कोरोना से जंग में जागी उम्मीद

दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 63 लाख पहुँच चुके हैं। साथ ही साथ वैक्सीन के ट्रायल के काम में भी तेजी आई है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिकी संघीय सरकार ने कोविड-19 की वैक्सीन के लिए पाँच कंपनियों का चयन कर लिया है।

Update:2020-06-05 18:49 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में काफी तेजी आई है मगर एक अच्छी बात ये है कि काफी संख्या में मरीज इस वायरस के संक्रमण से उबर रहे हैं। इसके अलावा देश में अब देश में 90 फीसदी से अधिक मरीज हल्के लक्षण वाले सामने आ रहे हैं। अच्छी बात ये भी है कि वैक्सीन के काम में काफी तेजी आई है और उम्मीद की जा रही है कि इस साल अक्तूबर तक वैक्सीन तैयार हो जाएगी।

वैक्सीन का फास्ट ट्रैक ट्रायल

दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 63 लाख पहुँच चुके हैं। साथ ही साथ वैक्सीन के ट्रायल के काम में भी तेजी आई है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिकी संघीय सरकार ने कोविड-19 की वैक्सीन के लिए पाँच कंपनियों का चयन कर लिया है। अमेरिका में इस साल के अंत तक वैक्सीन बना कर लांच कर देने के लिए ‘ऑपरेशन वार्प स्पीड’ के तहत प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसी के तहत ट्रम्प प्रशासन ने मोडेरना, आस्ट्रा जेनेका, फाइजर, जॉन्सन एंड जॉन्सन और मर्क एंड कंपनी को अंतिम तौर पर चुना है। इन कंपनियों को अमेरिकी सरकार से पूरी फंडिंग और मदद मिलेगी। पहले सनोफी, नोवावैक्स और इनोवीओ फार्मा का नाम काफी चर्चा में रहा था लेकिन फाइनल लिस्ट से ये नदारद हैं।

अमेरिका में एक से डेढ़ लाख वालंटियर्स पर वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की योजना है। ये अभी तक का सबसे बड़ा ट्रायल होगा। ट्रायल जुलाई के मध्य से शुरू होना है और सबसे पहले मोडेरना और आस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन पर काम होगा। आस्ट्रा जेनेका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी संयुक्त रूप से वैक्सीन पर काम कर रहे हैं।

मोडेरना की वैक्सीन का दूसरे चरण का ट्रायल पिछले हफ्ते शुरू

मोडेरना की वैक्सीन का दूसरे चरण का ट्रायल पिछले हफ्ते शुरू हो चुका है और अब फ़ाइनल ट्रायल होना बाकी है, फ़ाइनल ट्रायल के नतीजे इस वर्ष नवंबर–दिसंबर तक आ जाएंगे जब तक मोडेरना वैक्सीन की एक करोड़ डोज़ बना चुका होगा। फ़ाइज़र कंपनी ने वैक्सीन की रिलीज डेट भी बता दी है। कंपनी का दावा है कि इस साल अक्तूबर में उसकी वैक्सीन आ जाएगी। उधर ब्राज़ील ने आस्ट्रा जेनेका द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन के इनसानी ट्रायल को मंजूरी दे दी है।

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भारत में चार वैक्सीनों का ट्रायल होगा

विश्व में अभी 120 वैक्सीनों पर काम जारी है जिसमें से 10 का परीक्षण इनसानों पर किया जा रहा है।भारत की बात करें तो देश में विकसित की जा रही 30 में से चार का क्लीनिकल ट्रायल अगले तीन से पाँच महीने में शुरू हो जाएगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिल कर भारत बायोटेक इंटेरनेशनल लिमिटेड वैक्सीन विकसित करने के काम में काफी प्रगति कर चुका है। कंपनी का कहना है कि अगला एक महीना काफी महत्वपूर्ण है। इस बीच केंद्र सरकार ने पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलोजी को 30 बंदरों पर क्लिनिकल ट्रायल करने की मंजूरी दे दी है।

- इटली में अब कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 40 हजार से नीचे चली गई है। देश में अब संक्रमण पर पूर्ण नियंत्रण का दावा किया गया है।

- ताइवान में 55 दिन से कोरोना का कोई नया केस नहीं आया है। न्यूज़ीलैंड और वियतनाम में भी इस महीने कोई नया केस नहीं मिला है।

- वुहान, चीन में व्यापक टेस्टिंग के चलते अब कोरोना वाइयस पर कंट्रोल कर लिया गया है। एक अनुमान के अनुसार यहाँ 65 लाख लोगों की टेस्टिंग की गई है।

कोरोना की मारक क्षमता घटी

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि शुरुआत में इस वायरस से संक्रमित होने वाले मरीज गंभीर लक्षण वाले से मगर अब 90 फ़ीसदी से अधिक मरीज हल्के लक्षण वाले हैं। उनका कहना है कि इस वायरस की मारक क्षमता में कमी दिख रही है और 12 से 13 शहरों में ही 80 फीसदी से अधिक मामले हैं। गुलेरिया ने कहा कि देश में ऐसे मरीजों की संख्या कम है जिन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है।

