आजाद-तिलक जयंती: जिनसे डर से कांपते थे अंग्रेज, मोदी-शाह ने किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि भारत मां के दो वीर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन।

Update: 2020-07-23 06:07 GMT

लखनऊ: आज भारत के आजाद देश है, लेकिन इसको आजाद कराने में महान क्रांतिकारियों ने एड़ी से चोटी तक का दम लगा दिया था। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को इस कदर मजबूर किया कि आखिरकार उन्हें भारत छोड़कर जाना पड़ा। इन क्रांतिकारियों ने कुछ ऐसे भी नाम शामिल हैं, जिनके केवल नाम से ही अंग्रेज डर से कांपने लगते थे। हम बात कर रहे हैं अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी वीर चंद्रशेखर आजाद और गंगाधर तिलक की।

मोदी-शाह ने दी श्रद्धांजलि

आज गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत देश की दिग्गज हस्तियों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी है और नमन किया है।

PM मोदी ने किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि भारत मां के दो वीर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन।



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गृह मंत्री ने लिखा वो अंतिम सांसों तक आजाद रहे

इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने चंद्रशेखर आजाद को याद करते हुए लिखा कि चंद्रशेखर आजाद जी से अंग्रेजी हुकूमत थर-थर कांपती थी, उन्होंने कहा था कि "मैं आज़ाद था, आज़ाद हूं, आज़ाद रहूंगा" और वो सच में अपनी अंतिम सांसों तक आज़ाद रहे। उनके राष्ट्रप्रेम ने देश के लाखों युवाओं के हृदय में स्वाधीनता की लौ जलाई। ऐसे अमर बलिदानी के चरणों में कोटि-कोटि वंदन’।



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आज़ाद को स्मरण एवं नमन करता हूँ- राजनाथ सिंह

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लिखते हैं कि भारत माता के वीर सपूत और अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती पर मैं उन्हें स्मरण एवं नमन करता हूँ। उनका नाम सुनकर कर ही भारतवासियों को देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा मिलती है। देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले चंद्रशेखर आज़ाद को शत शत नमन!



गौरतलब है कि अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में हजारों-लाखों सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर किए। चंद्रशेखर आजाद और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भी आजादी की लड़ाई में बड़ी और अहम भूमिक निभाई।

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अंग्रेजों को खटकते थे आजाद

चंद्रशेखर आजाद की बात की जाए तो वो देश की सेवा में मात्र 16 साल की उम्र में ही शहीद हो गए थे। चंद्रशेखर आजाद 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा में जन्मे थे और 27 फरवरी को साल 1931 में आजाद शहीद हुए थे। संघर्ष के बीच कई दल बने थे, जैसे नरम दल और गरम दल आजाद गरम दल का हिस्सा थे।

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आखिरी गोली जिससे खुद की ली जान

वो मात्रा 14 साल की उम्र में ही आंदोलनों से जुड़ गए थे। उस वक्त उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आजाद ने अंग्रेजों के नाक में इतना दम कर दिया था कि वो हमेशा ही अंग्रेजों को खटकते रहे। अंग्रेजों का सामना करते समय जब उनके पास आखिरी में केवल एक गोली बची, तो उन्होंने अपनी जान लेना लाजिमी समझा। उन्होंने वो गोली अपने आप को मार ली। इससे उन्होंने अपने दोनों कसमों को पूरा कर लिया अंग्रेज न उन्हें जिंदा पकड़ पाएं और न ही उनकी गोलियां उनके जिस्म पर लगी।

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जाते-जाते उन्होंने एक शेर बोला था और वो था-

दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे,

आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे।

ऐसे थे बाल गंगाधर तिलक

वहीं बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को शिवाजी की कर्मभूमि महाराष्ट्र में कोंकण के रत्नागिरि में हुआ था। उनका वास्तविक नाम केशव था। तिलक को बचपन में बाल या बलवंत राव के नाम से पुकारा जाता था। लोकमान्य तिलक ने देश को स्वतंत्र कराने में अपना सारा जीवन व्यतीत कर दिया। वे जनसेवा में त्रिकालदर्शी, सर्वव्यापी परमात्मा की झलक देखते थे।

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‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर रहूंगा’

बाल गंगाधर तिलक ने कम उम्र से ही अंग्रेजों से लोहा लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने मराठी भाषा में पत्राचार निकाले और लोगों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया। वो इस दौरान कई बार जेल भी गए। साथ ही उन्हें राष्ट्रद्रोह के आरोपों का सामना भी करना पड़ा। ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर रहूंगा’, उनका यह महामंत्र देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी तेजी से गूंजा और एक अमर संदेश बन गया।

उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। जब तक यह भाव मेरे दिल में है मुझे कोई नहीं लांघ सकता है। मेरी इस भावना को काट नहीं सकते, उसको भस्म नहीं कर सकते, मेरी आत्मा अमर है। 31 जुलाई, 1920 की रात को सदा के लिए अंतिम सांस ली।

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