ममता और उनके भतीजे के बीच उभरे मतभेद, अभिषेक बनर्जी छोड़ सकते हैं TMC की सांगठनिक जिम्मेदारियां
West Bengal Politics: खबर यह है कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी पार्टी के सांगठनिक जिम्मेदारियों से अपने आप को दूर करेंगे और केवल डायमंड हार्बर के सांसद के रूप में काम करना जारी रखेंगे।
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के ग्रुप I-PAC के मतभेदों के बाद अब ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) के बीच भी मतभेद के संकेत सामने आ रहे हैं। अब खबर यह है कि तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के महासचिव अभिषेक बनर्जी पार्टी के सांगठनिक जिम्मेदारियों से अपने आप को दूर करेंगे और केवल डायमंड हार्बर (Diamond Harbour) के सांसद के रूप में काम करना जारी रखेंगे।
सूत्रों के अनुसार, टीएमसी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, जो वर्तमान में गोवा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, ने अपने करीबी लोगों से कहा है कि वह 14 फरवरी की शाम या उसके अगले दिन इस सम्बन्ध में कोई घोषणा कर सकते हैं।
अभिषेक इस बात का बना रहे दबाव
हालांकि यह निश्चित नहीं है कि घोषणा क्या होगी, लेकिन यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनके ग्रुप I-PAC के साथ तृणमूल के सम्बन्ध अपने निम्नतम स्तर पर हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के एक वर्ग की राय है कि मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता पर इस बात की दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो I-PAC को लेकर अपने फैसले पर दोबारा विचार करें।
अभिषेक बनर्जी के करीबी एक नेता ने शुक्रवार को कहा, "दबावरोधी राजनीति का कोई सवाल ही नहीं है। अभिषेक का यह सोचना बहुत स्वाभाविक है कि अगर वो वह नहीं कर सकते जो वह करना चाहते हैं तो किसी पद पर टिके रहने का कोई मतलब नहीं है। केवल नाम के लिए एक पद धारण करने के बजाय यह बहुत अच्छा होगा कि वो अपनी जिम्मेदारी छोड़ दें। उस स्थिति में वह डायमंड हार्बर के लोगों के लिए एक स्वतंत्र दिमाग से काम कर सकते हैं।''
हालांकि निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कई तरफ से अनुरोध किया गया है, लेकिन डायमंड हार्बर के सांसद ने पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिखाए हैं।
राजनीति से दूरी बनाना चाहते हैं अभिषेक
अभिषेक के करीबी नेताओं के मुताबिक युवा नेता इस सत्ता की राजनीति से दूरी बनाना चाहते हैं। अभिषेक ने अपने नजदीकी लोगों से कहा,"सभी जानते हैं कि मैंने विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए क्या किया है और मैंने क्या दबाव बनाया है। मैं इस तरह की गंदी बातों में नहीं पड़ना चाहता।"
अभिषेक और पार्टी के मध्य उस समय मतभेद सामने आए, जब चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दो सूची पहली पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी और राज्य सचिव सुब्रत बख्शी द्वारा हस्ताक्षरित और दूसरी आई-पैक द्वारा तैयार की गई सूची सामने आयी। समझा जाता है कि आई-पैक द्वारा रिलीज़ की गयी सूची को अभिषेक का समर्थन और संरक्षण प्राप्त था।
हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि चटर्जी और बख्शी द्वारा तैयार की गई सूची आधिकारिक सूची थी, लेकिन कई नगर पालिकाओं में अभिषेक ने मुख्यमंत्री के फैसले को खारिज कर दिया और प्रशांत किशोर और आई-पैक द्वारा अनुमोदित उम्मीदवारों को नामांकन दिया। स्थिति इस हद तक बढ़ गयी कि चटर्जी और बख्शी दोनों ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके लिए बेहतर होगा कि वे कैमाक स्ट्रीट (अभिषेक बनर्जी का कार्यालय) से निर्देश लेने की बजाय सक्रिय राजनीति से दूरी बना लें। ममता बनर्जी भी स्थिति से बहुत नाखुश थीं और उन्होंने I-Pac के साथ संबंध समाप्त करने के संकेत दिए।
आपसी मिस कम्युनिकेशन के कारण पैदा हुए मतभेद
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में अभिषेक द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों पर अपनी आपत्ति व्यक्त की थी, वहीं दूसरी ओर अभिषेक बनर्जी को लगने लगा कि पार्टी अध्यक्ष अपने ही लोगों की तुलना में 'बाहरी लोगों' को अधिक वरीयता दे रही हैं। पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि जो भी मतभेद पैदा हुए हैं वो आपसी मिस कम्युनिकेशन के कारण हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अखिल भारतीय महासचिव को चर्चा के लिए आमने-सामने बैठ कर इस मामले को सुलझा लेना चाहिए।
I-PAC को पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान TMC ने अनुबंधित किया था। तृणमूल कांग्रेस और आईपीएसी ने एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया था जिसके तहत टीएमसी जिस भी राज्य में अपना विस्तार चाहती है वहाँ वह I-PAC की सेवाएं लेगी।
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