Mid Day Meal: अब स्कूलों में छात्रों को मिडडे मील में मिलेगा चिकेन और फल, ममता दीदी का ऐलान

West Bengal News: राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के लिए एक संशोधित मिडडे मील मेनू की घोषणा की गई है, जिसमें जनवरी से अप्रैल तक चिकन और मौसमी फल साप्ताहिक रूप से परोसे जाएंगे।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2023-01-06 06:59 GMT

Students get Chicken in Mid Day Meal (Image: Social Media)

West Bengal: पश्चिम बंगाल सरकार के नए मिड डे मील मेनू को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्ष, खासकर भाजपा का कहना है कि चिकेन और फलों वाला ये मेनू पंचायत चुनाव को ध्यान में रख कर लागू किया गया है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के लिए एक संशोधित मिडडे मील मेनू की घोषणा की गई है, जिसमें जनवरी से अप्रैल तक चिकन और मौसमी फल साप्ताहिक रूप से परोसे जाएंगे। ये मेनू तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

पैसे की कमी

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा है कि पैसे की कमी" के चलते योजना की अवधि को चार महीने तक सीमित कर दिया है। उन्होंने कहा - हमारी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में, हमने छात्रों को अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किया है, और यह उस दिशा में एक और कदम है। हमने अपनी बचत से चिकन और मौसमी फल पेश किए हैं। हमें साल भर मेन्यू जारी रखने में बहुत खुशी होती, लेकिन इसके लिए और अधिक धन की आवश्यकता होगी, जो दुर्भाग्य से हमारे पास नहीं है।

372 करोड़ आवंटित

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी 3 जनवरी की अधिसूचना के अनुसार, अतिरिक्त चिकन और फल प्रदान करने के लिए 372 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किए जाएंगे, जो चावल, आलू, दाल, सब्जियां, सोयाबीन और अंडे के सामान्य मेनू के अतिरिक्त होंगे। मिड-डे में नामांकित प्रति बच्चा अब 16 रुपये प्रति सप्ताह की बजाए 20 रुपये होने की उम्मीद है। अधिसूचना ने राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 1.16 करोड़ से अधिक छात्र लाभार्थियों की संख्या दी है।

पीएम पोषण

मिड डे मील को अब पीएम पोषण योजना कहा जाता है। इसमें राज्य और केंद्र 60:40 के अनुपात में पीएम पोषण की लागत साझा करते हैं। अधिसूचना में बताया गया है कि अतिरिक्त 372 करोड़ रुपये का भुगतान पूरी तरह से राज्य के हिस्से से किया जाएगा। सप्ताह के अलग-अलग दिनों में विभिन्न ब्लॉकों में अतिरिक्त मदों के साथ यह योजना तुरंत लागू हो गई है।

पंचायत चुनाव पर नज़र

अप्रैल-मई में होने वाले पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। पिछली बार, ग्रामीण चुनावों में व्यापक हिंसा हुई थी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा है कि राज्य सरकार को अचानक मिड-डे मील योजना में चिकेन और फल लाने की जरूरत क्यों महसूस हुई? इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री समझ गई हैं कि स्थिति खराब है और उनकी पार्टी ग्रामीण चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगी। सरकार अब असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए मुर्गे की पेशकश कर रही है। टीएमसी चिकेन और फलों के बदले लोगों के वोट खरीदने की कोशिश कर रही है।

सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी राज्य सरकार की खिंचाई की। उन्होंने कहा - यह अच्छा है कि राज्य सरकार ने मध्याह्न भोजन के लिए आवंटन बढ़ा दिया है। यह लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। लेकिन क्या सरकार ने ऐसा भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया है या सिर्फ इसलिए कि चुनाव नजदीक हैं? चक्रवर्ती ने कहा कि, अगर सरकार ने इस योजना को दिसंबर तक बढ़ा दिया तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पंचायत चुनाव को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। लेकिन हम विरोध नहीं करेंगे क्योंकि हम चाहते हैं कि बंगाल के लोगों के पास सबसे अच्छी चीजें हों। 

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