भारत लाएगा वैक्सीन: सबसे पहले लगेगी इन्हें, करोड़ों खुराक पाने की योजना
कोरोना वायरस की वैक्सीन का सबको बेसब्री से इंतज़ार है। एक बात तय है कि वैक्सीन जब भी आयेगी तो भारत बाकी देशों से बेहतर स्थिति में होगा। क्योंकि हमारे यहाँ की कम्पनियाँ पूरी दुनिया में वैक्सीन की सबसे ज्यादा सप्लाई करती हैं।
लखनऊ। कोरोना की वैक्सीन के फ्रंट पर भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। खरबपति उद्यमी बिल गेट्स ने भी कहा है कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत से बड़ी उम्मीदें हैं। गेट्स ने कहा है कि भारत में हो रही रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग कोरोना से लड़ने में अहम है। बड़े पैमाने पर वैक्सीन तैयार करने में भारत की खास भूमिका होगी। गेट्स ने कहा कि भारत ने बीते दो दशकों में स्वास्थ्य सुधार के लिए बड़े काम किए हैं। आगे भी इससे काफी उम्मीदें हैं।
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दरअसल, कोरोना वायरस की वैक्सीन का सबको बेसब्री से इंतज़ार है। एक बात तय है कि वैक्सीन जब भी आयेगी तो भारत बाकी देशों से बेहतर स्थिति में होगा। क्योंकि हमारे यहाँ की कम्पनियाँ पूरी दुनिया में वैक्सीन की सबसे ज्यादा सप्लाई करती हैं। दूसरी बात ये कि भारत पहले से ही बच्चों और माताओं के लिए दुनिया का सबसे व्यापक टीकाकरण अभियान चलाता रहा है।
कोल्ड चेन की चुनौती
भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोल्ड चेन की है। कोरोना के लिए अलग से जो कैपसिटी बनानी होगी उसकी कोई तैयारी अभी तक शुरू नहीं की गयी है। कोल्ड चेन उपकरण, सिरिंज और वायरल का इंतजाम अभी बाकी है।
भारत की योजना जुलाई 2021 तक 20 से 25 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाने की है। इसके लिए 40 से 50 करोड़ खुराकें दी जायेंगी। पहले राउंड में जिनको वैक्सीन लगाई जायेगी उनमें हेल्थ केयर से जुड़े लोग यानी डाक्टर, नर्स, अस्पताल के कर्मचारी शामिल होंगे। इसके अलावा अधिक जोखिम के दायरे वाले लोगों को भी शुरुआत में वैक्सीन लगाई जायेगी।
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भारत में तैयारी
भारत में 135 करोड़ की आबादी में मात्र 20 से 25 करोड़ लोग ही शुरुआत में वैक्सीन पा सकेंगे और वो भी जुलाई 2021 तक। ये भी उस उम्मीद के आधार पर कहा जा सकता है कि अगले साल की शुरुआत में एक या ज्यादा वैक्सीन डेवलप कर ली जाएँ।
फिलहाल तो भारत की उम्मीद रूस में डेवलप और मंजूर की गयी वैक्सीन स्पुत्निक 5’पर टिकी हैं। रूस में स्पुतनिक 5 वैक्सीन हजारों लोगों को लगाई भी जा चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा है कि जुलाई 2021 तक कोरोना वैक्सीन की 40 से 50 करोड़ खुराक पाने की योजना पर काम चल रहा है। चूंकि हर व्यक्ति को दो खुराक देने की जरूरत होगी सो 20 से 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा सकेगी।
अभी जितनी वैक्सीन डेवलप की जा रही हैं उनमें अधिकाँश की दो डोज़ देने की जरूरत पड़ेगी। सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सिंगल डोज़ वाली होगी। इस पर अभी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
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किसको पहले लगेगी वैक्सीन
हर्ष वर्धन का कहना है कि राज्य सरकारों से ऐसे ग्रुप्स की लिस्ट बनाने को कहा गया है जिनको प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जानी है। ये लिस्ट अक्टूबर के अंत तक तैयार कर ली जाएगी।
वैक्सीन की सप्लाई, भण्डारण, ट्रांसपोर्टेशन, और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए सरकार ने कमिटी बना दी है जो पूरी सप्लाई चेन की व्यवस्था करेगी। वैसे सबसे पहले वैक्सीन डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को लगाईं जायेंगी।
