West Bengal: बीरभूम का केश्टो, मंत्रियों से ज्यादा रहा है दबदबा

West Bengal: तृणमूल नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। मंडल पर मवेशी तस्करी का आरोप है

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-08-11 21:39 IST

बीरभूम जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल को किया गिरफ्तार। (Social Media)

West Bengal: तृणमूल कांग्रेस (TMC) और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी (Supremo Mamata Banerjee) को झटके पर झटका लगना जारी है। अब तृणमूल नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल (Birbhum District President Anubrata Mandal) को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। मंडल पर मवेशी तस्करी का आरोप है और वह इस मामले में सीबीआई के सम्मन से बच रहे थे। मंडल ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस सप्ताह के शुरू में सीबीआई के कम से कम आठ समन का जवाब नहीं दिया था।

बीरभूम में दबदबा

"केश्टो दा" नाम से मशहूर अनुब्रत मंडल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माना जाता है। ऐसे सहयोगी, मंत्रियों और कई विधायकों की तुलना में ज्यादा प्रभाव और शक्ति का मजा लेते हैं। अनुब्रत का बीरभूम जिले में अच्छा खासा दबदबा है। उनके महलनुमा घर में टीएमसी के जिला पार्टी कार्यालय की तुलना में कहीं अधिक भीड़ जमा होती है।

मंडल ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन बीरभूम के लिए टीएमसी (TMC) के वह प्रमुख रणनीतिकार हैं, जो पर्दे के पीछे से पार्टी का प्रबंधन करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में, टीएमसी ने जिले की दोनों सीटों, बीरभूम और बोलपुर पर जीत हासिल की थी। 2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने उस उपलब्धि को दोहराया, और जिले में 11 में से 10 सीटें जीत लीं। इसका श्रेय मंडल के बूथ प्रबंधन कौशल को दिया जाता है। इन चुनावों में से प्रत्येक में, चुनाव आयोग ने उन्हें मतदाताओं को प्रभावित करने की शिकायतों के बाद कड़ी निगरानी में रखा था।

1998 से टीएमसी के साथ

62 वर्षीय अनुब्रत मंडल एक किसान परिवार से आते हैं और 1998 में टीएमसी की स्थापना के बाद से पार्टी के साथ हैं। उनकी मजबूत छवि पहली बार 2013 के पंचायत चुनाव के दौरान सामने आई - राज्य में ममता बनर्जी के पहली बार सत्ता में आने के दो साल बाद। उन्होंने कथित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से पुलिसकर्मियों पर बम फेंकने और निर्दलीय उम्मीदवारों के घर जलाने के लिए कहा था। समय के साथ, मंडल ने अपने भड़काऊ भाषणों के लिए बदनामी हासिल की। वह अक्सर पुलिस को खुली धमकी देते थे।

हालांकि मंडल को कई मामलों में नामजद किया गया है, जिसमें लोगों को धमकी देना, हत्या करना और रेत, पत्थर और पशु-तस्करी से जुड़े मामले शामिल हैं, लेकिन इनमें से किसी में भी उस पर शायद ही कभी मुकदमा चलाया गया हो।

पशु तस्करी, कोयला चोरी और हिंसा

सीबीआई (CBI) ने मवेशी तस्करी (cattle smuggling) के जिस मामले में मंडल को गिरफ्तार किया गया है, उसमें टीएमसी नेताओं और सरकारी अधिकारियों के भी शामिल होने का आरोप है, इन लोगों को कथित तौर पर पशु तस्करी की आय से फायदा हुआ था। मंडल, कोयला चोरी मामले और पिछले साल चुनाव के बाद हुई हिंसा में भी सीबीआई की जांच के घेरे में है। पिछले साल 2 मई को बंगाल विधानसभा के नतीजे वाले दिन बीरभूम के गोपालनगर में बीजेपी कार्यकर्ता गौरव सरकार की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। इसमें मंडल की कथित संलिप्तता का आरोप है। उनसे सीबीआई ने पूछताछ भी की थी। हालांकि, फरवरी में मंडल को एक बड़ी राहत देते हुए, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें चुनाव के बाद की हिंसा के मामले में सीबीआई द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की।

इस साल की शुरुआत में, पूर्व राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने मंडल को अपने वाहन पर लाल बत्ती का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए पुलिस की खिंचाई की थी।

इतने मामले होते हुए भी अनुब्रत मंडल पर कोई असर नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि उन पर ममता का आशीर्वाद था। 2014 में, बीरभूम में एक भाषण के दौरान, सीएम ने केंद्र पर अपनी पार्टी के नेताओं को परेशान करने का आरोप लगाते हुए सहानुभूतिपूर्वक कहा था कि मंडल हाइपोक्सिया से पीड़ित है और केवल ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ घूम सकता है। फरवरी में, मंडल को टीएमसी की राष्ट्रीय कार्य समिति में भी शामिल किया गया था। ममता की अध्यक्षता वाली शीर्ष टीएमसी निकाय में वह एकमात्र जिला स्तरीय नेता था।

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