नारदा घोटाले में TMC के कई नेताओं पर केस चलाने की मंजूरी, बंगाल में और बढ़ा टकराव
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद हिंसा की घटनाओं पर राज्यपाल ने गहरी नाराजगी जताई थी।
नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल ( West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ( Governor Jagdeep Dhankhar) और तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee ) के बीच तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। अब राज्यपाल की ओर से उठाए गए एक कदम से दोनों के बीच टकराव चरम पर पहुंचता दिख रहा है। राज्यपाल धनखड़ ने ममता के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले ही नारदा घोटाले में कई पूर्व मंत्रियों और टीएमसी (TMC) के बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद हिंसा की घटनाओं पर भी राज्यपाल ने गहरी नाराजगी जताई थी। उन्होंने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को तलब करके तत्काल रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया था। उनके इस कदम से भी ममता बनर्जी नाराज बताए जा रही हैं।
टीएमसी के चार बड़े नेता जांच के दायरे में
नारदा घोटाले की जांच सीबीआई की ओर से की गई थी और अब राज्यपाल ने इस मामले में बड़ा कदम उठाते हुए मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। टीएमसी के जिन प्रमुख नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है उनमें सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, फरहाद हकीम और सोवन चटर्जी के नाम शामिल हैं।
दो नेताओं को लेनी है मंत्री पद की शपथ
ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है मगर अभी उनके मंत्रिमंडल के अन्य मंत्रियों ने शपथ नहीं ली है। रविवार को पार्टी की ओर से जारी 43 मंत्रियों की सूची में फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी के भी नाम शामिल है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दो मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद ममता की घेरेबंदी और तेज होगी। यही कारण है कि शपथग्रहण से पहले राज्यपाल की ओर से उठाए गए इस कदम के कारण ममता बनर्जी काफी नाराज हैं।
घोटाले के समय मंत्री थे चारों नेता
इस बाबत राजभवन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्टों पर ध्यान देने के बाद राज्यपाल धनखड़ ने फरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। ये चारों नेता ममता बनर्जी के काफी करीबी बताए जाते हैं और नारदा घोटाले के समय चारों नेता पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री थे। माना जा रहा है कि राज्यपाल के इस कदम के बाद टीएमसी और राजभवन के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है।
बंगाल में ममता ने दिखाई ताकत
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। यह चुनाव पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम ममता बनर्जी बन गया था। चुनावी नतीजों की घोषणा से पहले भाजपा और टीएमसी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा था मगर चुनावी नतीजों ने हर किसी को चौंका दिया। नतीजों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 213 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहीं जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ 77 सीटें ही आ सकीं।
हिंसा पर भी राज्यपाल ने जताई थी नाराजगी
चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में हुई चुनावी हिंसा पर राज्यपाल धनखड़ पहले ही नाखुशी जता चुके हैं। उन्होंने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को भी तलब किया था। दोनों अधिकारियों से मुलाकात के बाद उन्होंने विभिन्न घटनाओं के संबंध में तत्काल रिपोर्ट भी भेजने का निर्देश दिया था। राज्यपाल के कदम से ममता काफी नाराज
राज्यपाल का यह कदम भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को रास नहीं आया था। अब शपथग्रहण से पहले ही चार प्रमुख करीबी नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी पर भी ममता काफी नाराज बताई जा रही है। अब हर किसी की नजर इस बात पर टिकी है कि राज्यपाल ने जिन नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है, उन्हें शपथ दिलाई जाती है या नहीं। हालांकि ममता बनर्जी की ओर से घोषित सूची में इनमें से दो नेताओं के नाम शामिल हैं।