नंदीग्राम का संग्राम: चुनावी जंग में आज कूदेंगी ममता, सबसे हॉट सीट पर सबकी निगाहें
भाजपा उम्मीदवार के रूप में शुभेंदु अधिकारी 12 मार्च को इस चुनाव क्षेत्र से नामांकन दाखिल करेंगे। इस चुनावी मुकाबले पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और माना जा रहा है कि ममता को यहां शुभेंदु अधिकारी से कड़ा मुकाबला करना।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम विधानसभा सीट को सबसे हॉट माना जा रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनावी बिगुल फूंक दिया है और वे बुधवार को इस चुनाव क्षेत्र से नामांकन दाखिल करेंगी। यहां ममता बनर्जी का मुकाबला नंदीग्राम संघर्ष में उनके साथी रहे शुभेंदु अधिकारी से होगा।
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भाजपा उम्मीदवार के रूप में शुभेंदु अधिकारी 12 मार्च को इस चुनाव क्षेत्र से नामांकन दाखिल करेंगे। इस चुनावी मुकाबले पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और माना जा रहा है कि ममता को यहां शुभेंदु अधिकारी से कड़ा मुकाबला करना।
हिंदू कार्ड के साथ मजार पर चादर भी चढ़ाई
नंदीग्राम से नामांकन दाखिल करने के लिए ममता बनर्जी मंगलवार को ही यहां पहुंच गईं। ममता बनर्जी ने मंगलवार को यहां टीएमसी के बूथ कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए शुभेंदु अधिकारी को सीधी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि वह भी हिंदू की बेटी हैं और चंडी पाठ करने के बाद घर से निकलती हैं।
ममता बनर्जी को पता है कि यहां का चुनावी मुकाबला जीतने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों मतों की जरूरत होगी। इस कारण उन्होंने हिंदू कार्ड खेलने के साथ ही नंदीग्राम के शमसाबाद स्थित मजार पर चादर भी चढ़ाई। इसे ममता की हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्गों का मत बटोरने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
इमोशनल कार्ड भी चलने की कोशिश
नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने इमोशनल कार्ड चलने की भी कोशिश की है। उनका कहना है कि मैं गांव की बेटी हूं मैं हर नाम भूल सकती हूं मगर नंदीग्राम को कभी नहीं भूल सकती। सिंगूर और नंदीग्राम मेरे दिल के काफी करीब हैं। काफी संघर्ष करने के बाद मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं और यह सीट खाली होने के कारण मैंने अब यहां से किस्मत आजमाने का फैसला किया है।
30 और 70 की सियासत से किया सतर्क
नंदीग्राम में ममता ने साफ तौर पर कहा कि अब इस चुनाव क्षेत्र में 30 और 70 की सियासत नहीं होगी बल्कि नंदीग्राम में अब 100 की सियासत होगी। दरअसल नंदीग्राम में 30 फ़ीसदी मुस्लिम और 70 फ़ीसदी हिंदू वोट है और इसी कारण ममता बनर्जी ने साफ किया कि यहां के लोगों को 30 और 70 की सियासत में नहीं फंसना है।
ममता का मास्टर स्ट्रोक
सियासी जानकारों का मानना है कि नंदीग्राम से चुनाव लड़ना ममता बनर्जी का मास्टर स्ट्रोक है। बीजेपी के पास बंगाल में अपना कोई मजबूत चेहरा न होने के कारण पार्टी शुभेंदु के सहारे चुनाव अभियान में ताकत झोंकना चाहती थी।
ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के कारण अब शुभेंदु काफी हद तक नंदीग्राम में ही फ॔सकर रह जाएंगे। शुभेंदु की मदद के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी पूरे दमखम के साथ नंदीग्राम में उतरना पड़ेगा। इस मामले में टीएमसी अपनी रणनीति में कामयाब होती दिख रही है।
बागियों को सबक सिखाने की मंशा
ममता की मंशा बागियों को सबक सिखाने की भी है। भाजपा के पश्चिम बंगाल में ताकत झोंकने के बाद काफी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के नेता और विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
ममता बनर्जी ऐन चुनाव के मौके पर पार्टी के साथ दगा करने वाले नेताओं से काफी खफा हैं और उन्हें सबक सिखाना चाहती हैं। नंदीग्राम के संग्राम में शुभेंदु के खिलाफ उन्होंने इसी कारण खुद उतरने का बड़ा फैसला किया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जीत की बाजी किसके हाथ रहती है।
शुभेंदु ने पिछला चुनाव इसी सीट से लंबे मार्जिन से जीता था मगर इस बार जीत के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना होगा। ममता सियासत की माहिर खिलाड़ी हैं और उनका मुकाबला करना शुभेंदु के लिए आसान काम नहीं होगा।
शुभेंदु के नामांकन को भाजपा बनाएगी बिग शो
नंदीग्राम में ममता के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी के नामांकन को भाजपा बिग शो बनाने में जुटी हुई है। शुभेंदु 12 मार्च को इस चुनाव क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने वाले हैं और उनके नामांकन दाखिल करने के वक्त चर्चित अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहेंगे।
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भाजपा के कई राज्यस्तरीय नेताओं के भी शुभेंदु अधिकारी के नामांकन में हिस्सा लेने की संभावना है। भाजपा की ओर से टिकट मिलने की घोषणा के बाद शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को सीधी चुनौती दी है और उनका कहना है कि वह ममता बनर्जी का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने टिकट मिलने के पूर्वी ममता को पचास हजार मतों से पराजित करने का दावा किया था। वैसे सच्चाई है शुभेंदु के लिए भी यह चुनावी जंग आसान साबित होने वाली नहीं है।
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