भारत की दो वैक्सीनों पर काम
भारत में अपनी दो वैक्सीनों पर काम जारी है और ये दोनों दूसरे चरण के ट्रायल में हैं। एक वैक्सीन तो हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा डेवलप की जा रही है और दूसरी वैक्सीन अहमदाबाद स्थित जाईडस कैडिला बना रहा है।
अगर इनके ट्रायल सफल रहते हैं तो ये वैक्सीनें अगले साल उपलब्ध हो जायेंगी। इनके अलावा भारतीय कंपनियों ने चार विदेशी कंपनियों के साथ वैक्सीन के निर्माण और भारत में वितरण का अग्रीमेंट किया हुआ है। इनमें पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया दो वैक्सीनों पर काम कर रहा है - ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्रा ज़ेनेका और अमेरिका की नोवावैक्स के लिए।
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ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन का तो भारतीय लोगों पर ट्रायल भी जारी है। रूस की वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल भारत में शीघ्र होने की संभावना है। भारत में इस वैक्सीन की सप्लाई डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज करेगी जबकि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन की सप्लाई के लिए हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई कंपनी ने करार कर रखा है।
अमेरिका में तो तय है कि नवम्बर के पहले हफ्ते में वैक्सीन आने की घोषणा कर दी जायेगी और मुमकिन है कि इमरजेंसी इस्तेमाल के तौर पर प्रेसिडेंट समेत कुछ लोगों को वैक्सीन लगा भी दी जाए।
आम जनों को वैक्सीन एफडीए के एप्रूवल के बाद लगेगी जिसमें तीन हफ़्तों का समय लग सकता है। अमेरिकी दवा कंपनी मोडरना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं। कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है। इसके अलावा फाइजर कंपनी का टीका भी बहुत एडवांस स्टेज में है।
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चीन की वैक्सीन
चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है। चीन अपनी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को पूरा किए बिना ही टीकाकरण अभियान को विस्तार देने जा रहा है।
अब देश में बड़े पैमाने पर लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। चीन यह कोशिश सिर्फ इसलिए कर रहा है जिससे कि उसकी कोरोना वैक्सीन की दुनिया भर में मांग बढ़ सके और वह अमेरिका को नीचा दिखा सके। पिछले महीने ही चीनी कंपनी सिनोफार्म ने ऐलान किया था कि लाखों चीनी लोगों को पहले ही कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है।
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वैक्सीन की रेस
कोरोना वैक्सीन लाने की रेस में ऑक्सफोर्ड-आस्ट्रा ज़ेनेका, फाइजर और मोडरना सबसे आगे चल रहे हैं। आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन के ट्रायल का यूरोप में इमरजेंसी रिव्यू किया जा रहा है यानी इस दौड़ में वही सबसे आगे है। अमेरिका की मोडरना से काफी उम्मीदें हैं और एक स्टडी में पता चला है कि इसकी वैक्सीन से वृद्ध लोगों में भी कोरोना के प्रति एंटीबॉडी उत्पन्न होती हैं।
ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्रा ज़ेनेका सबसे आगे हैं। यूरोपियन कमीशन इस वैक्सीन के ट्रायल का रिव्यू शुरू करने वाला है। किसी वैक्सीन या दवाई के ट्रायल का त्वरित रिव्यू तब किया जाता है जब किसी आतात स्थिति में उस औषधि की अर्जेंट जरूरत होती है। आस्ट्रा ज़ेनेका के लिए ये एक बड़ी रहत की बात है क्योंकि उसकी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल कुछ वालंटियर्स के बीमार पड़ने पर रोक दिया गया था।
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