Dhankhar Vs Mamta: राज्यपाल धनखड़ और ममता के बीच टकराव बढ़ा, सीएम का राजभवन पर फाइलों को मंजूरी न देने का आरोप
Dhankhar Vs Mamta: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन पर बड़ा हमला बोला है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल (Governor) की ओर से राज्य की जरूरी फाइलों को मंजूरी नहीं दी जा रही है।
New Delhi: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar) और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन पर बड़ा हमला बोला है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल (Governor) की ओर से राज्य की जरूरी फाइलों को मंजूरी नहीं दी जा रही है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल धनखड़ (Governor Dhankhar) ने जरूरी फाइलों को राजभवन में ही रोक रखा है। राजभवन की ओर से मुझसे कहा जा रहा है कि इन फाइलों को कैबिनेट की ओर से अनुमोदित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन के इस रवैए से जरूरी फाइलें अटकी हुई हैं।
राजभवन का अड़ियल रवैया
मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच काफी दिनों से टकराव चल रहा है और दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हमले का कोई मौका नहीं चूकते। इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री ने राजभवन पर जरूरी फाइलों को अटकाने का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राजभवन का यह रवैया काफी गलत है क्योंकि इससे कई जरूरी काम अटके हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि राजभवन की ओर से यह अड़ियल रवैया क्यों अपनाया जा रहा है। राज्यपाल को यह समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री कैबिनेट का चेहरा होता है और उसकी ओर से भेजी गई फाइलों को राजभवन की ओर से जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए।
दोनों पक्षों के बीच काफी दिनों से टकराव
पश्चिम बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव (west Bengal assembly elections) के बाद राज्यपाल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लगातार टकराव का दौर चल रहा है। राज्यपाल की ओर से हाल में उठाए गए कदम से टीएमसी का पारा चढ़ गया था और टीएमसी ने राज्यपाल पर बड़ा हमला बोला था। राज्यपाल धनखड़ ने हाल में भारतीय संविधान की धारा 174 के तहत 12 फरवरी 2022 से विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। राज्यपाल की ओर से टि्वटर पर इस आदेश की जानकारी देने के बाद राज्य की सियासत में हड़कंप मच गया। विधानसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसा (Violence during election) के मुद्दे पर भी राज्यपाल ने कड़ा रुख अपनाया था जिसे लेकर टीएमसी खफा हो गई थी।
टीएमसी की ओर से लगातार राज्यपाल को वापस बुलाए जाने की मांग की जा रही है। राज्यपाल के आदेश की जानकारी मिलने के बाद और टीएमसी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और सांसद सौगत राय ने राज्यपाल की ओर से उठाए गए कदम को पूरी तरह असंवैधानिक और अभूतपूर्व बताया था।
राज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की तैयारी
अब ममता सरकार की ओर से 7 मार्च से राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने की तैयारी है। राज्यपाल के अभिभाषण से विधानसभा क्षेत्र की शुरुआत होगी और इसके बाद 11 मार्च को राज्य का बजट विधानसभा में पेश किया जाएगा। टीएमसी की ओर से विधानसभा के सत्र के दौरान राज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की भी तैयारी है। पार्टी का कहना है कि राज्यपाल के रवैए के कारण राज्य सरकार सहज ढंग से काम नहीं कर पा रही है और इसलिए उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से प्रधानमंत्री मोदी से राज्यपाल की पहले भी शिकायत की गई है। राज्य सरकार की मांग है कि राज्यपाल को तत्काल वापस बुलाया जाना चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
राज्यसभा में टीएमसी (TMC) का प्रस्ताव
टीएमसी (TMC) की ओर से हाल में राज्यसभा में भी राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था। तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने नियम 170 के तहत सदन में यह प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में राज्यपाल को तत्काल पद से हटाने या वापस बुलाने की मांग की गई है। पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल लगातार संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार के कामकाज में बाधाएं पैदा कर रहे हैं।