बीसीजी वैक्सीन लगी होने के कारण भारतीयों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। गुलेरिया का कहना है कि देश में पिछले 15 दिनों के दौरान कोरोना के काफी नए मरीज मिले हैं। 4 जून तक यह आंकड़ा दो लाख 10 हजार से ऊपर पहुंच गया। मगर इसके साथ ही साथ ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ रही है।

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इन दवाओं से हो रहा फायदा

उन्होंने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडिसवीर दवाओं पर ट्रायल चल रहे हैं। डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक रेमडिसवीर से रोगियों का अस्पताल में रुकने का समय कम होता है, लेकिन इससे गंभीर मरीजों में मृत्यु दर कम नहीं होती। हल्के लक्षणों वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लाभदायक रही है।

डॉ.गुलेरिया का कहना है कि अभी पूरे देश में इस वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं शुरू हुआ है। वैसे कुछ शहरों में जहां हॉटस्पॉट हैं वहां यह जरूर दिख रहा है। उनका कहना है कि ऐसे स्थानों पर इस वायरस की चेन को तोड़ने की जरूरत है और इसके लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। यदि लोगों ने इस बात का ध्यान नहीं रखा तो आने वाले दो सप्ताह में इसका गंभीर नतीजा दिख सकता है

मानसून के दौरान बढ़ेंगे कोरोना केस

देश में कोरोना के बढ़ते संकट के बीच वैज्ञानिकों ने बड़ी चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के दौरान यह मुसीबत और बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जून के अंत या जुलाई के दौरान मानसून के पूरी तरह सक्रिय होने पर कोरोना के मामलों में तेजी आ सकती है। कोरोना के साथ ही मानसून के दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस, डेंगू और मलेरिया के कारण स्वास्थ्य विभाग की दिक्कतें और बढ़ जाएंगी।

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इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु और टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी दी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मानसून के सक्रिय होने के साथ ही कोरोना के संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो सकता है। उस दौरान तापमान में गिरावट के साथ कोरोना के केसों में उछाल आने की प्रबल आशंका है।

सरकारों के सामने होगी ये दिक्कत

विशेषज्ञों का कहना है कि सभी राज्य सरकारों ने कोरोना से जंग लड़ने में भी स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर सभी स्थानीय एजेंसियों की पूरी ताकत झोंक रखी है। ऐसे में मानसून के सक्रिय होने के बाद बाढ़, इंसेफेलाइटिस, डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों से लड़ने में दिक्कतें बढ़ जाएंगी। विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य सरकारों को कर्मचारियों व बजट की कमी के संकट से जूझना होगा। विशेषज्ञों की इन बातों में काफी दम है क्योंकि यह सच्चाई है कि इस समय सभी राज्य सरकारों का पूरा अमला कोरोना से जंग में ही जुटा हुआ है और ऐसे में अन्य बीमारियों की दस्तक से सरकारों की मुसीबतें और बढ़ेंगी।

डब्ल्यूएचओ ने भी दी है यह चेतावनी

डब्ल्यूएचओ ने भी चेतावनी दी है कि खांसी-जुकाम के दौरान बाहर आने वाली बूंदों से भी कोरोना का संक्रमण फैलता है। जलवायु में परिवर्तन के साथ इन बूंदों में वायरस ज्यादा देर तक जिंदा रह सकता है। यह वायरस बिना क्लोरीन के नल वाले पानी में दो दिन तक जिंदा रह सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सीवेज के पानी में यह वायरस हफ्तों तक बना रह सकता है और इससे हमेशा संक्रमण का खतरा बना रह सकता है।

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इस तरह फैला वायरस का संक्रमण

नई दिल्ली। चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण वुहान के वेट मार्केट से नहीं फैला है। उनका कहना है कि इस बाबत आई रिपोर्टों में कोई दम नहीं है और हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं। चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस चीनी चमगादड़ों में पहले से ही मौजूद था।

चीनी विशेषज्ञों ने रिपोर्ट को किया खारिज

वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी के विशेषज्ञों ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिनमें इस वायरस के वुहान के वेट मार्केट से फैलने की बात कही गई थी। इन विशेषज्ञों का कहना है कि वेट मार्केट की भूमिका एक सुपर स्प्रेडर की तरह है, न कि किसी सोर्स की तरह। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला वुहान के बाजार से नहीं आया है।

महामारी की शुरुआत के समय दावा किया गया था कि वुहान के सी फूड मार्केट से ही इस वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला मगर चीन के विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। चीनी विशेषज्ञों के दावे पर अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

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चीनी चमगादड़ों में पहले से था वायरस

वॉल स्ट्रीट जनरल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएनए ने सबूतों से पता चलता है कइ नोवल कोरोना वायरस सार्स-सीओवी टू चीनी चमगादड़ों में पहले से ही मौजूद था। उनका कहना है कि इंसानों में इस वायरस का संक्रमण बीच के किसी दूसरे जानवर के जरिए पहुंचा। इस मामले में सबसे ज्यादा शक पैंगोलिन पर ही जताया गया है।

चीन के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सीडीसी के डायरेक्टर गाओ फू का कहना है कि वुहान के पशु बाजार से दोबारा सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट निगेटिव मिली है। इसके साथ ही यहां के दुकानदार कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए। इससे पता चलता है इस वायरस का संक्रमण वहां के पशु बाजार से नहीं फैला।

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