IPS अधिकारी का इस्तीफा: बंगाल में गोली मारो नारा पड़ा महंगा, इस वजह से लिया फैसला

राजनीतिक प्रदर्शन के दौरान 'गोली मारो' का नारा लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को पुलिस अफसर हुमायूं कबीर ने गिरफ्तार किया था। हुमायूं कबीर कोलकाता के पास चंदननगर के पुलिस कमिश्नर हैं।

Update:2021-01-30 16:45 IST
IPS अधिकारी का इस्तीफा: बंगाल में गोली मारो नारा पड़ा महंगा, इस वजह से लिया फैसला

पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में चंदन नगर के पुलिस आयुक्त हुमायूं अकबर ने इस्तीफा दे दिया है। पश्चिम बंगाल में विधान सभा के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हैं। बता दें कि राजनीतिक प्रदर्शन के दौरान 'गोली मारो' का नारा लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को पुलिस अफसर हुमायूं कबीर ने गिरफ्तार किया था। हुमायूं कबीर कोलकाता के पास चंदननगर के पुलिस कमिश्नर हैं। कबीर ने बताया कि वह निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं। हुमायूं कबीर को दिसंबर में इंस्पेक्टर जनरल की रैंक का प्रमोशन मिला था।

रैली में भाजपा कार्यकर्ताओं ने "गोली मारो" का नारा लगाया था

पश्चिम बंगाल में 21 जनवरी को भाजपा की रैली के दौरान जब कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने "गोली मारो" का नारा लगाया था, तब आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर ने उन्हें हिंसा भड़काने का प्रयास करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने स्थानीय भाजपा नेता सुरेश शॉ और दो अन्य को भी इस नारेबाजी का वीडियो सामने आने के कुछ घंटों बाद ही गिरफ्तार कर लिया था। इस रैली की अगुवाई भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी और हुगली से भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी कर रहे थे।

नारेबाजी को लेकर हुई गिरफ्तारी पूरी तरह पुलिस का मामला- सौगत रॉय

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी ) में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता के बेहद करीबी समझे जाने वाले सुवेंदु अधिकारी ने पिछले माह ही तृणमूल कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद टीएमसी से पलायन करने की होड़ लग गई। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा है कि इस नारेबाजी को लेकर हुई गिरफ्तारी पूरी तरह पुलिस का मामला है। इसका उनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।

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भाजपा ने गिरफ्तारी पर उठाया सवाल, कहा हो रहा पक्षपात

भाजपा कार्यकर्ताओं के नारेबाजी करने से पहले तृणमूल कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में एक दिन पहले ही इसी तरह के नारे लगाए थे। लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इसलिए भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठे थे। तृणमूल सरकार ने यह मुद्दा चुनाव आयोग के समक्ष भी उठाया था। वहीं भाजपा ने इस मामले में पक्षपात की शिकायत की थी।

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