हाईकोर्ट के आदेश से बंगाल में हिंसा का मामला फिर गरमाया, CBI जांच से बढ़ेगी ममता की मुसीबत

ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की ओर से लगातार हिंसा की घटनाओं को भाजपा का दुष्प्रचार बताया जाता रहा है मगर कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में ममता बनर्जी को करारा झटका दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2021-08-20 11:47 IST

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (west Bengal) के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जबर्दस्त जीत के बाद हिंसा का जिन्न मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पीछा नहीं छोड़ रहा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की ओर से लगातार हिंसा की घटनाओं को भाजपा का दुष्प्रचार बताया जाता रहा है मगर कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में ममता बनर्जी को करारा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। हिंसा के मामलों की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया जाएगा।

हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक हत्या और रेप जैसे गंभीर मामलों की जांच सीबीआई करेगी जबकि दूसरे अन्य मामलों की जांच एसआईटी की ओर से की जाएगी। जांच का यह काम कोर्ट की निगरानी में किया जाएगा। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा का मामला एक बार फिर गरमा गया है। इससे पहले एनएचआरसी की रिपोर्ट से भी ममता सरकार को करारा झटका लगा था।

पश्चिम बंगाल हिंसा (फोटो : सोशल मीडिया )

ममता सरकार को घेरती रही है भाजपा

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने जोरदार जीत हासिल की थी मगर इस जीत के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की खबरें सामने आई थीं। भाजपा हिंसा की इन घटनाओं के लिए तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराती रही है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी इस मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि ममता और तृणमूल कांग्रेस की ओर से यह जवाब दिया जाता रहा है की हार की निराशा में भाजपा की ओर से झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।

बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो : सोशल मीडिया )

हाईकोर्ट ने दिया ममता को बड़ा झटका

अब इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेश को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हाईकोर्ट ने हिंसा के इन मामलों की सीबीआई और एसआईटी से जांच कराने का आदेश देते हुए छह हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की है।

कोर्ट ने राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि सरकार इन मामलों की निष्पक्ष जांच कराने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग पर भी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा है कि आयोग को इन मामलों में और बेहतर भूमिका निभानी चाहिए थी।

बीजेपी (फोटो : सोशल मीडिया )

गृह मंत्रालय ने भी तलब की थी रिपोर्ट

हिंसा का मामला गरमाने के बाद गृह मंत्रालय की ओर से भी इस मामले में रिपोर्ट तलब की गई थी। चुनाव नतीजे वाले दिन यानी 2 मई को कोलकाता में भाजपा दफ्तर में आग लगा दी गई थी। बाद के दिनों में राज्य के अन्य हिस्सों में भी हिंसा की घटनाएं हुई थीं जिनमें कई लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। घटना के शिकार होने वाले लोग भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक बताए गए थे। भाजपा का आरोप था कि इस मामले में शिकायत दर्ज कराने के बाद भी पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

बाद में पुलिस की जांच पड़ताल में हिंसा की घटनाओं में 17 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई थी। हालांकि भाजपा की ओर से दावा किया गया था कि इससे कई गुना ज्यादा लोग हिंसा का शिकार हुए हैं। भाजपा की ओर से तैयार की गई सूची के मुताबिक राज्य में हिंसा की 273 घटनाएं हुई थीं मगर पुलिस ने किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।

एनएचआरसी (फोटो : सोशल मीडिया )

एनएचआरसी ने भी उठाए थे सरकार पर सवाल

बाद में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की ओर से भी जांच टीम का गठन किया गया था। एनएचआरसी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि बंगाल में कानून का शासन नहीं बल्कि शासक का कानून चलता है। एनएचआरसी की रिपोर्ट में हिंसा के मामलों की जांच राज्य के बाहर कराए जाने की सिफारिश भी की गई थी। इसके साथ ही हिंसा के मामलों की जांच सीबीआई से कराने पर भी जोर दिया गया था। हिंसा पीड़ितों पर की शिकायतों के निस्तारण में सरकार पर उदासीनता का आरोप भी लगाया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि हिंसा की घटनाओं के दौरान अधिकारी मूकदर्शक बने रहे और कई मामलों में तो उन्होंने इन घटनाओं में हिस्सा तक लिया।

ममता सरकार की बढ़ेंगी मुश्किलें

अब हाईकोर्ट के आदेश से हिंसा से जुड़ी घटनाओं का मामला एक बार फिर गरमा गया है। माना जा रहा है कि इस जांच से ममता सरकार एक बार फिर कटघरे में खड़ी होगी। पुलिसिया जांच के बल पर सरकार की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं मगर सीबीआई और एसआईटी की जांच ममता सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। अब इस मामले में भाजपा का रुख और हमलावर होगा जिसका जवाब देना तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा।

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