गृह मंत्री अमित शाह ने NPR और NRC पर दिया बड़ा बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी। इसको लेकर उठ रहे सवालों पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है।

Update:2019-12-24 19:40 IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी। इसको लेकर उठ रहे सवालों पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है। यह मैं साफ तौर पर कह रहा हूं कि देशभर में एनआरसी पर कोई बात नहीं हो रही है। इस पर बहस की कोई जरूरत नहीं है।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा था कि एनआरसी पर कैबिनेट और संसद में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है। विपक्ष इनको लेकर अफवाह फैला रहा है। किसी अल्पसंख्यक को एनपीआर से डरने की कोई जरूरत नहीं हैं।

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जब गृह मंत्री से पूछा गया कि गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री एनपीआर और नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से इंकार रहे हैं, इसके जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे दिक्कतें पैदा हों। उन्होंने कहा कि इसको लेकर मैं राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करूंगा और उनको समझाने की पूरी कोशिश करूंगा।

अमित शाह ने कहा कि एनपीआर के आंकड़ों का एनआरसी के लिए कोई उपयोग नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एनपीआर यूपीए सरकार लेकर आई थी, बीजेपी नहीं। उन्होंने कहा कि औवेसी का काम ही हमारा विरोध करना है। गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष अल्पसंख्यकों को डराने की साजिश कर रहा है।

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गृह मंत्री ने कहा कि जहां तक बीजेपी के घोषणापत्र की बात है, तो संसद में चर्चा होना और पार्टी के घोषणापत्र में शामिल होना अलग-अलग बात हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने साल 2010 में एनपीआर की प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने कहा कि एनपीआर में आधार नंबर देने में कोई हर्ज नहीं हैं।

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अमित शाह ने कहा कि एनपीआर हमारे घोषणापत्र में शामिल नहीं है। जब गृह मंत्री से सवाल किया गया कि अगर एनपीआर में किसी का नाम शामिल होने से रह जाता है, तो क्या उसकी नागरिकता चली जाएगी, तो अमित शाह ने कहा कि मैं यह बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं कि एनपीआर में किसी का नाम शामिल नहीं होने से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। यह एनआरसी से अलग है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन राजनीतिक है। इसको लेकर विरोध प्रदर्शन उन राज्यों में नहीं हुए, जहां सबसे ज्यादा घुसपैठिए रहते हैं।

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डिटेंशन सेंटर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर कोई दूसरे देश से गैर कानूनी तरीके से आ जाता है, तो उसको जेल में नहीं रखा जाता है, उसको डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स और कम्यूनिकेशन में अंतर होता है। हमने नोटिफेकेशन निकाला 31 जुलाई, 2019 को। सभी राज्य भी नोटिफिकेशन निकाल चुके हैं। यह कम्यूनिकेशन है। पॉलिटिक्स यह है कि नागरिक संशोधन कानून के कारण बवाल खड़ा हुआ, अब यह बवाल थमता जा रहा है, क्योंकि सबलोग इसे समझने लगे हैं तो अब एनपीआर का बवाल खड़ा करो।

उन्होंने कहा कि 31 जुलाई, 2019 को नोटिफिकेशन आ गया था। तब नागरिक संशोधन कानून आया ही नहीं था। अब तक कई राज्यों ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। हमारा पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों से आग्रह है कि वे अपने राज्यों की गरीब आबादी को सरकारी योजनाओं से दूर नहीं रखें। इन दोनों राज्यों ने एनपीआर की प्रक्रिया रोक दी है।

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