भारत का विनाशक विमान: चीन-पाकिस्तान की सरकार कांप रही, पूरी सेना होगी खत्म
देश पर संकट के काले बादल छाए हुए हैं। एक तरफ कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है, दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान सीमा पर खूनी साजिश और घुसपैठ की फिराक में हैं। ऐसे में सोमवार को DRDO ने ओडिशा तट के नजदीक डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया गया है।
नई दिल्ली। देश पर संकट के काले बादल छाए हुए हैं। एक तरफ कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है, दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान सीमा पर खूनी साजिश और घुसपैठ की फिराक में हैं। ऐसे में सोमवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट के नजदीक डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया गया है। इसके साथ ही रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए आज यानी सोमवार का परीक्षण एक बड़ा कदम साबित हुआ है।
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इसलिए दिया हाइपरसोनिक विमान
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है। ये घातक विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार सकता है, इसलिए उसे हाइपरसोनिक विमान नाम दिया गया है।
देश के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। साथ ही इसकी गति 12,251 किलोमीटर प्रतिघंटा यानी 3.40 किलोमीटर प्रति सेकेंड की थी। ऐसे में इसकी गति से ही ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये दुश्मन पर हमला करेगा, तो उसको बचने का मौका तक नहीं मिल पाएगा।
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बता दें, हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल के सफल परीक्षणों के बाद यदि इसे बनाकर उड़ाने में सफलता मिल जाएगी, तो भारत ऐसी तकनीक हासिल करने वाले देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो जाएगा। और इस विमान का उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए हो सकता है। उपयोग कम लागत पर उपग्रह लॉन्च करने के लिए भी किया जा सकता है।
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परीक्षण की सफलता
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने परीक्षण की सफलता पर कहा कि ये परीक्षण इसलिए किया गया, जिससे हम भविष्य के लिए तकनीकों को जांच सकें।
हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट को लॉन्च करते के बाद उसकी गतिविधियों को विभिन्न राडार, टेलीमेट्री स्टेशन और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सेंसर्स से ट्रैक किया गया। वहीं इससे पहले बीते साल जून के महीने में भी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण किया गया था।
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