Bengal violence: बीरभूम हिंसा पर सियासी माहौल गरमाया, नकवी का ममता सरकार पर बड़ा हमला, कहा- राज्य की कानून व्यवस्था ध्वस्त
Bengal violence: केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ममता सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। सच्चाई तो यह है कि गुंडों और मवालियों ने राज्य की कानून व्यवस्था को बंधक बना लिया है।
West Bengal: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा के बाद राज्य का सियासी माहौल काफी गरमा गया है। भाजपा ने इस मामले में राज्य की ममता सरकार (Mamata Government) को घेरते हुए राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Union Minister Mukhtar Abbas Naqvi) ने ममता सरकार (Mamata Government) को घेरते हुए कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। सच्चाई तो यह है कि गुंडों और मवालियों ने राज्य की कानून व्यवस्था को बंधक बना लिया है।
अवैध खनन के मामले में बीरभूम जिले में टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के बाद सोमवार की रात हिंसा भड़क गई थी। उग्र भीड़ ने करीब दर्जन भर घरों के दरवाजे बंद करके आग लगा दी थी जिसमें आठ लोगों की जलकर मौत हो चुकी है। घटना के बाद गरमाए माहौल के बीच फॉरेंसिक और एसआईटी की टीमें जांच पड़ताल के लिए बीरभूम जिले में पहुंच चुकी हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भी ममता सरकार से 72 घंटे के भीतर पूरी घटना के संबंध में रिपोर्ट तलब की गई है। भाजपा ने ममता सरकार पर हमला करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
देशद्रोहियों के सामने प्रशासन असहाय
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Union Minister Mukhtar Abbas Naqvi) का कहना है कि पश्चिम बंगाल में गुंडों और मवालियों ने अपना राज्य स्थापित कर लिया है। राज्य की सरकार और प्रशासन देशद्रोही ताकतों के सामने पूरी तरह असहाय नजर आ रहा है। जिस तरह गुंडे और मवाली बंगाल में आम लोगों का खून बहाने में जुटे हैं, उससे यह बात पूरी तरह साबित होती है कि राज्य सरकार पूरी तरह असहाय हो चुकी है।
बंगाल के भाजपा नेता अर्जुन सिंह (Bengal BJP leader Arjun Singh) ने भी पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बेगुनाह लोगों की हत्या की जा रही है और राज्य की पुलिस मशीनरी भी बेगुनाहों की कोई मदद नहीं कर रही। टीएमसी नेता आपस में लड़ रहे हैं और इसका खामियाजा दूसरे बेगुनाहों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बीरभूम में हुई हिंसा की घटनाओं के बाद ममता बनर्जी को राज्य की सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है।
पुलिस ने नहीं की पीड़ितों की मदद
बीरभूम हिंसा मामले को लेकर सियासी माहौल गरमाने के बाद राज्य सरकार ने भी जांच पड़ताल की कार्रवाई तेज कर दी है। सरकार की ओर से गठित एसआईटी (SIT) और फॉरेंसिक टीमें मौके पर घटना की जांच के लिए पहुंच गई हैं। दोनों टीमें मौके पर घटना का पूरा ब्योरा जुटाने में लगी हुई हैं। इस बीच तमाम स्थानीय लोगों ने अपने घरों को छोड़कर पलायन भी शुरू कर दिया है।
पीड़ित परिवार से जुड़ी एक महिला ने बताया कि सुरक्षा के लिए हम अपने घरों को छोड़कर जा रहे हैं। महिला के मुताबिक घटना में मारा गया एक व्यक्ति उसका देवर था। महिला ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस की ओर से लोगों को कोई सुरक्षा नहीं दी गई। पुलिस ने अगर समय रहते लोगों को सुरक्षा दी होती तो इस तरह की घटना न हो पाती।
महिला आयोग का सख्त रुख
बीरभूम घटना का हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है जबकि महिला आयोग ने भी इस मामले में सख्त रवैया अपनाया है। आयोग ने इस घटना के लिए राज्य के डीजीपी और बीरभूम के एसपी को जिम्मेदार बताते हुए दोनों अफसरों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। आयोग ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में की गई कार्रवाई से 24 घंटे के भीतर अवगत कराने को भी कहा है।
कुल मिलाकर यह मामला राज्य के ममता सरकार के गले की फांस बन गया है। भाजपा ने इस मामले को लेकर हमलावर रुख अपना लिया है जबकि राज्य सरकार पूरी तरह बैकफुट पर दिख रही है। हिंसा की इस घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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