एक ऐसी डिवाइस जो हार्ट फेल के खतरे को देती है टाल, जानें उसके बारें में

एफडीए के अुनसार यह डिवाइस हार्ट फेल के जटिल मामलों को रोकने में भी कामयाब है। इससे दुनिया के तमाम देशों के हृदय रोगियों को फायदा होगा।  बता दें कि भारत में हाइ बीपी और डायबिटीज रोगी बहुतायत में हैं।

Update:2019-08-23 18:41 IST

लखनऊ: अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने हार्ट फेल की स्थिति को रोकने के लिए एक नयी डिवाइस 'बैरोस्टिम नियो सिस्टम' को मंजूरी दी है।

एफडीए के अुनसार यह डिवाइस हार्ट फेल के जटिल मामलों को रोकने में भी कामयाब है। इससे दुनिया के तमाम देशों के हृदय रोगियों को फायदा होगा। बता दें कि भारत में हाइ बीपी और डायबिटीज रोगी बहुतायत में हैं।

ऐसे काम करती है ये मशीन

एफडीए की नई डिवाइस का नाम बैरोस्टिम नियो सिस्टम है। इसे कॉलर बोन के नीचे लगाते हैं और फिर इसे गर्दन की कैरोटिड आर्टरी से कनेक्ट करते हैं।

डिवाइस को ऐसे प्रोग्राम किया जाता है कि वह ब्रेन को संकेत भेजे, ब्रेन उन संकेतों को दिल को भेजकर धड़कनों को सामान्य करता है।

इससे मरीज को जल्दी थक जाने, धड़कनों के अनियमित होने जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है। इस डिवाइस को 408 मरीजों पर टेस्ट किया गया।

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बोन मैरो कैंसर की नई दवा को मिली मंजूरी

एफडीए ने वयस्कों को होने वाले दुर्लभ किस्म के बौन मैरो कैंसर की नई दवा को भी मंजूरी दी है। इस कैंसर को मायलोफाइब्रोसिस के नाम से जाना जाता है। जिस नई दवा को मंजूरी दी गई है, उसका नाम इनरेबिक है। क्लीनिकल ट्रायल्स में इस दवा को कामयाब पाया गया है।

कैसे होता है हार्ट अटैक

दिल का दौरा तब होता है जब एक कोरोनरी धमनी (दिल को रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिका ) जो दिल की बीमारी की वजह से पहले ही सिकुड़ चुकी होती है, पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है।

आमतौर पर ब्लड क्लॉट की वजह से। यह हमारे दिल को ऑक्सीजनयुक्त रक्त से वंचित कर देती है, जिससे मसेल सेल यानी मांसपेशी कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं जिससे हमारा दिल शरीर के सभी हिस्सों में पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता।

सुबह हुए हार्ट अटैक सबसे ज्यादा खतरनाक

हार्ट अटैक सबसे ज्यादा सुबह के वक्त ही होते हैं, लेकिन रिसर्च ये भी कहती है कि सुबह होने वाले अटैक सबसे ज्यादा खतरनाक भी होते हैं।

स्पेन के नेशनल सेंटर फॉर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च के शोधकर्ताओं ने 800 मरीजों के डेटा का परीक्षण करने पर ये पाया कि जो दिल के दौरे सुबह के वक्त पड़ते हैं उनमें मृत मसेल सेल औरों से 20% ज्यादा पाए गए थे।

दिन के दूसरे समय की तुलना में सुबह के वक्त दिल के दौरे के लिए हम ज्यादा संवेदनशील होते हैं क्योंकि इस वक्त हमारे दिल को बाकी समय से ज्यादा काम करना होता है।

हमारी कोरोनरी धमनियां ज्यादा संकुचित होती हैं और रक्त के थक्कों को खत्म करने की शक्ति इस वक्त खत्म हो चुकी होती है।

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महिलाओं को खतरा ज्यादा

पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए दिल का दौरा ज्यादा घातक है। महिलाओं में पहली बार दिल का दौरा पडऩे के बाद एक साल के भीतर मौत होने की आशंका पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।

द अमरीकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किए गए एक सर्वे में कहा गया है कि दिल का दौरा पडऩे के बारे में अक्सर लोग सोचते हैं कि यह वैसी समस्या है जो मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करती है। लेकिन सच्चाई यह है कि महिलाएं पुरुषों की तरह ही दिल के दौरे से अधिक प्रभावित होती हैं।

दिल का दौरा पडऩे पर पुरुष तथा महिला दोनों को सीने में दर्द का अनुभव होता है लेकिन महिलाओं को सांस की तकलीफ, एक या दोनों बांह, गर्दन, पीठ, जबड़े या पेट में दर्द, जी मिचलाना, चक्कर आना और ठंडे पसीना आता है।

ये वो लक्षण हैं जो पुरुषों में आमतौर पर नहीं देखे जाते। यह लक्षण सामान्य होते हैं इसलिए अक्सर महिलाएं इसे एसिड रिफलैक्स मानकर अनदेखा कर देती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार दिल का पहला दौरा पडने के बाद एक साल के अंदर मौत होने की संभावना महिलाओं में 26 प्रतिशत तथा पुरुषों में 19 प्रतिशत होती है।

कैसे बचें

-दिल की बीमारी न हो इसके लिए एक स्वस्थ दिनचर्या जरूरी है।

-खाना दिल के मुकाबिक ही खाएं जो दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो।

- तनाव मुक्त रहें, और व्यायाम करें।

- कोशिश करें कि बीपी, डायबिटीज, कॉलेस्ट्रोल न हो।

-अगर पहले से दिल की परेशानी है तो ठंड के मौसम में अपना खास ख्याल रखें, खुद को गर्म रखें।

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