तक अपना गोत्र मां, माटी और मानुष बताती रही हूं मगर मेरा असली गोत्र शांडिल्य है।
रोड शो में उमड़ी भीड़ से शाह उत्साहित
दूसरी ओर प्रचार के आखिरी दिन भाजपा ने की ओर से गृहमंत्री अमित शाह नंदीग्राम पहुंचे और उन्होंने रोड शो के जरिए भाजपा की ताकत दिखाने की कोशिश की। अमित शाह के रोड शो में लगातार जयश्रीराम के नारे गूंजते रहे।
रोड शो में उमड़ी भारी भीड़ से शाह भी उत्साहित दिखे और उन्होंने नंदीग्राम के संग्राम में भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के विजयी होने की भविष्यवाणी की। जानकारों का कहना है कि नंदीग्राम में भाजपा और टीएमसी दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है और अब यह देखने वाली बात होगी कि कामयाबी किसके हाथ लगती है।