दिल्ली अनाज मंडी: ट्रेन के बजाए सड़क मार्ग से बिहार ले जाया जाएगा मृतकों का शव

दिल्ली के अनाज मंडी में सोमवार को एक बार फिर उसी इमारत में आग लग गई जहां एक दिन पहले आग लगने की वजह से 43 लोगों की मौत हो गई थी। सोमवार को सुबह इमारत से धुआं निकल रहा था, जिसपर 20 मिनट के अंदर काबू पा लिया गया।

Update: 2019-12-09 09:57 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के अनाज मंडी में सोमवार को एक बार फिर उसी इमारत में आग लग गई जहां एक दिन पहले आग लगने की वजह से 43 लोगों की मौत हो गई थी। सोमवार को सुबह इमारत से धुआं निकल रहा था, जिसपर 20 मिनट के अंदर काबू पा लिया गया। जांच के लिए फैक्ट्री को पहले से ही सील कर दिया गया है। आसपास के लोगों को बैरिकेडिंग कर बाहर ही रोका जा रहा है।

ट्रेन के बजाए सड़क मार्ग से ले जाया जाएगा शव

भीषण आग में जान गंवाने वाले बिहार के निवासियों के शवों को अब ट्रेन के बजाए सड़क मार्ग से ले जाया जाएगा। इससे पहले फैसला किया गया था कि ये शव स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के SLR कोच में रख ले जाए जाएंगे। लेकिन मारे गए लोगों के परिवारों ने इस तरह की व्यवस्था पर आपत्ति जताई थी।

फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर आग के बारे में सूचना मिली थी जिसके बाद दमकल के दो वाहनों को घटनास्थल पर भेजा गया। उन्होंने बताया कि इमारत में रखे कुछ सामानों में आग लग गई थी जिस पर 20 मिनट के भीतर काबू पा लिया गया।

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गौरतलब है कि दिल्ली में रानी झांसी रोड स्थित अनाज मंडी की एक इमारत में चल रही फैक्ट्री में रविवार तड़के आग लग गई 43 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य घायल हो गए। घायलों में से कुछ की हालत नाजुक है। लगभग पांच घंटे तक चले बचाव अभियान में फायर ब्रिगेड और पुलिस ने 60 से अधिक लोगों को बिल्डिंग से बाहर निकाला था। धुएं में दम घुटने से अधिकतर की मौत हुई थी। दिल्ली सरकार ने जिला मैजिस्ट्रेट से जांच कराने का आदेश दिया है और 7 दिन में रिपोर्ट तलब की है।

बेहद संकरे इलाके में बनी 5 मंजिला इमारत में हुआ। इसमें बैग, टोपियां, प्लास्टिक का सामान बनाने की फैक्ट्री चलती थी और उसमें काम करने वाले मजदूर भी वहीं रहते थे। चश्मदीदों ने बताया कि तड़के बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर आग लगी, जो जल्द ही फैल गई। इससे ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले मजदूर फंस गए और अधिकांश बाहर नहीं निकल पाए।

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इसके बाद 30 दमकल की गाड़ियां और 150 फायर-कर्मियों ने पहुंचकर लोगों को बाहर निकाला। संकरी गली होने से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। मरने वालों में से अधिकांश यूपी और बिहार से हैं। अभी तक 29 शवों की ही शिनाख्त हो पाई है। एलएनजेपी की मॉर्चरी में शव रखने की जगह भी कम पड़ गई थी।

बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी। फायर ब्रिगेड ने साफ किया कि बिल्डिंग के लिए न तो दमकल विभाग से NOC लिया गया था, न ही उसमें आग बुझाने के उपकरण थे। हादसे के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, डॉ. हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई दलों के नेताओं ने जायजा लिया और अस्पतालों में घायलों से मिले।

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ऐसे बच सकती थी लोगों की जान

फैक्ट्री में जब शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी तो सभी मजदूर सो रहे थे। रविवार तड़के तकरीबन 4.30 बजे आग लगी, लेकिन दमकल विभाग को करीब 5.30 बजे घटना की जानकारी मिली। इसके बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं तो संकरी गलियों की वजह से अंदर तक जाने में काफी मशक्कत हुई।

फैक्ट्री की खिड़कियां काफी ऊंचाई पर थीं और उनके ऊपर प्लास्टिक का सामान रखा हुआ था। तंग इमारत होने की वजह से वेंटिलेशन के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। जिससे आग लगने के बाद फैले धुएं से लोगों का दम घुटने लगा। फैक्ट्री में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी, अगर आग बुझाने के इंतजाम होते तो 43 लोगों की मौत को टाला जा सकता था।

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इमारत से बाहर निकलने के लिए रास्ता नहीं था, क्योंकि गेट पर ताला जड़ा था। हालत ऐसी थी कि आग में फंसे लोगों को बचाने के लिए दमकलकर्मी पहुंचे तो उन्हें रास्ता नहीं मिल पाया। दमकल के कर्मचारियों ने पहले ताला तोड़ा फिर इमारत में दाखिल हुए। तब तक काफी देर हो चुकी थी और कई मजदूर अपनी जान गंवा चुके थे।

फैक्ट्री में इस तरह की कोई भी सुविधा नहीं थी जिससे सो रहे मजदूरों को यह पता चल सकता कि आग लगने वाली है। अगर मजदूर बिल्डिंग से बाहर कूदकर भी अपनी जान बचाना चाहते को उसका भी कोई इंतजाम नहीं था, क्योंकि जो खिड़की थी वो काफी ऊंचाई पर थी जहां से कूदने से मौत का डर था।

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